गोंडा. कोरोना काल में दूसरे शहरों से लौटे श्रमिकों को उनके घर में ही काम मिल सके इसके लिए प्रदेश सरकार उन्हें मनरेगा योजना के तहत काम देने का प्रयास कर रही है, लेकिन धरातल पर हकीकत कुछ और ही है. गोंडा के एक गांव में मनरेगा श्रमिकों के रोजगार पर पलीता लगाने का काम किया जा रहा है. दरअसल, यहां श्रमिकों से काम कराने के बजाय जेसीबी मशीनों से कराया गया. मामला सामने आने के बाद महकमा इसकी जांच में जुट गया है.


मनरेगा मजदूरों से उनका हक छीनने का काम जिले के तरबगंज विकास खंड के सिंगहाचंदा गांव में हुआ है. आरोप है कि यहां मनरेगा योजना के तहत सड़क पटाई का काम श्रमिकों के बजाय जेसीबी मशीन से करा दिया गया और इस काम के बदले श्रमिकों के नाम पर फर्जी भुगतान का प्रयास किया गया. हालांकि भुगतान से पहले ही इसकी शिकायत हो गई थी. शिकायत के बाद जब बीडीओ काम का स्थलीय निरीक्षण करने पहुंचे तो वो भी हैरान रह गए.


तीन दिन में पाट दी गई सड़क
निरीक्षण में पता चला कि जेसीबी मशीन से सड़क महज तीन दिन में ही पाट दी गई, जबकि सड़क पटाई के नाम पर 14 दिन का मास्टर रोल आवंटित किया गया था. बीडीओ की रिपोर्ट पर मुख्य विकास अधिकारी ने इसे श्रमदान घोषित कर दिया है और इसके भुगतान पर रोक लगा दी है. इसके अलावा सड़क पटाई के जिम्मेदार एडीओ पंचायत, सचिव, तकनीकी सहायक व रोजगार सेवक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.


सीडीओ शशांक त्रिपाठी ने कहा कि सड़क पटाई का काम जेसीबी मशीन से कराया गया था. इसकी रिपोर्ट बीडीओ ने भेजी है. बीडीओ की रिपोर्ट पर भुगतान को रोककर काम को श्रमदान घोषित कर दिया गया है और जो भी लोग इसके लिए दोषी हैं उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जायेगी.


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