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फल की टोकरी में मां को लेकर चला घर की ओर, मिलिए लॉकडाउन के इस श्रवण कुमार से
काशी में एक मजदूर बेटा अपनी मां साइकिल के पीछे फलों की टोकरी में बैठ नेपाल अपने घर की ओर चला है। इस बेटे का नाम शेर सिंह और मां का नाम यशोदा है।
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वाराणसी, नितीश कुमार पाण्डेय। कोरोना से बचाव के लिए पूरे देश में लॉकडाउन जारी है और अब लॉकडाउन के तीसरे चरण की भी घोषणा हो चुकी है। इस बीच मजदूरों की घर वापसी की कई तस्वीरें देखने को मिल रही हैं, लेकिन वाराणसी की तस्वीर आपको श्रवण काल की याद दिलाएगी। पटना से वाराणसी के रास्ते नेपाल की ओर जाने वाला एक पुत्र मां के आदेश के बाद मां को फल की टोकरी में पीछे बैठाकर नेपाल की ओर निकल चुका है।
फल की टोकरी में मां को बैठाकर साइकिल से नेपाल की ओर निकला
कांधे पर कांवड़ और कांवड़ में माता-पिता को लेकर जाते हुए पुत्र को याद करते ही श्रवण कुमार की भक्ति सबके मन में जाग जाती है। काशी में भी कुछ ऐसा ही हुआ, जब एक मजदूर बेटे को अपनी साइकिल के पीछे फलों की टोकरी में बैठकर लोगों ने उसकी मां को ले जाते देखा। बेटे का नाम शेर सिंह और मां का नाम यशोदा है।
मां को घर पहुंचाने का संकल्प
पटना की निजी कंपनी में काम करने वाले शेर सिंह की पत्नी और बच्चे नेपाल में हैं, लेकिन मां उसके साथ थी। मां ने लॉकडाउन में घर की ओर जाने की इक्षा जताई, फिर क्या जैसा नाम वैसा इरादा चल दिये अपनी मां की घर पहुंचने की उम्मीदों को पूरा करने। पहले थोड़ा सोचा फिर मां को अपनी साइकिल धन्नो के पीछे कैरियर पर बंधी फल की टोकरी में रखा और निकल पड़े सैकड़ों मील के सफर पर।
सफर मुश्किल लेकिन इरादे फौलादी
लॉकडाउन में वाराणसी के ग्रामीण क्षेत्रों की ओर से मजदूरों के पलायन की अलग-अलग तस्वीर सामने आ रही है। मिर्जामुराद क्षेत्र में जब साइकिल पर सवार होकर जा रहे एक सख्श पर जब सबकी नजर पड़ी तो बस वहीं ठहरकर रह गयी । साइकिल चलाने वाला शेर सिंह पटना से अपनी मां को लेकर चला है और इसे नेपाल जाना है, शेर सिंह ने बताया कि नेपाल सीमा सील होने के कारण वो बनारस प्रतापगढ़,गोंडा बहराइच होते हुए नेपाल जाना चाहता है तेज धूप में मां को पीछे बैठकर मीलों साइकिल चलाने में थकान तो होती है लेकिन बीच बीच में रुक रुक कर पानी पीते और मां की सेवा करते आगे बढ़ते है शेर सिंह की माने तो मां के आशीर्वाद से जल्द ही नेपाल पहुंच जाएंगे।
लोगों ने शेर सिंह को बुलाया श्रवण कुमार
काशी से होकर गुजरने वाले शेर सिंह पर जब लोगों की नजर पड़ी तो शेर सिंह थोड़ा घबराया लेकिन काशी के लोगों ने जब उसे श्रवण कुमार कहकर बुलाया तो वो भावुक होकर आगे की ओर रवाना हो गया।
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