मेरठ: कोरोना काल मे रोजगार खो चुकी महिलाओं ने गोबर के दीपक बना कर सिर्फ रोजगार ही नहीं खोजा बल्कि पर्यावरण और स्वछ भारत के सपने को भी साकार किया और ये प्रेरणा उन्हें प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत से मिली.


ऑनलाइन बिक रहे हैं गोबर के दीपक और पेंट


इस बार दीपावली पर आप गाय के गोबर से बना हुआ दीपक जला सकते हैं. इस बार दीपावली पर आप अपने घर को गोबर से बने हुए डिस्टेंपर से पेंट भी करा सकते हैं. इसके लिए बस आपको ऑनलाइन शॉपिंग में जाकर बस एक ऑर्डर करना है.


आप सोच रहे होंगे कि गाय के गोबर से बना हुआ दीपक ऑनलाइन कैसे मिल सकता है. लेकिन जनाब मेरठ में एक गांव की महिलाओं ने ये सच कर दिखाया है. इन महिलाओं ने न सिर्फ गाय के गोबर से दीपक डिस्टेंपर आदि बनाए बल्कि इन उत्पादों को इंटरनेशनल बाज़ार में भी उतार दिया है.


मांग इतनी कि पूरी नहीं हो पा रही है


आज की तारीख में इनके पास गाय के गोबर से बने प्रोडक्ट की इतनी डिमांड है कि पूरा करना मुश्किल है. पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत को सूत्रवाक्य मानते हुए मेरठ की इन महिलाओं ने ये कमाल कर दिखाया है.


जिस गोबर को वेस्ट समझकर लोग जहां तहां फेंककर गंदगी करते हैं. उसी गोबर ने मेऱठ की ग्रामीण महिलाओं को नया रोज़गार दे दिया है. मेरठ के अम्हैड़ा गांव की महिलाओं ने गाय के गोबर से अपने लिए अवसर पैदा कर लिया है. क्या आप यकीन करेंगे कि गाय के गोबर से दीपक भी बनाया जा सकता है. क्या आप यकीन करेंगे कि गाय के गोबर से पेंट में इस्तेमाल होने वाला डिस्टेंपर बन सकता है.


शायद आपको ये सुनकर आश्चर्य हो रहा हो. लेकिन मेरठ के अम्हैड़ा गांव की महिलाओं ने गाय के गोबर से दीपक और पेंट में इस्तेमाल होने वाला डिस्टेंपर तैयार कर लिया है. न सिर्फ दीपक और डिस्टेंपर तैयार किया बल्कि गाय के गोबर से बने इस प्रोडक्ट को ऑनलाइन बाज़ार में भी उतार दिया.


नतीज़ा ये हुआ कि इन प्रोडक्ट की इतनी डिमांड आई कि पूरा करना मुश्किल हो गया. समाजसेवी अतुल शर्मा ने पीएम मोदी के आत्मनिर्भर अभियान को सूत्रवाक्य मानते हुए पहले अकेले ही ये शुरुआत की. बाद में कारवां बनता गया और आज की तारीख में वो ग्यारह महिलाओं को इसी कार्य से रोज़गार दिए हुए हैं.


गाय के गोबर और गौमूत्र से बने हुए दीपक से इतनी सोंधी ख़ुशबू आती है कि मानों आप किसी हवन कुंड के आसपास बैठे हों. गाय के गोबर से दीपक बनाने के लिए इसमें हवन में इस्तेमाल होने वाले कपूर इत्यादि भी मिलाया जाता है.


यही नहीं गाय के गोबर से बना हुआ दीपक जलने के साथ साथ सोंधी ख़ुशबू के साथ महकता भी है और ये दीपक तब तक जलता है जब तक ये राख न हो जाए. समाजसेवी अतुल शर्मा का कहना है कि ये दीपक ईंधन की तरह काम करता है. और इसी दीपक की वजह से कम से कम आज की तारीख में ग्यारह परिवारों का ख़र्चा चलता है. अतुल शर्मा का कहना है कि उनके साथ काम करने वाली महिलाएं रोज़ाना दो सौ से तीन सौ रुपए तक की कमाई करती है.


गाय की सेवा करने जैसा


गाय के गोबर से बना हुआ दीपक दो रुपए का जबकि डिस्टेंपर पचास रुपए किलो बिकता है. इस नेक कार्य में जुटी महिलाओं का कहना है कि उनके लिए ये गाय की सेवा करने जैसा ही है. इन महिलाओं का कहना है कि जिस प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ जैसे हों. जो गाय की सेवा को धर्म समझते हैं उस प्रदेश में इससे नेक कार्य और क्या हो सकता है?


जिस स्थान पर ये महिलाएं गाय के गोबर से दीपक और डिस्टेंपर बनाती हैं. वहां, सांझी चूल्हा चौकी देखकर भी आप दंग रह जाएंगे. यहां दीवारों पर हमारी प्राचीन गाय के गोबर से ही लेप किया गया है. महिलाओं का कहना है कि गाय के गोबर से लेप की वजह से यहां एक भी मच्छर आने की हिमाकत नहीं कर सकता. यही नहीं ये महिलाएं मुल्तानी मिट्टी बाहर फेंकी गई बोतलों से ऐसे ऐसे प्रोडक्ट बना रही हैं कि आपको नज़रे हटाने को जी नहीं करेगा.


ये प्रोडक्ट भी ये महिलाएं ऑनलाइन बेच रही हैं. वाकई में इन महिलाओं ने गाय के गोबर से वो कर दिखाया जिसके बारे में न जाने कितने पढ़े लिखे बुद्धिजीवी बस कागज़ों पर ही इसके निस्तारण की योजना बनाके रह जाते हैं. महिलाओं की इस टोली को एबीपी गंगा की तरफ से भी शुभकामनाएं.