Meerut Illegal Complex: यूपी (UP) में योगी राज में अवैध निर्माणों पर लगातार एक्शन हो रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद बीजेपी (BJP) नेता के अवैध कॉम्प्लेक्स का मामला सामने आया है. बीजेपी किसान मोर्चा के जिला महामंत्री चौधरी विक्रांत (Chaudhary Vikrant) पर मेरठ विकास प्राधिकरण (Meerut Development Authority) के अफसरों से साठगांठ कर अवैध कॉम्प्लेक्स खड़ा करने का आरोप लगा है. बताया जा रहा है कि जिस जमीन पर ये अवैध कॉम्प्लेक्स बनाया गया है, वो जमीन शिक्षण संस्थान के नाम आवंटित की गई थी, इसलिए यहां कॉम्प्लेक्स बन ही नहीं सकता था.
भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में जुटे एमडीए के अफसरों के इस खेल की गूंज लखनऊ तक पहुंच गई है. इस मामले ने ये भी साबित कर दिया है कि एमडीए के अफसर भ्रष्टाचार का ऐसा सिंडिकेट चला रहे हैं, जो योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति को पलीता लगा रहा है. साथ ही भ्रष्टाचार के आगे एमडीए के कायदे कानून छोटे पड़ गए. आरोप लग रहा है कि अवैध कॉम्प्लेक्स बनवाने में एमडीए अफसरों ने मोटी घूस ली है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या बीजेपी नेता के इस अवैध कॉम्प्लेक्स पर भी योगी का बुलडोजर गरजेगा?
इतने लाख रुपये में हुआ था प्लॉट का आवंटन
दरअसल बीजेपी किसान मोर्चा के जिला महामंत्री चौधरी विक्रांत का अवैध कॉम्प्लेक्स मेरठ विकास प्राधिकरण के अफसरों के भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा सुबूत है. मोदीपुरम में पल्हैड़ा चौराहे के पास बेशकीमती जमीन पर बने अवैध कॉम्प्लेक्स की नींव से लेकर ऊपरी मंजिल तक भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार है. पूरा कॉम्प्लेक्स बिना नक्शे के ही खड़ा नियम कायदों को मुंह चिढ़ा रहा है. सजल शिक्षण संस्थान के नाम पर 766.88 वर्ग मीटर के इस प्लॉट का आवंटन 28 अगस्त 2014 को 85 लाख 50 हजार रुपये में स्वीकृत किया गया था.
बीजेपी के बड़े-बड़े नेताओं के साथ है चौधरी विक्रांत की तस्वीर
21 अगस्त 2019 को कब्जा दिया गया और कुछ रुपये और जमा कराए गए. इसके कुछ दिन बाद ही यहां शिक्षण संस्थान बनाने की बजाय दुकानें बनानी शुरू कर दी गई. यानी सब कुछ पहले से प्लान था. इस बीच एमडीए के अफसरों का नोटिस-नोटिस का खेल शुरू हुआ, लेकिन धीरे-धीरे इसने एक कॉम्प्लेक्स का रूप ले लिया. बीजेपी किसान मोर्चा के जिला महामंत्री चौधरी विक्रांत ने बड़े-बड़े नेताओं और मंत्रियों के साथ फोटो खींचाकर रसूख कायम किया और सत्ता की हनक दिखाई. साथ ही एमडीए अफसरों से मिलकर भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी की और शिक्षण संस्थान बनाने के लिए एमडीए से जमीन लेकर यहां 30 से ज्यादा दुकानों का अवैध कॉम्प्लेक्स बना दिया. वहीं मामले के तूल पकड़ने पर बीजेपी का एक धड़ा भी सिफारिश में उतरा हुआ है.
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क्या कहते हैं नियम?
- सजल शिक्षण संस्थान के नाम पर प्लॉट खरीदना और फिर उसपर शिक्षण संस्थान की बजाय कॉम्प्लेक्स बनाना नियम खिलाफ है.
- आवंटन के बाद लैंड यूज चेंज किया ही नहीं जा सकता है.
- लैंड यूज चेंज किया गया, इसलिए नक्शा पास हो ही नहीं सकता था.
- एमडीए अफसरों से सांठगांठ कर बिना नक्शे के कॉम्प्लेक्स का निर्माण अवैध की श्रेणी में आता है.
- लैंड यूज चेंज करने का अधिकार सिर्फ एमडीए को है, वो भी तब जब प्लॉट का आवंटन न हुआ हो और उसकी भी प्रक्रिया काफी बड़ी है.
- शिक्षण संस्थान के नाम पर कॉम्प्लेक्स बन गया, इसलिए एमडीए के नोडल, जोनल, जेई और मेट की मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता.
- शिक्षण संस्थान की बजाय कॉम्प्लेक्स बनने से एमडीए को करोड़ों रुपये के राजस्व की हानि हुई है.
तत्कालीन वीसी ने दिए थे ध्वस्तीकरण के आदेश
बीजेपी नेता चौधरी विक्रांत उर्फ आदित्य चौधरी के इस अवैध कॉम्प्लेक्स के बारे में लोगों को पता ही नहीं है. बीजेपी नेता ने 30 से 40 लाख रुपये की यहां दुकान बेची है और कुछ दुकान अभी बेचने की तैयारी है. कुछ लोगों ने दुकानें खरीद ली और कुछ किराए पर हैं. हालांकि, कुछ लोग ये बोलने को तैयार नहीं कि आखिर कितने लाख की ये दुकान उन्होंने खरीदी है. इस अवैध कॉम्प्लेक्स के तत्कालीन वीसी ने ध्वस्तीकरण के भी आदेश दिए और फिर कमिश्नर ने भी एमडीए वीसी के आदेश को बरकरार रखा, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई और मामला पुनरीक्षण वाद में शासन को चला गया, जहां से एक बार सुनवाई के आदेश हुए हैं.
24 अगस्त की होनी है सुनवाई
कार्यवाहक वीसी और डीएम दीपक मीणा ने इस मामले में 24 अगस्त की तारीख सुनवाई के लिए नियत की है. बीजेपी किसान मोर्चा के जिला महामंत्री चौधरी विक्रांत के इस अवैध कॉम्प्लेक्स की गूंज शासन तक भी सुनाई दे रही है..एमडीए के लापरवाह और भ्रष्ट अफसरों पर एक्शन की भी बड़ी तैयारी है, क्योंकि इस कॉम्प्लेक्स की एक-एक ईंट भ्रष्टाचार की कमजोर नींव पर खड़ी हैं. इस अवैध कॉम्प्लेक्स पर सीएम योगी का बुल्डोजर कब गरजेगा, ये देखने भी देखने वाली बात होगी और एमडीए के लापरवाह अफसरों पर क्या सख्त कार्रवाई होगी, इस पर भी सबकी नजरें टिकी हैं.