Meerut Kanwar Accident Update: मेरठ कांवड़ हादसे में जान गंवाने वाले कांवड़ियों के परिजनों ने अज्ञात बिजली कर्मी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है. परिजनों का कहना है कि 11 हजार केवी बिजली के ढीले तारों की वजह से दर्दनाक हादसा हुआ. परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने धारा 304 A के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है. बता दें कि 15 जुलाई को राली चौहान गांव में कांवड़ ले जा रहे कांवड़ियों का डीजे 11 हजार केवी हाईटेंशन लाइन से टकरा गया था. डीजे में करंट फैलने की वजह से छह कांवड़यों की मौत हो गई और 15 झुलस गए थे.


मेरठ में हुए कांवड़ हादसे का अपडेट


झुलसे कांवड़ियों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मृतकों की पहचान 40 वर्षीय महेंद्र सैनी, 45 वर्षीय लक्ष्मी सैनी, 18 वर्षीय मनीष सैनी, 15 वर्षीय प्रशांत, 9 वर्षीय लक्ष्य और 15 वर्षीय हिमांशु सैनी के रूप में हुई थी. हादसे के बाद मौके पर चीख पुकार मच गई थी. ग्रामीणों ने विरोध में सड़क जाम कर दिया था. सूचना के बाद मौके पर प्रशासन की टीम पहुंची. टीम ने बचाव और राहत का काम चलाया. घायलों को एंबुलेंस की मदद से इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया. बताया गया कि शिवभक्तों का जत्था हरिद्वार से गंगा जल लेकर आ रहा था.


बिजली विभाग को मिली थी क्लीन चिट


प्रशासन की तरफ से हादसे की जांच के लिए गठित कमेटी को 48 घंटे में रिपोर्ट सौंपने की हिदायत दी गई थी. पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड की प्रबंध निदेशक चैत्रा वी ने प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार कहा था कि जांच में हादसे का जिम्मेदार कोई भी बिजली कर्मी-अफसर नहीं मिला. उन्होंने बिजली विभाग को क्लीन चिट दे दी थी. ग्रामीणों ने कांवड़ियों की मौत मामले में बिजली विभाग के जेई को दोषी ठहराया था.


ग्रामीणों का आरोप था कि जेई ने शटडाउन की बात को नजरअंदाज कर बिजली दोबारा चालू कर दी. कांवड़ियों का डीजे 11 हजार केवी की लाइन के चपेट में आने से दर्दनाक हादसा हो गया. पीवीवीएनएल की एमडी का कहना था कि सड़क हादसे का शिकार हुए कांवड़ की ऊंचाई 22 फीट थी. उन्होंने बताया था कि शासन की तरफ से 12 फीट ऊंचा कांवड़ रखने के आदेश को नजरअंदाज कर दिया गया. ग्रामीणों के आरोप पर चैत्रा वी ने सफाई में बताया था कि शटडाउन के लिए मौखिक या लिखित आवेदन नहीं मिला था. इसलिए बिजली विभाग को जिम्मेदार नहीं ठहाराया जा सकता.


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