Meerut News: देश के भीतरी हिस्सों में रोहिंग्याओं के घुसपैठ की खबरें लगातार सामने आ रही है.  एक खतरा लगातार सामने आ रहा है. म्यांमार से मेरठ तक रोहिंग्याओं का एक ऐसा सिंडिकेट काम कर रहा है, जिसकी सरकारी विभागों में बड़ी घुसपैठ है. आधार कार्ड, पैन कार्ड, राशन कार्ड, बर्थ सर्टिफिकेट बनवाना इनके लिए चुटकियों का खेल है. इसी के साथ रोहिग्यांओं ने फर्जी कागजातों के सहारे पासपोर्ट तक बनवा लिए. मेरठ से बने पांच पासपोर्ट का किसी को कुछ पता ही नहीं चला, लेकिन एटीएस ने पूरे मामले का पर्दाफाश कर दिया है कि कैसे रोहिग्यांओं ने फर्जी पासपोर्ट बनवाने का खेल रचा. 


क्या है पूरा मामला?
बता दें कि रोहिंग्याओं का म्यांमार से मेरठ तक एक बड़ा जाल फैला हुआ है. साथ ही सरकारी सिस्टम में भी रोहिंग्याओं की मजबूत पैठ बनी हुई है और मेरठ रोहिंग्याओं के लिए सबसे सुरक्षित शहर बन गया है. दरअसल साल 2021 में जब एटीएस ने म्यांमार से मानव तस्करी और हवाला कारोबार के आरोप में चार रोहिंग्याओं को गिरफ्तार किया था. ये रोहिंग्या म्यामांर से नौकरी दिलाने के नाम पर मानव तस्करी कर रहे थे, इनके पास से एटीएस को पासपोर्ट मिले और उसी पासपोर्ट ने रोहिंग्याओं के मेरठ कनेक्शन से तार जोड़ दिए.


एटीएस ने एक सूचना के आधार पर 2021 में रोहिंग्या हाफिज शफीक, अजीजुर्ररहमान, मौहम्मद इस्लाम और मुजफुर्ररहमान को गिरफ्तार किया था. पूछताछ में कई बड़े खुलासे हुए, जिसने सुरक्षा एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया. रोहिंग्या हाफिज शफीक का पासपोर्ट मेरठ से बनाया गया. एटीएस ने मेरठ के अफसरों से सम्पर्क कर इस मामले की जांच के आदेश दे दिए. मामले की जांच हुई तो पता चला कि लिसाड़ी गेट इलाके से ही ये पासपोर्ट बनाया गया था, पुलिस ने वैरिफिकेशन भी किया और पासपोर्ट को हरी झण्डी मिल गई. जांच और आगे बढ़ी तो पता चला कि रोहिंग्या अबू आलम, उसका बेटा मौहम्मद अजीज, रिहाना और रोमिना के भी फर्जी कागजातों के आधार पर पासपोर्ट बनवा लिए गए थे.


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रोहिग्यांओं ने फर्जी पासपोर्ट बनवाने का ऐसे रचा खेल
रोहिंग्याओं ने पासपोर्ट बनवाने लिए कागजी कार्रवाई इतनी मजबूत की, कि किसी को शक भी नहीं हुआ. शक होता भी कैसे, क्योंकि उनके पास आधार कार्ड, पैन कार्ड, राशनकार्ड और जन्म प्रमाण-पत्र भी था. इसलिए पासपोर्ट बनवाने में कोई दिक्कत नहीं आई, इससे साफ हो जाता है कि सरकार सिस्टम में भी रोहिंग्याओं ने मजबूत घुसपैठ कर रखी है. चूंकि मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ था, इसलिए तमाम सुरक्षा एजेंसियां भी चौकन्नी हो गई. मामला गंभीर भी है कि आखिर रोहिंग्याओं ने कितनी आसानी से मेरठ से पासपोर्ट बनवा लिए और किसी को कानोकान खबर तक नहीं लगी.


पासपोर्ट बनवाने के लिए रोहिंग्याओं ने पहले ही तैयारियां कर ली थी और जब पासपोर्ट बनवाने का नंबर आय तो उनके पास वो हर सरकारी दस्तावेज मौजूद था, जो पासपोर्ट बनवाने लिए जरूरी था. ये पासपोर्ट साल 2016 में बनवाए गए और इसमे पुलिस वैरिफिकेशन को बड़ी लापरवाही माना गया, एसपी सिटी विनीत भटनागर को जांच सौंपी गई तो चार दरोगा दोषी पाए गए और उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए आला अधिकारियों को रिपोर्ट भेज दी गई.


अब इस मामले की भी जांच की जा रही है कि रोहिंग्याओं के सिस्टम को मेरठ में कौन ऑपरेट कर रहा है और पुलिस के साथ-साथ नगर निगम सहित वो कौन से विभाग हैं, जहां चंद सिक्कों की खातिर महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेज बड़ी ही आसानी से बनाए जा रहें हैं. म्यामांर से जुड़े मेरठ के इस कनेक्शन ने मेरठ पुलिस ही नहीं खुफिया विभाग की भी टेंशन बढ़ा दी कि आखिर फर्जी कागजात तैयार कराने का ये खेल कब से चल रहा है. इस खुलासे ने ये भी साबित कर दिया है कि रोहिंग्याओं के मेरठ में मजबूत होते कनेक्शन को तोड़ना आसान नहीं है, एटीएस ने तो अपना काम कर दिया, लेकिन अब बड़ी जिम्मेदारी मेरठ पुलिस के कंधो पर आकर टिक गई है.


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