Medicine Crisis In Meerut: मेरठ में टीबी मरीजों के सामने दवाई का संकट, शासन से आपूर्ति हुई कम, बढ़ सकती है परेशानी
UP News: मेरठ के 9586 टीबी मरीजों के सामने अब दवा का संकट खड़ा हो गया है. शासन की तरफ से दवा आपूर्ति नहीं होने से टीबी मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
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Meerut News: मेरठ में टीबी रोगियों के सामने दवाई का संकट खड़ा हो गया है. शासन से दवाइयों की आपूर्ति कम होने से टीबी मरीज परेशान हैं कि आने वाले समय में क्या होगा. टीबी के मरीजों की दवाइयों की आपूर्ति क्यों कम हो रही है इसका जवाब किसी के पास नहीं है. स्वास्थ्य महकमा हो या टीबी मरीज सभी परेशान हैं. फिलहाल इस समस्या से निजात कब तक मिल पाएगा कह पाना थोड़ा मुश्किल होगा.
मेरठ में टीबी के 9,586 मरीजों का इलाज चल रहा है. सरकारी अस्पताल में टीबी मरीजों को निशुल्क दवाईयां दी जाती हैं. मरीजों को एक एक महीने की दवाईयां दी जाती थी, लेकिन शासन से दवाइयों की आपूर्ति कम होने से टीबी मरीजों के सामने संकट खड़ा हो गया है. उन्हें अब 8 से 10 दिन की ही दवाई दी जा रही है. कुछ मरीज ऐसे हैं कि जो टीबी की दवाई लेने रोज अस्पताल पहुंच रहे हैं. मरीजों को बस इतना आश्वासन दिया जा रहा है कि कुछ दिन की दिक्कत है सब ठीक हो जाएगा.
नए 6,231 टीबी मरीजों की दवाई होनी है शुरू
जिले में 6.231 नए मरीज की भी दवाई शुरू होनी है, लेकिन आपूर्ति कम होने और दवाइयों का संकट होने से नए मरीजों के सामने परेशनी पहाड़ की तरह सामने खड़ी है. ये संकट कई दिनों से बना हुआ है. दरअसल, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से सीएमएसएस के जरिए टीबी की दवाइयां खरीदी जाती हैं, इसके बाद शासन स्तर से इन दवाइयों को यूपी के अलग अलग जिलों में भेजा जाता है. शासन स्तर से दवाइयों की आपूर्ति बेहद ना के बराबर हो गई है, जिससे टीबी रोगी परेशान हैं कि यदि उन्हें निशुल्क दवाईयां नहीं मिली तो क्या होगा. बाजार से महंगी दवाई लेना उनके लिए बेहद मुश्किल है.
खतरनाक होता है टीबी की दवाई बीच में छोड़ना
टीबी के मरीजों की दवाई बीच में छूट जाए तो ये बेहद खतरनाक होता है. मरीज को उसके वजन के हिसाब से दवाई दी जाती है और कई महीने तक टीबी का उपचार चलता है. यदि किसी कारणवश टीबी के मरीज की दवाई बीच में बंद हो जाए तो ड्रग रेसिस्टेंट टीबी विकसित हो सकती है, जो बेहद खतरनाक हो सकती है. बताया ये भी जा रहा है कि बाजार में भी टीबी की दवाई की उपलब्धता कम हो गई है, लेकिन क्यों इसका जवाब किसी के पास नहीं है.
टीबी के जिन पुराने मरीजों की दवाईयां चल रही है उनके लिए दवाइयों का संकट कम करने को सीएमओ डॉक्टर अखिलेश मोहन ने सीएमओ ऑफिस के फंड, जिला अस्पताल और जिला महिला अस्पताल के फंड से करीब सात लाख रुपए की दवाईयां खरीदी हैं. शासन से सीएमओ को लोकल स्तर पर दवाइयां खरीदकर टीबी के मरीजों को देने के लिए कहा गया था. सीएमओ डॉ अखिलेश मोहन का कहना है कि टीबी मरीजों को दिक्कत न हो इसलिए लगातार शासन में बात की जा रही हैं. उनका कहना है कि जल्द टीबी की दवाई काका संकट खत्म हो जाएगा.
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