(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
मेरठ यूनिवर्सिटी की इस लाइब्रेरी में है अखबारों का अनूठा संग्रह, जानकर हैरान रह जाएंगे
विश्वविद्यालय के इस लाइब्रेरी में हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी के अखबारों का पचास साल से ज्यादा का संग्रह है. यही नहीं, कई बंद हो चुके अखबारों की दुर्लभ प्रतियां भी यहां सुरक्षित रखी गई हैं.
मेरठ: मेरठ की चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय स्थित राजा महेन्द्र प्रताप लाइब्रेरी की लाखों की संख्या में किताबों के साथ एक ऐसा खज़ाना है जो इस लाइब्रेरी को औरों से अलग कर देता है. यहां उन्नीस सौ अड़सठ से लेकर अब तक के सारे हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी के अखबार मौजूद हैं. लाइब्रेरी में आकर ऐसा लगता है जैसे हम 53 साल पहले 1968 के काल में लौट आए हों.
1968 से लेकर आज की तारीख तक सभी अखबार
विश्वविद्यालय स्थित इस लाइब्रेरी की जहां आपको करोड़ों की संख्या में ऐसे अखबार मिलेंगे जिसकी एक तस्वीर देखने कि लिए कोई भी तरस जाए. क्या आप यकीन करेंगे कि आज की तारीख में आपको उन्नीस सौ अड़सठ से लेकर अब तक का हर अखबार एक जगह मिल सकता है.
ऐसा संग्रह दुर्लभ
यकीनन आपको हैरत होगी लेकिन मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में 1968 से लेकर अब तक के सारे हिन्दी उर्दू अंग्रेज़ी के अखबार संजों कर रखे गए हैं. आप 1968 से लेकर अब तक कोई भी तारीख तय कर लें, यहां आपको मौजूद मिलेगा. राजा महेन्द्र प्रताप लाइब्रेरी के डिप्टी डायरेक्टर आई ए सिद्दीकी का दावा है कि देश में अखबारों का ऐसा विशाल कलेक्शन कहीं नहीं होगा. साथ ही यहां पर सभी चारों धर्मों के ग्रंथों के साथ-साथ भारी तादाद में हिंदी उर्दू और अंग्रेजी भाषाओं में महान लेखकों की किताबें उपलब्ध हैं.
कई बंद हो चुके अखबारों की प्रतियां
लेकिन इस लाइब्रेरी को देश की अन्य लाइब्रेरी से अलग इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि यहां पर वो सभी हिंदी, अंग्रेजी उर्दू के प्रांतीय व राष्ट्रीय अखबार उपलब्ध हैं, जो1968 से अब तक प्रकाशित हुए हैं, कुछ अखबार तो ऐसे हैं जो प्रकाशित हुए और कुछ वर्ष पहले बंद हो गए, लेकिन उनकी भी प्रत्येक दिन की कॉपी उपलब्ध है.
राजा महेंद्र प्रताप लाइब्रेरी में एक तरफ जहां पर हजारों की संख्या में किताबों का अंबार है, साथ ही लाइब्रेरी की ऑनलाइन साइट लगभग 30 लाख से ज्यादा किताबों के लिंक उपलब्ध हैं, जिसका छात्र और पाठक घर बैठे आसानी से लाभ उठा सकते हैं.
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