उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में मेरठ नगर निगम (Meerut Municipal Corporation) के अफसर इन दिनों बड़ी टेंशन में हैं. ये टेंशन इसलिए है कि 30 मई तक नाला सफाई की डेडलाइन जारी कर दी गई है. अब ऐसे में ये परेशानी अधिकारियों को सता रही है कि 25 दिन में कैसे सारे नाले साफ हो पाएंगे. डर ये भी है कि काम पूरा ना हुआ तो अंजाम क्या होगा. नाला सफाई पर करोड़ो रुपये खर्च होने के बावजूद स्थिति अभी भी दयनीय है.
अधिकारियों की चिंता बढ़ी
कूड़े से पटे मेरठ के नाले नगर निगम मेरठ के अधिकारियों की टेंशन की वजह बने हुए हैं. इसे देखकर अधिकारियों को न दिन में चैन है और ना रात में नींद आ रही है. पूरी ताकत झोंकने के बावजूद धरातल पर स्थिति अलग है. शासन से निर्देश आया है कि 30 मई तक नालों की सफाई कर उसकी रिपोर्ट भेजे और फिर इसके बाद समीक्षा होगी. बस इसी बात से अफसरों को पसीना आ रहा है. नगर निगम के पास अब सिर्फ 25 दिन बचे हैं. उन्हें चिंता है कि कैसे इतने कम समय में सभी नाले साफ होंगे.
मेरठ में कुल 315 नाले
मेरठ नगर निगम क्षेत्र में छोटे-बड़े मिलाकर 315 नाले हैं. इनमें 11 नाले सबसे बड़े हैं जो कई किलोमीटर में फैले हुए हैं. इन नालों की सफाई के लिए 8 जेसीबी और अन्य मशीनें काम कर रहीं हैं. नगर निगम का शहर में तीन डिपो हैं और हर डिपो का अलग टारगेट है. अप्रैल से नाला सफाई अभियान शुरू हुआ लेकिन फिर पहले जैसी स्थिति आ गई है. हर साल करोड़ों रुपए नाला सफाई पर फूंक दिए जाते हैं, फिर भी स्थिति बदत्तर है.
नालों की स्थिति बहुत खराब
नालों की सफाई पर हमने सहायक नगरायुक्त इंद्र विजय से बात की तो उन्होंने 60 प्रतिशत नालों की सफाई की बात कह दी. नगर निगम अधिकारियों के दावों की हकीकत जानने हम ग्राउंड पर पहुंचे तो पता चला कि दावे फाइलों में धूल फांक रहें हैं. शहर के घंटाघर के पास का नाला कूड़े से पटा पड़ा था. ऐसा लगा कि कभी सफाई हुई ही नहीं. जब हम पटेल नगर नाले पर पहुंचे तो पता चला कि यहां डेढ़ साल से कोई आया ही नहीं. शहर के सबसे व्यस्तम चौराहे बच्चा पार्क के नाले की स्थिति भी दावों की हवा निकाल रही थी. यहां भी हालात बेहतर नहीं है और बरसात होने पर जलभराव होगा ही.