(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
मेरठ: सपनों को पूरा करने के लिए मजदूरी कर रही है तीरंदाज बेटी, शिकायत किसी से नहीं
मेरठ में रहने वाली एक बेटी अपने सपनों को पूरा करना चाहती है. लेकिन, आर्थिक तंगी की वजह से उसे मजदूरी करनी पड़ रही है. ऐसे वक्त में भी बेटी के हौसले आसमान छू रहे हैं और वो विश्व पटल पर तिरंगा लहराना चाहती है.
मेरठ: उत्तर प्रदेश के मेरठ में रहने वाली एक बेटी के दिल में देश के लिए कुछ कर गुजरने का सपना है. वो अपने देश के लिए गोल्ड जीतना चाहती है. लेकिन, घर की आर्थिक हालत की वजह से बेटी मजबूरी में मजदूरी कर रही है. राष्ट्रीय स्तर की ये तीरंदाज परिवार और अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए दिहाड़ी मजदूरी कर रही है. जिसने नेशनल, स्टेट लेवल पर दर्जनों पदक जीते हों. जिसका सपना ओलम्पिक्स में गोल्ड मेडल लाना हो, वो बेटी आज मजदूरी कर तिनका-तिनका जोड़कर अपने सपनों को पूरा करना चाहती है.
पिता हैं चौकीदार चौकीदार पिता की होनहार बेटी रोजाना मजदूरी इसलिए कर रही कि एक दिन वो अपने पैसों से धनुष और बाण खरीद सकेगी. आर्थिक तंगी से जूझ रही इस बेटी के हौसलों की कहानी देखकर आप भी उसे सलाम करेंगे. ये कहानी नहीं सच्चाई है हौसलों की. ये सच्चाई उस जज्बे की है जिसमें अपने सपनों को पूरा करने के जुनून नजर आता है. ये सच्चाई 20 साल की चैंपियन तीरंदाज बेटी की है, जिसने अब तक राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर दर्जनों मेडल जीते हैं. लेकिन, आज ये बेटी अपने सपनों को पूरा करने के लिए मजदूरी कर रही है.
हर हाल में पूरा करेगी सपना मेरठ की इस होनहार बेटी का नाम है मनीषा गागट. उधार के धनुष और बाण से प्रैक्टिस करने वाली मनीषा के पिता चौकीदार हैं. आर्थिक तंगी से जूझ रही मनीषा को जब अपने सपनों को पूरा करने का कोई तरीका समझ नहीं आया तो उसने मजदूरी शुरू कर दी. मनीषा रोजाना प्रैक्टिस करने के बाद दिहाड़ी मजदूरी के लिए निकल जाती है. बेटी का कहना है कि वो अपने सपनों को हर हाल में पूरा करेगी फिर चाहे इसके लिए उसे ईंट-गारा ही क्यों न करना पड़े.
जीते हैं पदक मनीषा ने राज्य स्तर पर एक स्वर्ण पदक, चार रजत, चार कांस्य पदक जीते हैं. खेलो इंडिया में भी वो कांस्य पदक जीत चुकी हैं. जूनियर सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में भी वो प्रतिभाग कर चुकी हैं. अब इस बेटी का सपना ओलम्पिक्स में पदक जीतना है.
लहराएगी भारत का तिरंगा चैंपियन बेटी को रोजाना दिहाड़ी मजदूरी के 250 रुपए मिल जाते हैं. बेटी का कहना है कि एक न एक दिन इन्हीं पैसों से वो अपने लिए धनुष और बाण जरूर खरीदेगी और फिर उसी धनुष-बाण से वो ओलम्पिक का सफर तय करके भारत का तिरंगा विश्व पटल पर शान से लहराएगी.
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