मेरठ: ये कहानी है मेरठ के ऐसे दो जुड़वा भाइयों की जो बचपन से ही न ठीक से चल सकते हैं और न ही ठीक से उठ-बैठ सकते हैं. यहां तक कि इन दोनों जुड़वा भाइयों को बोलने में भी तकलीफ होती है. लेकिन 2014 में मोदी सरकार आने के बाद इन्हें एचआरडी मिनिस्ट्री से सम्मान क्या मिला ये कामयाबी की उड़ान भरने लगे. ऐसी उड़ान कि आप जानकर आश्चर्यचकित हो जाएंगे. इसीलिए तो ये पीएम मोदी को गुरु के साथ साथ ये दिव्यांग जुड़वा भाई भगवान की तरह पूजते हैं. पढ़ें एबीपी गंगा की खास रिपोर्ट.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मानते हैं गुरु
गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाएं. बलिहारी गुरु आपको गोविंद दियो बताए. आपने एकलव्य की कहानी सुनी होगी, जिन्होंने द्रोणाचार्य की मूर्ति को गुरु की तरह पूजा और ऐसे धनुर्धर बने कि इतिहास आज भी याद रखता है. आज हम आपको ऐसे दो दिव्यांग जुड़वा भाइयों के बारे में बताने जा रहे हैं जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को गुरु के रुप में भगवान मानते हैं.
एक चिट्ठी ने बदल दी जिंदगी
ये कहानी मेरठ के दो जुड़वा दिव्यांग भाइयों आयूष और पीयूष की है. आयूष और पीयूष को सेरेब्रल पॉल्सी नाम की गंभीर बीमारी है. इस बीमारी की वजह से आयूष और पीयूष बचपन से ही न ठीक से चल सकते हैं, न उठ-बैठ सकते हैं. यहां तक कि वे ठीक से बोल भी नहीं सकते. लेकिन दो हज़ार चौदह में मोदी सरकार बनने के बाद उन्हें एचआरडी मंत्रालय की तरफ से एक चिट्ठी क्या मिली उनके जीवन की दिशा ही बदल गई. इस चिट्ठी ने इन दोनों जुड़वा भाइयों को ऐसी प्रेरणा दी कि आज ये पोस्ट ग्रेजुएट होने की राह पर हैं.
इन दोनों जुड़वा भाइयों का कहना है कि उनके जीवन में सिवाय निऱाशा के और कुछ बाकी नहीं रह गया था लेकिन मोदी जी के व्यक्तित्व ने उन्हें ऐसा प्रेरित किया कि वो उन्हें अपना गुरु मन ही मन मानने लगे. और उन्हीं की बदौलत तमाम कठिन हालातों का मुकाबला करते हुए अपने लक्ष्य को हासिल करने में जुटे हुए हैं. आयूष और पीयूष का कहना है कि यूं तो उनके जीवन में आए सभी टीचर्स उनके लिए प्रेरणास्रोत हैं लेकिन मोदी जी को वो भगवान की संज्ञा देते हैं.
गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं दोनों भाई
सेरेब्रल पॉल्सी से जूझते जुड़वा भाई पीयूष और आयुष को माता पिता की शक्ति ने भी ताकतवर बना दिया. जिंदगी की जंग में दोनों भाई कदम मिलाकर चल रहे हैं तो इसके पीछे मां और पिता की ममता है. इन दोनों भाइयों की रगो में स्नेह की सरिता बह रही है.
मां का संघर्ष
बलवंतनगर निवासी आयुष और पीयूष अब पोस्ट ग्रेजुएट होने को हैं. वह जब पैदा हुए तो वजन महज 900 ग्राम था. ये शिशु इतने कमजोर थे कि कोई हाथ से उठाने में भी हिचकता था. बड़े हुए तो सेरेब्रल पाल्सी जैसे असाध्य रोग ने बचपन पर शिकंजा कसा. लेकिन इन सब परेशानियों को बचपन मां ने पानी की तरह आसान और शीतल बना दिया.
मां रोज फिजियोथेरपी कराने से लेकर स्कूल तक के सफर में हर क्षण साथ नजर आई. अमूमन इसे असाध्य बीमारी मानकर कई बार परिवार भी अपनी जिंदगी में रम जाता है. लेकिन यहां मां ने एक क्षण भी उन्हें नजरों से ओझल नहीं होने दिया. मां ने चेहरा देखकर अपने बच्चों के मन के हलचल को भांपा. दर्द को हरा और उम्मीदों को नई उड़ान दी.
पीएम से मिलने की इच्छा
आज दोनों भाई अपनी पढ़ाई के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी भाग लेने लगे हैं. शांत निकेतन विद्यापीठ में पढ़ने वाले दोनों भाई अपने हुनर और हौसलों से हर जगह सराहे जाते हैं. उनकी मंशा है कि जिंदगी की हर खुशियां वह अपने मां के कदमों में रख दें, जिनकी छांव में यह जीवन कंचन बन गया. साथ ही वो जीवन में एक बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलना चाहते हैं जिन्होंने उन्हें कर्म की सीख दी.
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