(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Meerut: मेरठ में फर्जीवाड़े की बड़ी खबर, नामचीन डॉक्टरों की डिग्री का इस्तेमाल कर झोलाछाप डॉक्टर कर रहे ऑपरेशन, ऐसे हुआ खुलासा
UP News: यूपी के मेरठ में फर्जीवाड़े की बड़ी खबर सामने आई है. नामचीन डॉक्टरों की डिग्री का इस्तेमाल करके यहां झोलाछाप डॉक्टरों ने मरीजों के ऑपरेशन तक कर दिए है. जिसके बाद मामले की जांच की जा रही है.
Meerut News: मेरठ के नटवरलाल अस्पतालों ने आयुष्मान भारत योजना में ही फर्जीवाड़ा कर डाला है. नामचीन डॉक्टरों की डिग्री का इस्तेमाल करके यहां झोलाछाप डॉक्टरों ने मरीजों के ऑपरेशन तक कर दिए है. मामला सामने आया तो आनन-फानन में जांच शुरू की गयी है. फिलहाल दो प्राइवेट नर्सिंग होम का लाइसेंस निरस्त कर सील लगा दी गई है.
क्या है पूरा मामला?
मेरठ के नामचीन यूरो सर्जन डॉ0 शरतचन्द्र गर्ग बीते कई सालों से केवल एक अस्पताल में ही अपनी सेवाएं देते है. शनिवार को उनके पास प्रास्टेट सर्जरी में ब्लीडिंग का एक मरीज आया. मरीज की मेडिकल हिस्ट्री देखी गयी तो कागजों से पता चला कि शहर के श्री भूषण अस्पताल में आयुष्मान योजना के तहत मरीज की सर्जरी भी डॉ0 गर्ग ने ही की है. एक बार तो उनको यकीन ही नही हुआ. लेकिन जब श्री भूषण अस्पताल के मालिक से बात की गयी तो वह अपने फर्जीवाड़े को गलती बताकर माफी मांगने लगा. लेकिन मामला यहीं तक सीमित नहीं था. मवाना के कमल नर्सिंग होम में भी डॉ0 गर्ग की फर्जी मुहर और दस्तखत वाली डिस्चार्ज स्लिप वाला एक और सर्जरी का मरीज सामने आया है.
आईएमए और जिले के सीएमओ से जब इस मामले में शिकायत हुई तो आनन-फानन में जांच शुरू की गयी. पता चला कि दोनो अस्पतालों ने डॉ0 शरतचन्द्र गर्ग का फर्जी एफीडेविट और असली डिग्री स्वास्थ्य विभाग में लगाकर उन्हें आयुष्मान भारत योजना के पैनल में शामिल कराया हुआ है. दोनों मरीज नही जानते कि उनकी सर्जरी करने वाला कौन है लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने बिना वेरीफिकेशन के डॉ0 गर्ग के कागजात अपने यहां सबमिट करके योजना के पैनल में शामिल कर लिया. योजना के आपरेशन का पैसा किस खाते में जाता है और कौन है जो असली दस्तावेजों की आड़ में मरीजों की जिंदगी से खेल रहा है.
दोनों नर्सिंग होम के खिलाफ होगी कठोर कार्रवाई
स्वास्थ्य विभाग अपनी लापरवाही पर अब खुद ही जांच करने में जुटा है. फिलहाल स्वास्थ्य विभाग ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि दोनो प्राइवेट नर्सिंग होम के खिलाफ प्रारंभिक कार्यवाही करते हुए उनके लाइसेंस निरस्त करते हुए सील लगा दी गई है. सीएमओ मेरठ डॉ अखिलेश मोहन ने जानकारी देते हुए बताया कि शनिवार को मेरे संज्ञान में ये मामला आया है कि एक प्राइवेट अस्पताल के अंदर एक न्यूरोलॉजिस्ट के नाम से ऑपरेशन हुआ और उस ऑपरेशन में कॉप्लीकेशन हुआ, उसके बाद उस पेशेंट को रेफर कर दिया गया, ये देखने में आया कि वो डॉक्टर जिनके नाम से ये ऑपरेशन हुआ वो उस अस्पताल में नहीं हैं. इसके लिए मैंने कमेटी बनाकर जांच बैठा दी है, उस अस्पताल को जो लाइसेंस है उसे सस्पेंड करने का आदेश कर दिया गया है, और जब जांच रिपोर्ट आ जाएगी तो उसके आधार पर भी कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी.
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