Meerut News: मेरठ में पीएम आवास योजना में बड़ा भ्रष्टाचार, सिंडिकेट बनाकर अफसरों ने लूटे करोड़ों रुपये
UP News: पीएम आवास योजना में हुए घोटाले पर मेरठ के डीएम ने सख्त एक्शन के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि एफआईआर भी कराएंगे और वसूली भी करेंगे, किसी को बख्शा नहीं जाएगा.
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Uttar Pradesh News: यूपी के मेरठ (Meerut) में पीएम आवास योजना में सरकारी धन की खूब बंदरबाट हुई. डूडा, नगर निगम और वॉबकोस कंपनी ने सिंडिकेट बनाकर खूब भ्रष्टाचार (Corruption) किया. करोड़ों रुपए मिलकर बांट लिए गए और नियम कायदे कानून ताक पर रखे गए. प्लॉट किसी का, फोटो किसी का और पैसे का लाभ किसी और को दे दिया गया. वॉबकोस, डूडा, नगर निगम मेरठ (Municipal Corporation Meerut) और सीएलटीसी ने मिलकर भ्रष्टाचार किया. मेरठ में ये भ्रष्टाचार योगी राज में कैसे किया गया एबीपी गंगा इसका खुलासा करने जा रहा है. पीएम मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के सपने पर मेरठ के भ्रष्ट अफसरों प्रहार करने में लगे हुए हैं. यहां गरीबों के आशियाने का पैसा अफसर जकरा गए. डूडा, नगर निगम मेरठ और प्राइवेट कंपनी वॉबकोस ने सिंडिकेट बनाकर यह खेल किया है और बड़ी बारीकी से भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया, लेकिन इसके सबूत एबीपी गंगा वे हाथ लगे गए हैं. योगीराज में प्रधानमंत्री आवास योजना में बड़ा घोटाला किया गया है.
पीएम मोदी अपना मकसद और सपना बताते हैं कि हर गरीब के सिर पर छत हो और हर गरीब के घर का सपना पूरा हो. यही मकसद पीएम मोदी का है, लेकिन मेरठ के अफसरों ने पीएम आवास निर्माण योजना में भी भषटाचार करने का बड़ा रास्ता निकाल लिया. यहां भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरी थीं. एबीपी गंगा के हाथ जो सुबूत लगे हैं उनकी तफ्तीश करने हम उन इलाकों में निकल पड़े जहां भ्रष्टाचार की कहानी इतनी बुलंद थी कि हमें भी यकीन नहीं था. मेरठ के मेडिकल क्षेत्र में प्रवेश विहार कॉलोनी में एक कोठी प्रधानमंत्री आवास निर्माण योजना से बनाई गई.कोठी पहले से ही बनी थी, लेकिन फोटो किसी और प्लाट पर खींचकर लाभ लिया गया. इस कोठी के नाम पर ढाई लाख का लाभ ले लिया गया. हमारे हाथ दो फोटो लगी जिसमें पीएम आवास निर्माण योजना का लाभ लेने का बोर्ड लगा था. मामला उठा तो साहब ने योजना के लाभ की घर के बाहर लगी प्लेट हटा दी.
पकड़ी गई झूठ की बात
चूंकि ये कोठी डूडा ऑफिस में तैनात सामुदायिक आयोजक रामेंद्र उर्फ रिंकू की है. अब साहब जब डूडा में तैनात हैं तो फिर भ्रष्टाचार का खेल खेलने में महारथ हासिल है. एबीपी गंगा का कैमरा चला तो असलियत खुद ही बताने लगे. यहां से हमारी टीम को लग गया कि भ्रष्टाचार बड़ा गहरा है. अब हमारे पास तीन और कागज थे, जिनपर जियाउलहक, शमशाद और दिलशाद लिखा था, लेकिन जिस प्लाट पर तीनों के फोटो खिंचाए वो प्लाट एक ही था. डूडा की टीम ने एंगल तो बदल दिए, लेकिन दीवार के ऊपर रखी टीन और काली पॉलीथिन पर नजर ही नहीं गई, जबकि इन तीनों लोगों को 2-2 लाख रुपए का लाभ दे दिया गया. बस यहीं से झूठ की कहानी पकड़ी गई. अब हमनें प्लाट और कागज का मिलान कराने के लिए पड़ोस में ही रहने वाले सईद चाचा से बात की तो उन्होंने बताया कि जिनका ये प्लाट है वो ऑटो चलाते हैं और मकान बनाने के लिए दर दर भटक रहे हैं.
