मेरठ। महाभारत काल का इतिहास संजोए हस्तिनापुर एक बड़े टूरिस्ट प्लेस के तौर पर जाना जाता है. यही वजह है कि यहां देश और विदेश से पर्यटक आते है. कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन के दौरान हस्तिनापुर के पर्यटन पर क्या असर पड़ा है, किस तरह से लोगों ने यहां लॉकडाउन का पालन किया है और पर्यटकों की भीड़ से भरे रहने वाले हस्तिनापुर में आज क्या कुछ चल रहा है...चलिए हम आपको बताते हैं.
हस्तिनापुर में जम्बूद्वीप, जैन मंदिर श्री पांडेश्वर महादेव मंदिर और गंगा की कल कल करती अविरल धारा यहां पर्यटकों को अपनी ओर खूब आकर्षित करती है. इसी टूरिस्ट प्लेस से हजारों लोगों की रोजी-रोटी चलती है. लॉकडाउन की वजह से उस मंदिर पर सन्नाटा पसरा हुआ है जो महाभारत काल का गवाह माना जाता है. गांगा स्नान पांडव इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करते थे. लॉकडाउन से पहले यहां हजारों की संख्या में पर्यटक आते थे. यह मंदिर हस्तिनापुर के सुंदर स्थानों में शामिल है. यहां वन और झीलें लोगों के आकर्षण का केंद्र हैं.
कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन के कारण कैलाश पर्वत जैन मंदिर में भी सन्नाटा पसरा है. मंदिर फिलहल बंद है. इस मंदिर की खासियत के बारे में बात करें तो यह मंदिर काफी बड़ा है. यहां भगवान कृष्ण के साथ-साथ कई देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं. इतना ही नहीं ये मंदिर बेहद खूबसूरत है और यहां बच्चों और पर्यटकों के लिए विशेष इंतजाम किए गए है.
हस्तिनापुर में स्थित जम्बूद्वीप जिसका सुमेरु पर्वत और लोटस टैम्पल लोगों को खूब पसंद आता है. यंहा पर आप सुमेरू पर्वत देखने के साथ ही बोटिंग का आनंद भी ले सकते है. इसके साथ ही कई प्रकार के झूले भी बच्चो को खूब भाते हैं. सबसे ज्यादा बच्चों को ऐरावत हाथी की सवारी भाती है. यहां एक सफेद हाथी की आकृति को ट्रैक्टर-ट्रॉली पर रखा गया है जो पूरे परिसर का चक्कर लगाता है. इसके साथ ही कमल मंदिर शांति का अहसास कराता है. लेकिन, कोरोना महामारी की वजह से यहां भी सन्नाटा पसरा है, दुकानें बंद हैं. फिलहाल यहां पर मौजूदा वक्त में जिस तरह के हालात नजर आए उसे देखकर यही कहा जा सकता है कि अभी स्थिति सुधरने में वक्त लगेगा.
कोरोना महामारी की वजह से पर्यटन उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. फिलहाल अनलॉक 1 में जब से मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारों को खोलने की बात कही गई तबसे यहां भी रौनक लौटने लगी है. लोगों को उम्मीद है कि सरकार की इस पहल से न केवल लोगों को दोबारा रोजगार मिलेगा बल्कि हस्तिनापुर एक बार फिर अपने पुराने अस्तित्व में लौटेगा.