बागेश्वर: उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में प्रवासियों के आने की रफ्तार बढ़ने के साथ ही जिला प्रशासन के इंतजामों की कलई खुलती जा रही है. संस्थागत क्वारंटाइन सेंटरों में बाहरी लोगों को ठहराने के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं. यहां तक कि क्वारंटाइन किए लोगों को समय पर भोजन भी नहीं मिल रहा है. बिजली, पानी और शौचालय से संबंधित परेशानी भी उठानी पड़ रही है.


प्रवासियों को झेलनी पड़ रही है बदइंतजामी 

 कपकोट तहसील के विभिन्न क्वारंटाइन सेंटरों में प्रवासियों को इसी तरह की बदइंतजामी का सामना करना पड़ रहा है. परेशान प्रवासियों ने प्रशासन की अव्यवस्थाओं का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल कर दिया है. इस वीडियो में प्रवासी खाना नहीं दिए जाने, प्रवासियों के रहने की व्यवस्था नहीं होने, पीने के पानी की समस्या समेत कई आरोप लगाते नजर आए. यहां तक कि जिम्मेदार अधिकारियों ने परेशान लोगों की समस्याएं सुनने तक की जहमत नहीं उठाई. इसके चलते कई लोग नियमों को ताक पर रखकर क्वारंटाइन केंद्रों से बाहर भी निकल आए. उन्होंने प्रशासन की तैयारियों पर सवाल खड़े किए और गहरी नाराजगी जताई.


कुल 705 प्रवासी बिलौना पहुंचे

महाराष्ट्र सहित राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और अन्य प्रदेशों से कुल 705 प्रवासी बिलौना पहुंचे हैं. इनमें से 230 प्रवासियों को कपकोट के डिग्री कॉलेज, कंट्रीवाइड पब्लिक स्कूल और विवेकानंद इंटर कॉलेज में बने सेंटरों में क्वारंटाइन किया गया. सुबह जांच और थर्मल स्क्रीनिंग के बाद दोपहर के समय प्रवासियों को यहां भेज दिया गया था. करीब तीन बजे तक सभी प्रवासी अपने केंद्र में पहुंच गए, लेकिन देर रात तक प्रशासन ने उनके खाने की व्यवस्था नहीं की. प्रवासी भूपाल सिंह, गिरीश सिंह, संतोष सिंह, किशन सिंह, बलवंत सिंह आदि ने बताया कि यहां पहुंचने के बाद उन्हें एक बिस्कुट दिया गया था, जिसके बाद किसी ने उनकी सुध लेने की जहमत तक नहीं उठाई. उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन तैयारी नहीं कर सकता है, तो सभी लोगों को घर जाने की अनुमति मिलनी चाहिए. कोरोना के डर से क्वारंटाइन कराया जा रहा है, लेकिन भोजन नहीं मिला तो लोग भूख से ही मर जाएंगे.


क्वारंटाइन सेंटरों में नहीं मिल रहा भोजन

प्रवासियों को संस्थागत क्वारंटाइन सेंटरों में पहुंचने के बाद एक-एक पैकेट बिस्कुट का देने के बाद प्रशासन मौन हो गया. रात के नौ बजे तक जब भोजन नहीं मिला तो क्वारंटाइन हुए युवाओं का धैर्य जवाब दे गया. उन्होंने इसके लिए आवाज उठानी शुरू कर दी. यहां तक कि वीडियो बनाकर भी सोशल मीडिया ग्रुप में डाला जाने लगा. इसके बाद प्रशासन ने किसी तरह से उनके खाने का प्रबंध किया, लेकिन खाने की गुणवत्ता खराब होने से लोग फिर नाराज हो गए. उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन ढंग का खाना नहीं खिला सकता, तो उन्हें राशन दे देता. वह स्वयं ही खान बनाकर खा लेते.


वहीं, प्रवासियों की सुविधा को लेकर प्रशासन कितना गंभीर है, इसकी बानगी चाय और भोजन सर्व करने वाले बर्तनों से समझी जा सकती है. सुबह के समय क्वारंटाइन किए लोगों को पेंट करने की गंदी बाल्टी में चाय सर्व की गई. इसके साथ ही, उन्हें खुली नमकीन दी गई. इससे पहले बिलौना में भी महाराष्ट्र से आए प्रवासियों को 23 मई की रात को कच्चा खाना परोसने की शिकायत आई थी.


डीएम रंजना राजगुरु ने सख्त रुख अपनाया 

वहीं, सोशल मीडिया पर प्रवासियों की अव्यवस्थाओं पर डीएम रंजना राजगुरु ने सख्त रुख अपनाया है. उन्होंने एडीएम राहुल कुमार गोयल को तत्काल क्वारंटाइन सेंटरों के निरीक्षण करने के निर्देश दिए. नोडल अधिकारी रमेश चंद्र मौर्या को भविष्य में इस तरह की लापरवाही करने पर सख्त कार्रवाई करने की चेतावनी दी है. एडीएम ने स्थलीय निरीक्षण कर सभी जिम्मेदार अधिकारियों को भोजन, पानी, बिजली की व्यवस्थाएं चाक चौबंद रखने को कहा. डीएम ने कहा कि प्रवासियों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होने दी जाएगी. जिम्मेदार अधिकारी की शिकायत आने पर उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.