डॉक्टर पापा की याद में तड़पती है, फिर भी लोगों को जागरूक करने में जुटी 6 साल की ये कोरोना फाइटर
डॉक्टर पापा की याद में तड़पती रहती है 6 साल कोरोना फाइटर आरोही। बता दें कि आरोही प्रयागराज के राजरूपपुर इलाके में रहती है। आरोही के पिता डॉ. कृष्णा खरे यूपी के ही चित्रकूट जिले में लैब टेक्नीशियन हैं।

प्रयागराज, मोहम्मद मोईन। लॉकडाउन की बंदिशें अगर आपको बेचैन कर रही हैं, अगर आपका मन लॉकडाउन में फंसे अपनों से मिलने के लिए मचल रहा है, तो कोई भी फैसला लेने से पहले संगम नगरी प्रयागराज की छह साल की मासूम बच्ची आरोही की बातों को सुन लीजिये। यूपी के ही चित्रकूट जिले के सरकारी अस्पताल में कोरोना की ड्यूटी कर रहे डॉक्टर पिता से मिलने के लिए ये मासूम दिन रात आंसू बहाती है। भगवान के सामने हाथ जोड़कर उनसे पापा का दीदार कराने की गुहार लगाती है। पापा की तस्वीर को हाथ में लिए घंटों निहारती रहती है, लेकिन यह सिक्के का सिर्फ एक पहलू है।
मासूम आरोही पापा से मिलने के लिए मचलती तो रहती है, लेकिन उसे इस बात का गर्व भी है कि उसके पापा इन दिनों धरती के भगवान बनकर कोरोना से परेशान लोगों की ज़िंदगी बचाने की मुहिम में जुटे हुए हैं। यही वजह है कि छह साल की यह बच्ची डॉक्टर्स के लिए इस्तेमाल होने वाली पीपीई किट की तर्ज पर तैयार हुई पारदर्शी ड्रेस को पहनकर और गले में पापा का आला लटकाकर सोशल मीडिया पर अपने वीडियो जारी करती है और लोगों से कोरोना की गंभीरता को समझते हुए लॉकडाउन का पूरी तरह से पालन करने और घर पर ही रहने की नसीहत देती है। मासूम आरोही के वीडियो सोशल मीडिया पर न सिर्फ खूब पसंद किये जा रहे हैं, बल्कि तोतली ज़ुबान में की गई उसकी अपील पर तमाम लोग अमल भी कर रहे हैं। लॉकडाउन का पालन करते हुए घर पर ही रहने, बाहर निकलने पर मास्क लगाने और सैनेटाइजर व हैंडवॉश के इस्तेमाल की अपील वाले आरोही के वीडियो सोशल मीडिया पर चर्चा का सबब बने हुए हैं। हर किसी को इस मासूम की अपील खासी प्रभावित कर रही है।
प्रयागराज के राजरूपपुर इलाके में रहने वाली छह साल की आरोही पहली क्लास में पढ़ाई करती है। आरोही के पिता डॉ. कृष्णा खरे यूपी के ही चित्रकूट जिले में लैब टेक्नीशियन हैं। इन दिनों उनकी ड्यूटी कोरोना संदिग्धों के सैम्पल लेकर उन्हें लैब भेजने में लगी हुई है। पिछले एक महीने से उन्हें कोई छुट्टी नहीं मिली है, इसलिए वह प्रयागराज में अपने परिवार से मिलने नहीं आ पाए हैं। लॉकडाउन से पहले डॉ. कृष्णा ज़्यादातर हर रोज़ अपडाउन कर लेते थे।
डॉ. कृष्णा की इकलौती बेटी आरोही अपने पापा की लाड़ली है। वह ज़्यादातर उन्हीं के हाथों से खाना खाती थी और उन्हीं के साथ सोती भी थी, लेकिन लॉकडाउन में कोरोना की इमरजेंसी ड्यूटी में लगे होने की वजह से वह पिछले कई दिनों से अपने पापा की सूरत भी नहीं देख सकी है। पापा को वह शिद्दत से याद करती है। उनकी याद में तड़पती रहती हैं। कभी फोन पर बात कर कुछ देर के लिए शांत हो जाती है, तो कभी पापा की तस्वीर को निहारकर। मासूम हाथ अक्सर घर के मंदिर में भगवान के सामने जुड़ जाते हैं। भगवान के दरबार में गुहार लगाते वक्त आरोही की आंखें अक्सर ही नम हो जाती हैं। मासूम को कभी मां सीमा खरे बहलाती हैं, तो कभी परिवार के दूसरे सदस्य समझाते हैं।
आरोही अपने पापा को खूब मिस तो करती हैं, लेकिन इस मासूम को इस बात का बखूबी एहसास है कि उसके पापा इन दिनों लोगों को नई ज़िंदगी देने और कोरोना से परेशान लोगों की मदद करने के मिशन का हिस्सा बने हुए हैं। इसलिए आरोही मासूमियत भरे अंदाज़ में कहती है कि उसे पापा पर गर्व तो है, फिर भी वह वह उन्हें खूब मिस करती है।
मासूम आरोही खुद भले ही पापा की एक झलक पाने को बेताब हो, लेकिन वह देशवासियों से लॉकडाउन पर सख्ती से अमल करने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील करती रहती है। अपनी अपील के लिए आरोही ने सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म्स का सहारा लिया है। वह परिवार से मदद लेकर अपनी अपील के वीडियो जारी करती हैं। अपने इन वीडियो संदेशों की वजह से आरोही को खूब वाहवाही मिल रही है। उसके वीडियो संदेश खासे पसंद किये जा रहे हैं। मासूम आरोही लोगों को यह सीख दे रही है कि वह कोरोना के मददगार नहीं बल्कि फाइटर बनें। छह साल की इस बच्ची का अनूठी अपील न सिर्फ प्रभावित करने वाली है, बल्कि हमें कुछ सोचने व सबक लेने के लिए इशारा भी करती है।
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