मेरठ के गोल्डन ब्वॉय सौरभ चौधरी को मिला अर्जुन अवॉर्ड, माता-पिता बोले 'सारा जहां मिल गया'
अर्जुन अवॉर्ड पाने वाले सौरभ चौधरी के गांव में खुशी के मारे हर कोई फूला नहीं समा रहा है. गांव को लोग उसे सोने के तमगे वाला लाल कह कर पुकारते हैं. 18 साल की उम्र ये सम्मान पाने वाले सौरभ सभी के लिये प्रेरणा बन गये हैं.
मेरठ. मेरठ के कलीना गांव के रहने वाले सौरभ चौधरी ने अर्जुन अवॉर्ड जीतकर देश का नाम रोशन किया है. दस मीटर एअर पिस्टल स्पर्धा में सौरभ ने कई राष्ट्रीय और अंतरष्ट्रीय पदक जीते हैं. सौरभ ने साल 2018 में मात्र सोलह वर्ष की उम्र में एशियाई खेल निशानेबाज़ी दस मीटर एअर पिस्टल स्पर्धा में गोल्ड जीता था.
होनहार सौरभ यही नहीं रुके, इसके बाद सौरभ ने गोल्ड की झड़ी लगा दी. मेरठ में उन्हें गोल्डन ब्वॉय की संज्ञा दी जाती है. कभी बारह-बारह किलोमीटर पैदल चलकर शूटिंग रेंज जाने वाले सौरभ चौधरी आज देश के सबसे कम उम्र के अर्जुन पुरस्कार विजेताओं की लिस्ट में शामिल हो गए हैं.
हर चैंपियनशिप में मनवाया लोहा
आईएसएसएफ विश्व कप, वर्ल्ड चैंपियनशिप, युवा ओलम्पिक और एशियाई खेलों में सौरभ ने दस से ज्यादा स्वर्ण पदक जीतकर इतनी कम आयु में तहलका मचा दिया है. गोल्डन ब्वॉय सौरभ चौधरी के निशाने पर अब टोक्यो ओलम्पिक है. सौरभ ने आईएसएसएफ चैपियनशिप में नया विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया है.
फूले नहीं समा रहे गांव के लोग
मेरठ के सरुरपुर ब्लॉक के एक छोटे से गांव में कलीना में जन्मे सौरभ चौधरी पर सभी को नाज़ है. गांव के लोग अपने लाल को सोने का तमगा वाला लाल कहते हैं. पूरा कलीना गांव अपने लाल की कामयाबी से ख़ुशी से झूम रहा है. किसान पिता और माता को तो मानों सारा जहां मिल गया हो.
मां ने बताई संघर्ष की कहानी
सौरभ चौधरी की मां बताती हैं कि उनका लाल रोज़ाना कई किलोमीटर की पैदल यात्रा करके, कभी ट्रक पर सवार होकर तो कभी बुग्गी पर सवार होकर, शूटिंग की प्रैक्टिस पर जाया करता था. बागपत के शूटिंग रेंज में सौरभ चौधरी प्रैक्टिस किया करते थे. वहीं किसान पिता अपने लाडले की इस उपलब्धि पर ख़ुशी से फूले नहीं समा रहे हैं.
मैडल वाला कमरा
सौरभ ने कितने पदक जीते हैं, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सौरभ का एक पूरा कमरा मैडल से भरा हुआ है. घर के लोग इसे मेडल वाला कमरा कहते हैं. वाकई में इतनी कम उम्र में सौरभ की इस कामयाबी पर सभी को नाज़ है.
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