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मिडिल ईस्ट के तनाव पर मेरठ के स्पोर्ट्स इंडस्ट्री पर असर, जानें कितने का है कारोबार?

Middle East Conflict on Meerut Industry: मिडिल ईस्ट में छिड़ी युद्ध से पूरी दुनिया के कारोबारी परेशान हैं. भारत भी इससे अछूता नहीं है. मेरठ की स्पोर्ट्स इंडस्ट्री भी इससे काफी प्रभावित हुई है.

Meerut News Today: इजरायल का हमास, लेबनान और अब ईरान के साथ युद्ध छिड़ गया है. इस युद्ध का असर मिडिल ईस्ट के साथ पूरी दुनिया पर असर देखने को मिल रहा है. भारत भी इस युद्ध के प्रभाव से अछूता नहीं है. मेरठ की स्पोर्ट्स इंडस्ट्री इस युद्ध की तरफ आंखे गड़ाए बैठी है, इसकी वजह यह है कि युद्ध लंबा खिंचा तो बड़े नुकसान के आसार है.

मेरठ के स्पोर्ट्स कारोबारी और स्पोर्ट्स इंडस्ट्री पर इस युद्ध का क्या असर होगा? इसकी ग्राउंड जीरो पर एबीपी लाइव ने पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले बातें सामने आई हैं. स्पोर्ट्स गुड्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के वाइस चेयरमैन सुमनेश अग्रवाल ने पूरी हकीकत बयान की.

मेरठ की स्पोर्ट्स इंडस्ट्री की पूरी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान है. इसीलिए पूरी दुनिया में मेरठ के खेल के सामानों की खासी डिमांड है. यूरोप की बात करें तो मेरठ से खरबों के खेल का सामान सप्लाई होता है. 

युद्ध ने बिगाड़ा खेल
स्पोर्ट्स गुड्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के वाइस चेयरमैन सुमनेश अग्रवाल के मुताबिक, सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन अचानक इजरायल और हमास के बीच जंग छिड़ गई. इस जंग का सबसे बड़ा असर स्वेज नहर से जाने वाले सामान पर पड़ा.

सुमनेश अग्रवाल ने स्वेज नहर से गुजरते वक्त एक डर बना रहता है कि कब जहाज बम पर गिर जाए किसी को नहीं पता है. इसलिए स्वेज नहर से जहाज आने जाने बंद हो गए.

स्पोर्ट्स गुड्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के वाइस चेयरमैन सुमनेश अग्रवाल ने कहा कि यूरोप के लिए मेरठ से खेल का बहुत सामान जाता है. स्वेज नजर से पानी के जहाज कंटेनर 18 से 22 दिन में पहुंच जाते थे, लेकिन जंग तो जंग होती है, इसलिए मजबूरी में स्वेज नहर का रास्ता बदलना पड़ा.
 
उन्होंने बताया कि अब पानी के जहाज लाल सागर से होकर जा रहें हैं. कंटेनरों को यूरोप पहुंचने में 40 से भी ज्यादा दिन लग रहें हैं. सुमनेश अग्रवाल के मुताबिक, क्रिकेट के सामान का कंटेनर दो महीने में वेस्टइंडीज की तरफ पहुंच जाता था, लेकिन तीन महीने हो गए नहीं पहुंचा, उम्मीद है जल्द पहुंच जाए.

मिडिल ईस्ट से कारोबार के आंकड़े
स्पोर्ट्स गुड्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के वाइस चेयरमैन सुमनेश अग्रवाल ने बताया कि इजरायल की बात करें तो वहां पिछले साल 15 करोड़ का खेल का सामान भेजा गया था, जो इस बार घटकर मात्र आठ करोड़ रह गया. उन्होंने कहा कि युद्ध के मैदान में कौन खेल खेलना चाहेगा. 

