UP Nagar Nikay Chunav Results 2023: यूपी निकाय चुनाव में मेरठ मेयर सीट के चुनावी नतीजों ने सबको चौंका दिया है. ये नतीजे रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी और सपा मुखिया अखिलेश यादव की टेंशन बढ़ाने वाले हैं, क्योंकि जिस खतौली मॉडल के दम पर मिशन 2024 की तैयारी की जा रही थी, वो खतौली मॉडल मेरठ में फेल हो गया. क्योंकि गठबंधन की आपसी कलह हर दाव पर भारी पड़ गई. 


कुछ महीने पहले मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा उपचुनाव में सपा-आरएलडी और आसपा के जिस गठबंधन के दम पर बीजेपी को जयंत और अखिलेश ने शिकस्त दी, उस गठबंधन की आंधी मेरठ आते-आते खामोश हो गई. मेरठ में ठबंधन की हवा चली और न यहां खतौली उपचुनाव जीतकर बने माहोल का असर ही दिखाई दिया. सपा गठबंधन प्रत्याशी सपा विधायक अतुल प्रधान की पत्नी सीमा प्रधान चुनाव हारी ही नहीं बल्कि उनकी साइकिल तीसरे नंबर पर आकर रुक गई. अखिलेश यादव ने मेरठ में रोड शो भी किया लेकिन बावजूद इसके साइकिल और कमजोर हो गई. इन तमाम कोशिशों और तमाम दावों के बीच साइकिल पंक्चर हो गई और यहां कमल खिल गया.


इतना ही नहीं ओवैसी की पतंग खूब उड़ी और दूसरे नंबर पर आकर रुक गई. खतौली मॉडल फेल होने पर आरएलडी नेताओं का कहना है कि ऐसा कुछ नहीं पतंग क्यों उड़ी हमें नहीं पता, लेकिन 2024 के चुनाव में सब ठीक हो जाएगा. ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने सबको चौंका दिया क्योंकि मेरठ में जो मुकाबला फूल का साइकिल से माना जा रहा था वो पतंग से हो गया. मेरठ मेयर सीट आरएलडी मांग रही थी लेकिन अखिलेश यादव ने यहां अचानक से सपा विधायक अतुल प्रधान की पत्नी सीमा प्रधान को टिकट देकर आरएलडी को झटका दे दिया, बस यहीं से गठबंधन में गांठ पड़ गई.


मेरठ में मुस्लिम आबादी चार लाख से ज्यादा है, इसके बावजूद अखिलेश यादव ने 30 से 40 हजार वोटों वाले गुर्जर समाज को टिकट दे दिया. अखिलेश के इस प्रयोग और फैसले से सपा विधायक हाजी रफीक अंसारी, विधायक शाहिद मंजूर, आरएलडी विधायक गुलाम मोहम्मद नाराज हो गए और प्रचार में ही नहीं गए. दलितों के बड़े नेता पूर्व एमएलए योगेश वर्मा भी अतुल प्रधान से रवैए से नाराज होकर सीमा प्रधान के अभियान से दूर रहे. अखिलेश यादव ने जब मेरठ में रोड शो किया तो रथ से तीनों विधायक और पूर्व विधायक दूर रहे, इसका मुस्लिम समाज में खुला संदेश चला गया कि मुस्लिम नेतृत्व नाराज है और अखिलेश यादव के कहने पर भी रथ पर नहीं आए.


खतौली उपचुनाव में आरएलडी मुखिया जयंत चौधरी और आसपा अध्यक्ष चंद्रशेखर ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंकी. हालांकि यहां दोनों ही बड़े नेता आए ही नहीं जिसका भी गलत संदेश गया और सपा गठबंधन हार गया. इस हार पर जब सपा नेताओं से बात की गई तो उनका कहना है कि खतौली की अलग बात थी, निकाय में नाली खडंजा पर चुनाव लडा जाता है. मेरठ महापौर सीट पर हमारा वोट पहले से तीन गुना बढ़ा ये भी कम बात नहीं हमे किसी से टेंशन नहीं.


चुनाव खत्म गलबहियां खत्म


सपा विधायक शाहिद मंजूर ने कहा कि ये किसी को उम्मीद नहीं थी कि बीजेपी महापौर प्रत्याशी हरिकांत अहलूवालिया 1 लाख 7 हजार से ज्यादा वोटो से चुनाव जीत जाएंगे और मुकाबला ओवैसी की पतंग हाथ में थामे मोहम्मद अनस से होगा साइकिल से नहीं. इन नतीजों ने अखिलेश यादव और जयंत चौधरी को परेशानी में डाल दिया है कि 2024 की राह इतनी आसान नहीं है. पतंग और साइकिल की लड़ाई में कमल आसानी से खिल गया. इस बारे में डॉक्टर लक्ष्मीकांत वाजपई का कहना है की खतौली मॉडल ही नहीं, अखिलेश अविश्वसनीय पार्टनर हैं चुनाव खत्म गलबहियां खत्म. जिस तरीके से खतौली उप चुनाव के नतीजों ने सबको चौकाया था, उसी तरीके से मेरठ मेयर सीट पर बीजेपी की जीत और एआईएमआईएम के दूसरे नंबर पर आने से सभी को चौंका दिया है. अब ये सपा के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है क्योंकि मुस्लिम वोटो में बिखराव यूं हो जाएगा ये अखिलेश यादव ने भी नहीं सोचा था.


मेरठ में हो गया खतौली मॉडल


इसके साथ ही लक्ष्मीकांत वाजपेई ने कहा कि मतभेद की नींव पर जब गठबंधन होगा तो चुनावी नतीजे चौंकाने वाले ही नहीं बल्कि चुनौतियां भी सामने खड़ी करेंगे. अब तक जयंत और अखिलेश के सामने बीएसपी और बीजेपी से लड़ने की चुनौती थी, लेकिन मेरठ में जिस अंदाज में ओवैसी की पतंग ने आसमान की ऊंचाइयों को छुआ उसने गठबंधन को नई परेशानी में डाल दिया है. क्योंकि जिस खतौली मॉडल का जिक्र पूरे पश्चिम की सियासत में किया जा रहा था वो मेरठ आते आते फेल हो गया.


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