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मेरठ के कृषि विवि में अद्भुत नजारा, मां के साथ मंच पर गोल्ड मेडल लेने पहुंचीं टॉपर बेटियां

मेरठ के सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में उस वक्त अद्भुत नजारा देखने को मिला जब अपनी मां के साथ टॉपर बेटियां कुलपति से मेडल लेने पहुंचीं.

मेरठ: बेटियां हर क्षेत्र में नाम रोशन कर रही हैं. अब कृषि के क्षेत्र में भी बेटियों का डंका बज रहा है. मेरठ के सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में उस वक्त अदभुत नजारा देखने को मिला जब अपनी मां के साथ टॉपर बेटियां कुलपति से मेडल लेने पहुंचीं. ये बेटियां कृषि वैज्ञानिक बनकर किसानों के लिए आजीवन कार्य करना चाहती हैं.

टॉप मेडलिस्ट में बेटियों का नाम इस दीक्षांत समारोह में यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भी वर्चुअली संबोधित किया. कुलाधिपति ने सात छात्र-छात्राओं को मेडल और 302 छात्र-छात्राओं को डिग्री प्रदान की. कुलाधिपति स्वर्ण पदक मेरठ की टॉपर प्रिय शर्मा को मिला. कुलपति स्वर्ण पदक स्नेह यादव को मिला. कुलपति रजत पदक विपिन कुमार और कुलपति कांस्य पदक भी प्रिया शर्मा को मिला. कुलपति स्वर्ण पदक अनमोक सैनी. कुलपति रजत पदक विनीष रंजन श्रीवास्तव को और श्वेता यादव को कुलपति कांस्य पदक मिला. टॉप मेडलिस्ट में बेटियां ही रहीं.

बेटी के फैसले पर गर्व बातचीत में कुलाधिपति स्वर्ण पदक विजेता प्रिया शर्मा ने बताया कि वो पीएम मोदी को प्रेरणास्रोत मानती हैं और किसानों की आय को बढ़ाना अपने जीवन का लक्ष्य समझती हैं. प्रिया ने बताया कि वो कृषि वैज्ञानिक बनकर देश के किसानों को उन्नत खेती के गुर सिखाना चाहती हैं. प्रिया की मां का कहना है कि आज उन्हें गर्व महसूस हो रहा है. उन्होंने पहले कहा था कि वो आईएएस की तैयारी करे. लेकिन, आज जब बिटिया ने कृषि के क्षेत्र में कामयाबी की उड़ान भरी है तो उन्हें अपनी बेटी के फैसले पर गर्व हो रहा है.

परंपरागत सोच से हटकर कार्य करना है बेटियों की तारीफ करते हुए कुलाधिपति और यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि अब हमें परंपरागत सोच से हटकर कार्य करना है. केवल परंपरागत सोच से हम विश्व स्पर्धा में नहीं टिक सकते. आज देश आत्मनिर्भर भारत की ओर अग्रसर है. हमारे कार्य ऐसे होने चाहिए कि हम आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना में भागीदार बन सकें. उन्होने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां कृषि, अर्थव्यवस्था को एक मजबूत आधार देती है. उन्होंने कहा कि वर्तमान कोविड-19 महामारी के समय जब अधिकांश क्षेत्रों की प्रगति ऋणात्मक थी वहीं कृषि क्षेत्र का योगदान सकारात्मक रहा.

उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखनी होगी राज्यपाल ने कहा कि कृषि व्यवसाय को आधुनिकता देकर अधिक लाभकारी बनाना समय की मांग है. खेती को नया स्वरूप देना आवश्यक है. वैश्विक स्पर्धा में बने रहने के लिए हमें अपने उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखनी होगी. उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादों में मूल्य संवर्धन कर उनकी बर्बादी को भी कम किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश बेहतरीन प्राकृतिक संसाधनों के कारण कृषि के लिए एक अग्रणी क्षेत्र है. ये क्षेत्र उत्तर प्रदेश के कृषि उत्पादन में मुख्य रूप से योगदान देता आ रहा है. आवश्यकता इस बात की है कि विश्वविद्यालय स्तर पर इस प्रकार के शोध किए जाएं जो कि समय और मांग के अनुसार हों और उनको अपनाकर आय अर्जन में बढ़ोतरी हो सके.

भारतीय कृषि तेज गति से आगे बढ रही है मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए डॉक्टर त्रिलोचन महापात्र ने कहा कि भारतीय कृषि तेज गति से आगे बढ रही है. देश की जीडीपी में कृषि क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण योगदान है. कोविड के दौरान किसानों ने खेतों पर कार्य किया उसी के कारण आज भारत की कृषि क्षेत्र में जीडीपी 4 प्रतिशत है. इसके लिए उन्होंने किसानों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि आज देश में 320 मीलियन टन बागवानी के उत्पाद, 6 प्रतिशत दूध उत्पादन में वृद्धि हुई है. 10 प्रतिशत मछली पालन में वृद्धि हुई है जिसके पीछे किसान और वैज्ञानिकों को अथक प्रयास है.

विश्वविद्यालय चहुमुखी विकास के साथ आगे बढ रहा है विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर आर के मित्तल ने अपने सम्बोधन में कहा कि इस दीक्षांत समारोह में 175 छात्र-छात्राओं को स्नातक और 127 छात्र छात्राओं को स्नातकोत्तर की उपाधियां प्रदान की गई हैं. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय चहुमुखी विकास के साथ आगे बढ रहा है. आईसीएआर की रैकिंग के अनुसार प्रदेश में इसका प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है. पूरे भारत की रैकिंग में ये 17 वें स्थान पर है.

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