अग्रवाल ने बताया कि इजरायल में बॉक्सिंग और फिटनेस का बड़ा सामान जाता है और इसमें मेरठ की बड़ी भागीदारी है, लेकिन युद्ध के बाद से हालात बदलने लगे हैं. यूनाइटेड अरब अमीरात में करीब 28 करोड़ 44 लाख का खेल का सामान सप्लाई हुआ.

सुमनेश अग्रवाल ने बताया कि सउदी अरब के लिए करीब 14 करोड़, तुर्की में करीब 6 करोड़ 86 लाख, कतर में तीन करोड़ 80 लाख, ओमान में तीन करोड़ 16 लाख, कुवैत में करीब दो करोड़ 2 लाख, लेबनान में करीब 68 लाख, बहरीन में करीब 42 लाख का खेल का सामान सप्लाई हुआ था. 

यह आंकड़ा पूरे देश से सप्लाई होने वाले खेल के सामान का है, लेकिन इसमें मेरठ की भागीदारी 60 फीसदी से ज्यादा का है. मिडिल ईस्ट में टेबिल टेनिस, कैरमबोर्ड, फुटबॉल, जिम के सामान की बड़ी डिमांड है. युद्ध लंबा चला तो 100 करोड़ का कारोबार प्रभावित हो सकता है, इससे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.

स्पोर्ट्स कारोबार से जुड़े हैं 2 लाख लोग
मेरठ के स्पोर्ट्स कारोबार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 25 किलोमीटर के रेडियस में करीब 25 हजार छोटी और बड़ी फैक्ट्रियां हैं. इन फैक्ट्रियों से करीब दो लाख लोगों को रोजगार मिलता है. अब देर से खेल के सामान की डिलीवरी होने लगी है, पेमेंट भी देर से आने लगी है. मिडिल ईस्ट में खेल के सामान की डिमांड घटती जा रही है. 

सुमनेश अग्रवाल ने बताया कि अगर जंग लंबी चली तो बहुत संकट आ जाएगा, बल्क के जो ऑर्डर हैं वो कम हो जाएंगे. पेमेंट देर से आने से भी प्रभाव पड़ेगा और इंडस्ट्री ही नहीं आखिरी पंक्ति में खड़ा शख्स भी प्रभावित होगा. फैक्ट्री कम चलेगी तो लेबर कम करने पड़ेंगे, खर्चे कैसे कम किए जाएंगे ये सोचना पड़ेगा.

कंटेनर का किराया 4000 डॉलर पहुंचा
युद्ध से पहले कंटेनर पानी के जहाज से स्वेज नजर से होते हुए यूरोप जा रहे थे. तब कंटेनर का किराया 800 डॉलर था, लेकिन जैसे ही कंटेनर लाल सागर से जाने लगे तो दूरी भी बढ़ गई और किराया भी. सुमनेश अग्रवाल ने बताया कि 800 डॉलर में जाने वाला कंटेनर अब दूसरे रास्ते से यूरोप 4000 डॉलर में पहुंचता है.

कुरियर कंपनी ने भी बढ़ाया किराया
अग्रवाल ने बताया कि अब अगर किसी को यूरोप में खेल का सामान जल्दी चाहिए तो हवाई जहाज ने भी किराया बढ़ा दिया. कुरियर कंपनियों ने भी आठ गुने तक की वृद्धि कर दी है. लोग यही कह रहें हैं कि हिंदुस्तान से खेल का सामान देर से आ रहा है और इसके लिए हमें कसूरवार ठहराया जा रहा है. 

उन्होंने कहा कि युद्ध लंबा चला तो इसकी मार स्पोर्ट्स कारोबार के साथ अन्य कारोबार पर भी पड़ेगा. इसकी वजह से तेल के दाम के साथ अन्य चीजें भी मंहगी होंगी. उन्होंने कहा कि अब हमारे हाथ में कुछ नहीं है, बस नजर बनाए हुए हैं. 

ये भी पढ़ें: 'राहुल-अखिलेश सत्ता से 20 साल रहेंगे दूर', योगी के मंत्री के दावे से सियासी हलचल तेज

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