मेरठ: ठंड की शुरुआत हो गई है, ऐसे में गौशालाओं में गोवंश के रखरखाव और उनके खाने के लिए क्या इंतजाम किए गए हैं. इसकी पड़ताल के लिए एबीपी गंगा की टीम मेरठ के गोपाल गौशाला पहुंची. इस पड़ताल में जो देखने को मिला वो काफी राहत भरा था, क्योंकि इस गौशाला में लगभग 750 गोवंश हैं, लेकिन यहां की तस्वीर सुकून देने वाली थी.
गौशाला में लगी है चक्की
मेरठ के दिल्ली रोड स्थित गोपाल गौशाला में एबीपी गंगा की टीम पहुंची और हमारी टीम ने सबसे पहले गौवंशों के लिए चारे के इंतज़ाम की पड़ताल की. क्यों कि अक्सर देखा जाता है कि गौ वंशों के लिए चारे का अभाव होता है, लेकिन इस गौशाला में चारे का इंतजाम को देखकर काफी अच्छा लगा, क्योंकि यहां पर गोवंश के चारे के लिए कई सौ कुंटल चारा स्टॉक में रखा गया था, साथ ही उनके दाने और भूसी के लिए एक छोटी चक्की लगाई गई थी जिसमें साबुत दानों की पिसाई हो रही थी ताकि गोवंश को चारे के साथ साथ उन्हें अनाज का दाना भी दिया जाए ताकि वह स्वस्थ रहें.
यही नहीं, दानों के साथ गुड़ भी इन गौवंशो को दिया जा रहा था, जबकि अधिकांश जगह देखा जाता है कि गोवंश को शुद्ध या फिर यूं कहें भरपेट चारा भी नसीब नहीं होता, लेकिन मेरठ के गोपाल गौशाला में इतंजाम काफी राहत भरे थे. इसके अलावा हमारी टीम ने आगे पड़ताल की और यह जानने की कोशिश की कि आखिरकार गोवंश को इस ठंड से बचाने के लिए क्या इंतजाम किए गए हैं. गोवंश को रात में रखने के लिए सुरक्षित स्थान था, ठंडी हवा ना आए इसके लिए पूरा इंतजाम किया गया था. टीन सेड पड़े हुए थे. कुछ जगह तो ऐसी थी जहां पर सीमेंटेड छत पड़ी हुई थी ताकि गोवंश को किसी तरह की कोई दिक्कत ना हो.
40 परिवार कर रहे हैं काम
इस गौशाला गोवंशो के लिए 40 परिवार काम कर रहा था और इन कर्मचारियों के लिए गोबर गैस प्लांट लगाया गया था ताकि गोबर का निस्तारण हो सके और कर्मचारियों के घर का चूल्हा भी जल सके. गोवंशो के देखरेख के लिए लगभग 40 परिवार लगे हुए हैं और सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि वह गोवंश के गोबर और गोमूत्र से ही इतने प्रोडक्ट तैयार कर रहे हैं जिससे गोवंशो के साथ-साथ उनके परिवार का खर्च भी चल रहा है.
हाईटेक गौशाला
आपको बता दें मेरठ कि ये गौशाला जरा हाइटेक है, यहां पर पूरे गौशाला को सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में रखा गया है. गोवंश चारा खा रहे हैं या नहीं खा रहे हैं, उनकी मॉनिटरिंग होती है. अगर गोवंश के साथ जरा से भी कोई कर्मचारी लापरवाही करता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाती है, क्योंकि इसका कंट्रोल रूम मैनेजर उमेश चंद्र के ऑफिस में बनाया गया है जो अपने दफ्तर में बैठे बैठे सभी गोवंशो की निगरानी करते हैं.
एबीपी गंगा की पड़ताल में यह साबित हुआ कि मेरठ की गौशाला में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप कार्य किया जा रहा है. गांव बंधुओं की रखरखाव से लेकर उनके खाने का पूरा ध्यान रखा जा रहा है. सरकार 30 रुपये प्रति गौ वंश दे रही है लेकिन गोबर और गौ मूत्र के प्रोडक्ट बना कर उनको बेचा जाय तो ना सिर्फ गौवंशों की अच्छे से परवरिश की जा सकती है, बल्कि उनके काम में जुटे परिवार भी अपना पालन पोषण अच्छी तरह से कर सकते हैं.
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