अब जिस प्लाट का फोटो लगाकर पैसा लिया गया, वो आज भी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. हम जितना आगे बढ़ रहे थे उतनी ही भ्रष्टाचार की कहानी से पर्दा उठ रहा था. हमने शमशाद और दिलशाद को ढूंढ निकाला तो पता चला कि फोटो कहीं खींचकर लाभ कहीं और लिया गया. अब यदि इन लोगों पर आवेदन के वक्त खुद के प्लाट थे तो फिर दूसरी जगह फोटो खिंचाने की जरूरत क्यों पड़ी. चर्चा है कि मकान बने हुए थे, लेकिन लाभ लेने के लिए फर्जीवाड़ा किया और चर्चा ये भी है कि एक प्लाट पर पैसे का लाभ पहले लिया और प्लाट बाद में खरीदा.
अब जिस प्लॉट पर मेरठ डूडा और नगर निगम के अफसरों ने भ्रष्टाचार किया वह प्लाट कहीं मकान तो कहीं फोटो का खेल खेला. अब उस प्लाट के मालिक को भी ढूंढने की जद्दोजहद शुरू हुई. हमे कुछ दिन बाद फोन आया कि जिनका प्लाट है वे आ गए हैं. हम वहां गए तो हमारी मुलाकात महताब चाचा से हुई, तो उन्होंने जो कहानी बताई उससे ये लगा कि अधिकारी इसलिये इस प्लाट पर लाभ नहीं दे रहे, क्योंकि उन्हें भ्रष्टाचार करना था और किसी और के फोटो खींचकर लाभ किसी और को देना था, जो उनकी तरफ से दे भी दिया गया.
डीएम ने दिए जांच के आदेश
इसके बाद मेरठ के फतेउल्लापुर इलाके में हम अक्सा मस्जिद के पास पहुंचे तो यहां भी भ्रष्टाचार मिला. नदीम नाम के शख्स को डूडा के अफसरों ने पीएम आवास निर्माण योजना का लाभ दे दिया, लेकिन इसी प्लॉट पर अफसाना नाम की एक महिला को भी पैसे दिए गए. नदीम का मकान ज्यादातर बन गया, लेकिन 50 हजार की किश्त आनी बाकी है. नदीम उस बात पर चौंक गए जब उन्हें पता चला कि उनके प्लाट पर किसी अफसाना नाम की महिला को भी लाभ दिया गया है. चूंकि मामला बेहद गंभीर है और प्रधानमंत्री आवास निर्माण से जुड़ा है तो डीएम दीपक मीना ने मामले में जांच के आदेश दे दिए. कई लोगों को हटा दिया गया, जबकि बाकी पर जांच की तलवार लटकी और उनपर भी एफआईआर के निर्देश दिये गए हैं.
अब आपको बताते हैं नियम
नगर निगम पात्रों की जांच करता है, उसके बाद डीपीआर बनती है और फिर वॉबकोस कंपनी को जियोटेग करती है. इसके बाद पीएम आवास योजना में लाभार्थी को लाभ दिलाने का जिम्मा जियोटेगिंग के बाद टी एंड एम सर्विसेज प्राइवेट कंपनी के (सिटी लेवल टेक्निकल सेल) सीएलटीसी को डूडा के साथ मिलकर करना था, लेकिन जियोटेग एक्सेप्ट करने के दौरान ध्यान ही नहीं दिया, जबकि प्रथम लेवल की जियोटेग पोर्टल पर दर्शाई जाती है, उसको देखते हुए ही सेकेंड लेवल की जियोटेग एक्सेप्ट की जाती है और दूसरी किश्त जारी ली जाती है जिसका जिम्मा सीएलटीसी का होता है, लेकिन सब मिले हुए थे और जियो कॉर्डिनेट सिस्टम को फर्जी एप्लिकेशन और जीपीएस को बंद करके खेल खेला और जियोटेग एक्सेप्ट करने के दौरान बैकग्राउंड को नजरअंदाज कर दिया गया.
