भारत निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश की 9 सीटों पर उपुचनाव का ऐलान किया. सभी सीटों पर एक ही बार में 13 नवंबर को मतदान होगा और 23 नवंबर को मतगणना कराई जाएगी. हालांकि अयोध्या स्थित मिल्कीपुर में चुनाव की घोषणा नहीं की गई. इस संदर्भ में समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं. सपा प्रवक्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर उपचुनाव होने थे. आयोग ने केवल 9 सीटों पर घोषणा की. मिल्कीपुर पर यह कहते हुए घोषणा नहीं की है कि कोई मामला कोर्ट में पेंडिंग है. सपा आयोग से पूछना चाहती है कि क्या अदालत ने ऐसा कोई आदेश दिया है. सीसामऊ सीट पर भी याचिका लंबित है. फिर वहां चुनाव क्यों कराए जा रहे हैं. चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल है कि आखिर मिल्कीपुर में उपचुनाव क्यों नहीं हो रहे और सीसामऊ में बाइपोल्स क्यों हो रहे हैं.


दूसरी ओर बीजेपी ने कहा कि - यह चुनाव आयोग का निर्णय है. भारतीय जनता पार्टी के नेता और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि यह चुनाव आयोग का निर्णय है,  न्यायालय में वाद चल रहा है.


बता दें भाजपा के पूर्व विधायक बाबा गोरखनाथ की याचिका ने मिल्कीपुर का चुनाव रोका. 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद के नामांकन नोटरी में त्रुटि को लेकर दाखिल की थी हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. अभी पूर्व विधायक बाबा गोरखनाथ की याचिकाहाई कोर्ट में विचाराधीन है. 2022 में सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद ने जीत हासिल की थी.


इसलिये लटक गया मिल्कीपुर!
यूपी के मिल्कीपुर में उपचुनाव की घोषणा इसलिए नहीं हुई क्योंकि बीजेपी के पूर्व विधायक बाबा गोरखनाथ ने 2022 में चुनाव जीते सपा विधायक अवधेश प्रसाद के ख़िलाफ़ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रखी है. अवधेश के फॉर्म भरते वक्त गलत शपथ से जुड़ा मामला है. रिट में कहा गया है कि अवधेश प्रसाद का नोटरी जिसने तस्दीक किया था उस तिथि में उस वकील के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं था.जबकि सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन है कि जिस तिथि में नोटरी का अधिवक्ता अभिलेख का प्रमाणीकरण करे उस तिथि में उसका लाइसेंस होना जरूरी है.