गाजियाबाद: लॉकडाउन के चौथे चरण के पहले दिन ही गाजियाबाद में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों भी खुलेआम धज्जियां उड़ती दिखाई दी. बदइंतजामी के हालात को दर्शाता प्रवासी मजदूरों की भीड़ का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. अपने-अपने घरों को जाने के लिए बेसब्र मजदूरों की भीड़ रामलीला मैदान में इस कदर उमड़ आई कि किसी को कोरोना के खतरे का ख्याल भी नहीं रहा. हजारों प्रवासी मजदूर गाजियाबाद में तीन श्रमिक स्पेशल ट्रेन के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करने के लिए रामलीला मैदान में उमड़ पड़े. ये श्रमिक स्पेशल ट्रेनें यूपी के अलग-अलग हिस्सों के लिए रवाना होंगी.

इस भीड़ को देखकर कोई ये नहीं कह सकेंगा कि इस वक्त हम कोरोना के डर के साये में जी रहे हैं और देश में लॉकडाउन लगा हुआ है. यहां सोशल डिस्टेंसिंग का नामो-निशान तक नजर नहीं आया. हजारों की संख्या में मजदूर एक-दूसरे से सटे और एक-दूसरे पर लदे हुए नजर आए. पुलिस के भी इस स्थिति को काबू करने पाने में पसीने छूट गए.





इस दृश्य को देखकर स्पष्ट है कि प्रशासन के इंतजाम शून्य हैं. पुलिस की नजरों के सामने मजदूर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाते दिखे. बिना उचित लाइन लगाए सब एक-दूसरे से छिपके नजर आए. इन्हें सिर्फ अपने घर जाने की ही बेसब्री थी. मजदूरों का कहना है वो सुबह से यहां डंटे हुए हैं, लेकिन अभी तक पता नहीं चल पा रहा है. प्रशासन कह रहा है कि बस से भेजेंगे, ट्रेन नहीं चलेगी.


इस घटना पर एडीएम सिटी गाजियाबाद शेलेन्द्र कुमार ने बताया जो भीड़ उमड़ी है, ये बिहार जाने वालों की है. हम सब की व्यवस्था करवा रहे हैं. सभी को बिहार तक छोड़ा जाएगा. यूपी रोडवेज की अभी तक 50 बस लगा दी गई हैं. जरूरत पड़ने पर और बसों को लगाया जाएगा. जो भी जरूरी कदम है, उसे उठाया जा रहा है.सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है, लेकिन हम कोशिश कर रहे हैं कि भीड़ को उचित दूरी के साथ खड़ा किया जाए. सभी के खाने-पीने और घर भेजने के प्रबंध किया जा रहा है.


प्रियंका गांधी के निशाने पर योगी सरकार


गाजियाबाद में प्रवासी मजदूरों की इस भीड़ पर राजनीति भी शुरू हो गई है. प्रियंका गांधी ने इसे लेकर सरकार को निशाने पर लिया है. प्रियंका के ट्वीट कर कहा, 'प्रवासी मजदूरों की भारी संख्या घर जाने के लिए गाजियाबाद के रामलीला मैदान में जुटी है. यूपी सरकार से कोई व्यवस्था ढंग से नहीं हो पाती. यदि एक महीने पहले इसी व्यवस्था को सुचारू रूप से किया जाता, तो श्रमिकों को इतनी परेशानी नहीं झेलनी पड़ती. कल हमने 1000 बसों का सहयोग देने की बात की, बसों को उप्र बॉर्डर पर लाकर खड़ा किया, तो यूपी सरकार को राजनीति सूझती रही और हमें परमिशन तक नहीं दी. विपदा के मारे लोगों को कोई सहूलियत देने के लिए सरकार न तो तैयार है और कोई मदद दे तो उससे इंकार है.


 


हालांकि, अब योगी सरकार ने प्रियंका गांधी वाड्रा के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है. एक हज़ार बसों के चालक परिचालक और डिटेल मांगी गई हैं. प्रियंका ने योगी सरकार से अपील की थी कि वो प्रवासी मजदूरों के लिए एक हजार बसें चलाने की अनुमति दें।



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