कौन हैं चंद्रभान पासवान? जिन पर मिल्कीपुर चुनाव में BJP ने जताया भरोसा, अजीत प्रसाद के लिए आसान नहीं होगी राह!
Milkipur Bypoll Election 2025: अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर अगले माह 5 फरवरी को उपचुनाव है. इससे पहले बीजेपी ने अपने प्रत्याशी के जरिये सपा के सामने बड़ी चुनौती पेश की है.
Milkipur By Election 2025: उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर कड़ाके की ठंड में भी सियासी पारा हाई है. अयोध्या जिले की बहुचर्चित मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर अगले माह 5 फरवरी को उपचुनाव होगा. इस सीट पर मुख्य लड़ाई समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच माना जा रहा है.
मिल्कीपुर सीट पर अब सियासी बिसात पूरी तरह से बिछ चुकी है. यहां से सपा ने सांसद अवधेश प्रसाद के पुत्र अजीत प्रसाद चुनावी रण में उतारा है. सबकी निगाहें बीजेपी प्रत्याशी पर टिकी थीं. आज बीजेपी ने सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए चंद्रभान पासवान मिल्कीपुर उपचुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया है.
सपा और बीजेपी के दोनों के लिए मिल्कीपुर उपचुनाव साख का सवाल बन गई है. बीजेपी ने आखिरी में चंद्रभान पासवान को टिकट देकर सपा के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है. इसकी वजह यह है कि सपा प्रत्याशी अजीत प्रसाद और चंद्रभान पासवान का ताल्लुक अनुसूचित जाति से हैं. जातीय समीकरणों के जरिये बीजेपी ने सपा के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है. ऐसे में आईये जानते हैं कौन हैं बीजेपी प्रत्याशी चंद्रभान पासवान.
कौन हैं चंद्रभान पासवान?
मिल्कीपुर उपचुनाव में बीजेपी के टिकट के लिए कई दिग्गज ताल ठोक रहे थे, लेकिन पार्टी आलाकमान आखिरी समय में अपना पत्ता खोलते हुए चंद्रभान पासवान को प्रत्याशी बनाया है. चंद्रभान पासवान मिल्कीपुर की सियासत में जाने माने नाम हैं. इससे पहले वे रुदौली से दो बार जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं. वर्तमान उनकी पत्नी यहां से जिला पंचायत सदस्य हैं.
भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी चंद्रभान पासवान पेशे से वकील हैं. वह साड़ी का व्यापार करते हैं, वह वर्तमान में रुदौली और गुजरात में साड़ी की खरीद फरोख्त करते हैं. बीते दो सालों से चंद्रभान पासवान मिल्कीपुर सीट पर सक्रिय हैं, जिसका उनको फायदा भी मिला और बीजेपी ने कई सियासी दिग्गजों को दरकिनार कर चंद्रभान पासवान पर भरोसा जताया है.
चंद्रभान पासवान को मिल्कीपुर सीट पर टिकट देकर बीजेपी ने सपा के पीडीए की काट निकाली है. इस सीट पर अनुसूचित जाति और ओबीसी मतदाता निर्णायक भूमिक में हैं. ऐसे में माना जाता है कि जो यहां पर जातीय समीकरणों को साध लेगा, वह मिल्कीपुर का किला फतह करने में कामयाब रहेगा.
सपा लिए बीजेपी की चुनौती
साल 2022 के विधानसभा चुनाव में और लोकसभा चुनाव 2024 में देखने को मिला, जब यहां मिल्कीपुर से अवधेश प्रसाद ने विधायकी और फिर अयोध्या से 2024 में सांसद निर्वाचित हुई. मिल्कीपुर सीट पर पासवान और यादव मतदाताओं की संख्या अहम है. सपा प्रत्याशी अजीत प्रसाद पासी समाज से हैं और सपा के वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए बीजेपी ने भी चंद्रभान पासवान को मैदान में उतारा है. चंद्रभान पासवान भी पासी समाज से आते हैं.
मीडिया में छपी खबर के मुताबिक, मिल्कीपुर सीट पर यादव और पासी निर्णायक भूमिका हैं. इस सीट पर 3 लाख 58 हजार मतदाता हैं. जिनमें से एक लाख से ऊपर दलित मतदाता हैं, इनमें से सबसे अधिक 55 हजार वोट पासी समाज के हैं. इसके बाद लगभग 60 हजार यादव वोटर हैं, जबकि मुस्लिम समाज के वोटों की संख्या 30 हजार है. सपा ने हालिया कुछ पीडीए का फॉर्मूले पर चुनाव लड़ रही है, ऐसे में इन तीनों बिरादरी के वोट बैंक सपा के लिए अहम हैं.
भारतीय जनता पार्टी ने सपा के इसी वोट बैंक में सेंधमारी के लिए चंद्रभान पासवान को मैदान में उतारा है. साल 2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी की हार के बाद वे लगातार सक्रिय हैं और मताताओं से मिल रहे हैं. बीजेपी अपने कोर वोट बैंक के सहारे मिल्कीपुर उपचुनाव में जीत हासिल करना चाहती है. राम मंदिर के बाद इस सीट पर सपा की जीत से बीजेपी को बड़ा झटका लगा है.
बीजेपी ने चंद्रभान पासवान को दी तरजीह
अयोध्या में मिली हार के बाद बीजेपी के लिए मिल्कीपुर उपचुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है. यही वजह है कि बीजेपी ने इस बार मिल्कीपुर में नए चेहरे को मैदान में उतारा है. उम्मीद जताई जा रही थी कि यहां से बीजेपी पूर्व विधायक गोरख बाबा को मैदान में उतारेगी, जिन्होंने साल 2017 के चुनाव में अवधेश प्रसाद को हराया था. इसके अलावा गोरख बाबा ने चुनाव में धांधली को लेकर एक याचिका भी डाली है. हालांकि बीजेपी आलाकमान ने गोरख बाबा की दावेदारी को खारिज करते हुए जातीय समीकरणों को साधने की कोशिश की है.
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