ऑफिस में बैठकर सत्यापन
जियोटेग के दौरान भी गड़बड़ी पकड़ी जा सकती थी, लेकिन किसी ने जानबूझकर ध्यान नहीं दिया. डूडा के साथ नगर निगम के अफसरों की भी जिम्मेदारी थी कि पैसा सही जगह जा रहा है या नहीं, लेकिन सभी मूकदर्शक बने रहे. नगर निगम वे अफसरो ने मौके पर जाने की बजाय ऑफिस में बैठकर सत्यापन कर दिया. मेरठ में अब तक 20 हजार 358 लोगों को पहली किश्त मिली है, जबकि 18 हजार 760 लोगों को दूसरी और 10 हजार 330 लोगों को तीसरी और अंतिम किश्त मिल चुकी है. पीएम आवास योजना में पहली किश्त 50 हजार, दूसरी किश्त डेढ़ लाख और तीसरी किश्त 50 हजार दी जाती है यानी ढाई लाख रुपया, लेकिन हर बार घोर लापरवाही की गई.
भ्रष्टाचार को दी खुली छूट
अब इस पूरे भ्रष्टाचार में एक सबसे बड़ी बात ये है कि जिस प्राइवेट कंपनी वॉबकोस को सूडा की तरफ से मेरठ के डूडा विभाग में तैनात किया वो कंपनी डूडा और नगर निगम के कुछ अफसरों के साथ मिलकर खूब लूट मचाती रही. अफसर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे और सरकारी धन को लूटते रहे. जीओ टैगिंग में सेंध लगा दी, सिस्टम को ब्रेक किया गया. अपात्रों को लाभ दिलाने और एक ही प्लाट पर कई लोगों को लाभ देने का षड्यंत्र रचा गया. नगर निगम मेरठ के अधिकारी भ्रष्टाचार की कहानी की जांच करने और रिपोर्ट बनाने जाते थे और सब ठीक है कि रिपोर्ट देकर आ जाते थे, क्योंकि सबको मिलकर सरकारी धन लूटना था. अब कंपनी के 15 से ज्यादा इंजीनियर कुछ दिन पहले हटा दिए गए. जब उन्हें हटाया गया तब पता चला कि उनके पास इंजीनियर की डिग्री ही नहीं थी. डूडा के और नगर निगम के अफसरों को बचा लिया गया, जबकि असली दोषी वो भी हैं क्योंकि जांच के नाम पर उन्होंने भी खानापूर्ति की और भ्रष्टाचार को खुली छूट दी. हालांकि डूडा के नए पीओ चंद्रभान वर्मा ने पुराने अफसरों का खेल पकड़कर जांच बैठा दी.
डीएम ने दिए कार्रवाई के निर्देश
मामला करोड़ो रुपये के भ्रष्टाचार का है. अपात्रों को नोटिस दिए जा रहे है और उनसे वसूली की तैयारी है, लेकिन जब सरकारी धन लूटा गया तब डूडा के अफसर कहां कुम्भकर्णी नींद सो रहे थे. प्राइवेट कंपनी वॉबकोस पर ही क्यों कार्यवाही की गई और डूडा व नगर निगम कर अफसर को क्यो क्लीन चिट दी गई. पीएम आवास निर्माण योजना में हुए घोटाले पर मेरठ के डीएम दीपक मीणा ने सख्त एक्शन के निर्देश दिए हैं. डीएम का कहना है कि इस मामले में एफआईआर भी कराएंगे और वसूली भी करेंगे, किसी को भी बक्शा नहीं जाएगा. वहीं बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने एबीपी गंगा पर बड़ा खुलासा होने के बाद मामले का संज्ञान लिया. उन्होंने एबीपी गंगा को बधाई दी और सरकार से एसआईटी गठन करने की मांग कर डाली है. डॉक्टर लक्ष्मीकांत वाजपेयी का कहना है कि मेरठ के अफसरों द्वारा इस घोटाले की जांच करना संभव नहीं है.
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