UP: मेरठ नगर निगम को है नगर आयुक्त का इंतजार, रुके हैं काम, लग चुका है फाइलों का अंबार
Meerut News: एक महीने से भी ज्यादा का वक्त बीत चुका है लेकिन मेरठ नगर निगम में नगर आयुक्त की कुर्सी खाली है. खाली कुर्सी मेरठ (Meerut) के विकास में रोड़ा बन रही है.
No Municipal Commissioner in Meerut Municipal Corporation: योगी राज में मेरठ नगर निगम (Meerut Municipal Corporation) को नगर आयुक्त (Municipal Commissioner) नहीं मिल पा रहा है. एक महीने से भी ज्यादा का वक्त बीत चुका है लेकिन नगर आयुक्त की कुर्सी खाली है. खाली कुर्सी मेरठ (Meerut) के विकास में रोड़ा बन रही है और निकाय चुनाव (Civic Elections) नजदीक होने से पार्षदों (Councilors) की टेंशन भी बढ़ी हुई है. फाइलों के अंबार लगे हैं और इंतजार की घड़ियां खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं हैं. सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसी क्या वजह है जो लखनऊ (Lucknow) से नगर आयुक्त के नाम की घोषणा ही नहीं हो पर रही है.
लग गया है फाइलों का अंबार
मेरठ नगर निगम इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा में है. हर किसी की जुबां पर बस एक ही बात है कि मेरठ नगर निगम का नगर आयुक्त का इंतजार कब खत्म होगा. ऐसा आज तक नहीं हुआ कि इतने समय बाद भी नगर आयुक्त ना मिला हो. सीएम योगी आदित्यनाथ का मेरठ दौरा भी हुआ और उम्मीद थी कि शायद सीएम के दौरे से पहले नगर आयुक्त की कुर्सी भर जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इस सवाल का जवाब लखनऊ से भी नहीं मिल पा रहा है. नगर आयुक्त रहे मनीष बंसल को संभल का डीएम बना दिया गया, लेकिन उनके जाने के बाद शुरू हुआ नए नगर आयुक्त का इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. निर्माण विभाग में फाइलों के अंबार हैं क्योंकि उन्हें नगर आयुक्त के दस्तखतों का इंतजार है.
नगरायुक्त मनीष बंसल का तबादला हुआ एक महीने से ज्यादा का वक्त बीत गया है. नया नगर आयुक्त ना आने से नगर निगम मेरठ कितना प्रभावित हो रहा है ये भी जान लीजिए.
- मेरठ विकास प्राधिकरण से 10 करोड़ रुपए मिले लेकिन उनके एस्टीमेट सेंक्शन नहीं हो रहे.
- अवस्थापना निधि से 2019 में जो 30 लाख रुपए तक काम हुए उनका बोर्ड फंड से भुगतान नहीं हो पा रहा है.
- निकाय चुनाव नजदीक होने से पार्षद मारे-मारे फिर रहें है क्योंकि उनके काम नहीं हो रहे हैं.
- 31 मार्च के बाद से ठेकेदारों का भुगतान नहीं हुआ, जिसके चलते वो नए टेंडर नहीं खरीद रहे हैं.
- नए कार्यों के एस्टीमेट सेंक्शन नहीं हो पा रहे हैं.
धीमी पड़ रही है काम की फ्तार
पार्षद रोज इस उम्मीद में नगर निगम आ रहें हैं कि शायद आज नगर आयुक्त आ जाएं और उनके काम रफ्तार पकड़ लें. स्वच्छ सर्वेक्षण की बात हो या विकास के किसी अन्य काम की, सबकी रफ्तार धीमी पड़ रही है. हालांकि, अपर नगर आयुक्त प्रमोद कुमार को कार्यवाहक नगर आयुक्त का चार्ज दिया है लेकिन कहीं ना कहीं उनके अधिकार सीमित हैं. हालांकि, उनका कहना है जितना हो पा रहा है उतना वो बेहतर कर रहे हैं.
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