Meerut News: जाली डिग्री के सहारे 8 महीने तक IIMT University का बना रहा VC, इस तरह हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा
मेरठ में आईआईएमटी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर मनोज कुमार मदान की आईआईटी दिल्ली से पीएचडी की डिग्री नकली निकली है. धोखाधड़ी उजागर होने के बाद अब वाइस चांसलर रहे मदान को जेल भेजने की तैयारी हो रही है.
IIMT University in Meerut: मेरठ में आईआईएमटी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर की पीएचडी की डिग्री फर्जी निकली है. मामले में यूनिवर्सिटी प्रबंधन पर भी लापरवाही के आरोप लग रहे हैं. बताया जाता है कि कुलपति के कागजात को यूनिवर्सिटी ने वेरिफाई करने की कोशिश ही नहीं की. ऐसे में 8 महीने तक फर्जी कुलपति के सहारे आईआईएमटी यूनिवर्सिटी का संचालन होता रहा. हजारों बच्चे नकली कुलपति के निर्देशन में परीक्षा देते रहे. मनोज कुमार मदान करीब आठ महीने आईआईएमटी यूनिवर्सिटी के कुलपति रहे. यूनिवर्सिटी प्रबंधन की नींद राजस्थान पुलिस का फोन आने के बाद टूटी. अब वाइस चांसलर मनोज कुमार मदान को जेल भेजने की तैयारी हो रही है. मनोज कुमार मदान की आईआईटी दिल्ली से पीएचडी की डिग्री नकली निकली है.
आईआईएमटी यूनिवर्सिटी के कुलपति की खुली पोल
18 सितंबर 2019 को मनोज कुमार मदान को आईआईएमटी यूनिवर्सिटी मेरठ का कुलपति नियुक्त किया गया था. बतौर कुलपति मनोज कुमार मदान 20 मई 2022 तक आईआईएमटी यूनिवर्सिटी में रहे. आठ माह के कार्यकाल में मदान को करीब 14 लाख रुपये वेतन के रूप में भुगतान किया गया. मदान के कुलपति रहते भी आईआईएमटी प्रबंधन गहरी नींद में सोया रहा. अचानक राजस्थान के सीकर से आए फोन ने फर्जीवाडे का भंड़ाफोड़ कर दिया. सीकर पुलिस ने बताया कि मनोज कुमार मदान की नियुक्ति मोदी विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय लक्षमणगढ़ जिला सीकर में बतौर रजिस्ट्रार फर्जी पीएचडी के आधार पर हुई थी.
आईआईटी दिल्ली से पीएचडी की डिग्री निकली फर्जी
मदान 22 जनवरी 2018 से लेकर 25 जनवरी 2019 तक रजिस्ट्रार के पद पर रहे. जाली डिग्री के आधार पर नौकरी पाकर मदान ने विश्वविद्यालय को 64 लाख 98 हजार 104 रुपए का चूना लगाया. पुलिस की बात सुनकर आईआईएमटी प्रशासन के होश उड़ गए. रहस्य से पर्दा हटने के बाद यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने आईआईटी दिल्ली से मदान की पीएचडी की डिग्री की जांच कराई. जांच के दौरान डिग्री के फर्जी होने की पुष्टि हुई. एक और चौंकानेवाला खुलासा हुआ है. यूनिवर्सिटी प्रबंधन को पता चला है कि पैसे लेकर दो लोगों को क्लेरिकल स्टाफ के तौर पर भर्ती कर लिया गया था. अब आईआईएमटी प्रशासन ने दोनों की सेवा समाप्त कर दी है.
वेतन लौटाने का जवाब नहीं मिलने पर दर्ज हुआ मामला
प्रबंधन ने कुलपति रहने के दौरान मिले 14 लाख वेतन को वापस करने का नोटिस मदान को भेजा है. नोटिस का जवाब नहीं मिलने पर मेरठ के गंगानगर थाने में एफआईआर दर्ज करा दी गई है. आईआईएमटी विश्वविद्यालय मेरठ के डिप्टी रजिस्ट्रार लीगल सेल एसपी सिंह तोमर ने बताया कि मामला बेहद गंभीर है. इसलिए पुलिस ने भी पूर्व कुलपति मनोज कुमार मदान के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज करने में देरी नहीं की. एसएसपी रोहित सिंह सजवाण के आदेश पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.
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