मिर्जापुर: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में एक जिंदा शख्स को कागजों में मृत दिखा दिया गया. इसके बाद वो 15 वर्षों तक खुद के जिंदा होने के सबूत देता रहा. भोला के सगे भाई ने ही जमीन की लालच में लेखपाल के साथ मिलकर सरकारी कागजों पर उसे मृत दिखा दिया था. इसके बाद से भोला खुद को जिंदा साबित करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहा था. अंत में भोला की जीत हुई और उनका नाम तहसीलदार के आदेश पर सरकारी दस्तावेजों में दर्ज किया गया.
भाई ने रची साजिश
मिर्जापुर के अमोई गांव के रहने वाले भोला ने 2005 में अपने भाई राजनारायण पर लेखपाल और कानूनगो की मदद से जमीन के कागज (खतौनी) पर उन्हें मृतक दर्ज कराए जाने का आरोप लगाया था. सिटी ब्लॉक के रहने वाले भोला का कहना था कि ''पिता की मौत के बाद हम दो भाइयों में जमीन बटकर सरकारी कागज पर दर्ज हो गई थी. लेकिन, कुछ दिनों बाद भाई राजनारायण ने लेखपाल और कानूनगो के साथ मिलकर हमारा नाम खतौनी से हटाकर हमको मृत घोषित कर दिया था.''
'साहब मैं जिंदा हूं' का बैनर लेकर बैठे
भोला ने बताया कि जानकारी होने पर 2005 से खुद को सरकारी कागज पर जीवित साबित करने के लिए अधिकारियों के पास चक्कर लगाते रहे लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. जिला कलेक्ट्रेट में डीएम कार्यालय के सामने भोला सिंह 16 जनवरी 2021 को 'साहब मैं जिंदा हूं' का बैनर लेकर बैठे. इसके बाद खबर चली और मामला मुख्यमंत्री कार्यालय ने संज्ञान में आया. जिसके बाद जिला प्रशासन को कार्रवाई का निर्देश दिया गया.
डीएनए टेस्ट कराने का दिया आदेश
डीएम प्रवीण कुमार लक्षयकार ने इस मामले दोनों भाइयों का डीएनए टेस्ट कराने का आदेश दिया. भोला ने डीएनए के लिए अपना ब्लड जिला अस्पताल में आकर दिया, लेकिन भाई राजनारायण ने डीएनए जांच के लिए खून नहीं दिया. इस मामले में तहसील न्यायालय में मुकदमा था. तहसीलदार ने बताया कि इस बीच मामले की सुनवाई हुई तो साक्ष्य, कागजों और गवाहों के आधार पर भोला सही पाए गए. इसके बाद फिर से उनका नाम खतौनी में दर्ज करने के आदेश दे दिए गए.
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