मेरठ: आगामी पांच अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का कार्य शुरु होगा. इससे पहले जगह-जगह की मिट्टी नींव में भरने के लिए अयोध्या भेजी जा रही है. मेरठ के गगोल तीर्थ की मिट्टी भी अयोध्या भेजी गई है. गगोल तीर्थ देश के महत्वपूर्ण तीर्थों में से एक है. मान्यता है कि भगवान राम ने इस जगह पर दानवों का संहार किया था.
पांच अगस्त की तारीख का सभी को इंतज़ार है. हो भी क्यों न क्योंकि इस दिन भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या में राम के भव्य मंदिर का निर्माण शुरु होगा.
देश के सभी तीर्थों की मिट्टी भी मंदिर की नींव में भरी जाएगी. इसी कड़ी में मेरठ के गगोल तीर्थ की मिट्टी भी अयोध्या भेजी गई है. मान्यता है कि जब गगोल तीर्थ पर श्रीराम के चरण पड़े थे तो विश्वामित्र के यज्ञ कुण्ड की रक्षा हुई और दानवों का संहार हुआ.
विश्वामित्र की यहां पूजा की जाती है
गगोल तीर्थ देश भर में इकलौता ऐसा स्थान है जहां आज भी विश्वामित्र की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इसी स्थान पर विश्वामित्र का यज्ञ कुण्ड हुआ करता था और उनके यज्ञ को ही मयदानव और अन्य राक्षस खंडित किया करते थे.
जब प्रभु राम और लक्ष्मण यहां आए तो उन्होंने न सिर्फ यज्ञ की रक्षा की. बल्कि दानवों का संहार भी किया. यही नहीं, इसी स्थान पर प्रभु राम ने एक ऐसा तीर भी चलाया जिससे यहां एक सरोवर का निर्माण हुआ. इस सरोवर में आज भी हमेशा पानी मौजूद रहता है.
दीपावली से पहले होगी दीपावली
अब संतों को इंतज़ार है, उस पल का जब इसी मेरठ की मिट्टी अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण की नींव में भरी जाएगी. संतों का कहना है कि पांच अगस्त की तारीख का तो वो पीढ़ियों से इंतज़ार कर रहे थे.
संतों का कहना है कि इस बार पांच अगस्त को दीपावली के पहले ही एक और दीपावली मनाई जाएगी और समूचा गगोल तीर्थ दीयों की रोशनी से जगमगाएगा. संतों का कहना है कि मेरठ महानगर के अंदर 510 भगवा ध्वज पताकाये लहराएंगी. 500 स्थानों पर हनुमान चालीसा व सुंदरकांड का पाठ किया जाएगा.
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