यूपी में पंचायत चुनाव को लेकर जारी है बीजेपी का अभियान, मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कही बड़ी बात
सूर्य प्रताप शाही ने कहा बीजेपी पूरी तैयारी के साथ पंचायत चुनाव लड़ेगी. उन्होंने कहा कि हम कृषि कानून वापस नहीं ले रहे हैं. भारत सरकार सकारात्मक रूप से विचार करने के लिए तैयार है.
उन्नाव: उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी पंचायत चुनाव को लेकर बीजेपी लगातार तैयारियों में जुटी हुई है. इसी क्रम में रविवार को बीजेपी के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही उन्नाव पहुंचे. बीजेपी कार्यालय में मंत्री ने संगठन के पदाधिकारियों और विधायकों के साथ बैठक की. बैठक में पंचायत चुनावों को लेकर रूप रेखा तैयार की गई. पत्रकारों से बात करते हुए सूर्य प्रताप शाही ने कहा बीजेपी पूरी तैयारी के साथ चुनाव लड़ेगी. वहीं, कृषि बिल के मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि हम कृषि कानून वापस नहीं ले रहे हैं.
चुनाव को गंभीरता से ले रही है बीजेपी सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि बीजेपी पंचायत चुनाव को गंभीरता से ले रही है और पार्टी ने निर्णय लिया है कि जिला पंचायत के सभी क्षेत्रों में बीजेपी की ओर से प्रत्याशी घोषित करके चुनाव मैदान में उतारे जाएंगे. जिला पंचायत के चुनाव पार्टी के आधार पर लड़ेंगे इसके लिए तैयारी की गई है.
बदलाव करने को तैयार हैं कृषि कानूनों को लेकर चल रहे गतिरोध पर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए शाही ने कहा कि हम कानून वापस नहीं ले रहे हैं. भारत सरकार ने बार-बार कहा है कि जिन लोगों को कोई कठिनाई समझ में आ रही है उनसे बात के लिए हम तैयार हैं. भारत सरकार ने सकारात्मक और संवेदनशील तरीके से बातचीत की शुरुआत की हैं. उन्होंने इस बात को स्पष्ट रूप से कहा है कि आपको किन्हीं धाराओं से कोई कठिनाई है तो उन धाराओं को लेकर आप हमें सुझाव दीजिए, हम उनमें बदलाव करने को तैयार हैं.
गतिरोध को समाप्त करना चाहिए शाही ने कहा मैं किसान नेताओं से आग्रह करना चाहूंगा कि इस गतिरोध को समाप्त करना चाहिए. भारत सरकार सकारात्मक रूप से विचार करने के लिए तैयार है, कोई कानून पूरा नहीं होता. कठिनाइयों के समाधान के लिए भारत सरकार तैयार हैं. उन्होंने कहा कि ये समझ से परे है कि गतिरोध क्यों बना हुआ है, मेरा मानना है कि जो लोग किसान नहीं हैं वो इस आंदोलन में जुट गए हैं.
समाधान नहीं निकल पर रहा है उदाहरण देते हुए मंत्री ने कहा कि कानपुर की सुभाषिनी अली जी, कभी उन्होंने खेती नहीं की लेकिन आज वो आंदोलन की प्रवक्ता बन गई हैं. योगेंद्र यादव कभी किसान नहीं रहे, लेकिन जब कभी भी वामपंथी विचार का मसला चलता है तो वो उसके प्रवक्ता बन जाते हैं. ऐसे ही प्रवक्ताओं के कारण ही कृषि कानूनों पर मचे गतिरोध का समाधान नहीं निकल पर रहा है.
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