लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में दो चरणों का मतदान बाकी है. राज्य की 14 सीटों पर 25 मई को वोटिंग होनी है. इस बीच पूर्वांचल की मिर्जापुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र को लेकर चर्चा जोरों पर है. दावा है कि इस सीट पर कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने अपने समर्थकों को समाजवादी पार्टी के पक्ष में जाने के लिए संदेश भेज दिया है. जनसत्ता दल लोकतांत्रिक की मिर्जापुर इकाई के अध्यक्ष संजू मिश्रा ने बुधवार को जिले की सपा यूनिट से मुलाकात कर समर्थन पत्र सौंपा. हालांकि राजा भैया के लिए अनुप्रिया का सियासी गेम बिगाड़ना इतना आसान नहीं होगा क्योंकि इस सीट का जातीय समीकरण केंद्रीय मंत्री के पक्ष में जाता दिख रहा है.
लोकसभा सीट का जातीय समीकरण जानने से पहले यह जान लेते हैं कि किसने किसे मैदान में उतारा है. बहुजन समाज पार्टी ने इस सीट पर ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगाया है और मनीष त्रिपाठी को उम्मीदवार घोषित किया है. बसपा को उम्मीद है कि दलित और ब्राह्मण गठजोड़ से वह इस सीट पर फतह हासिल कर सकती है.
लोकसभा चुनाव के बीच यूपी में क्यों उठा मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा! सामने आई ये वजह
क्या है यहां का जातीय समीकरण!
वहीं सपा ने राजेंद्र बिंद को उम्मीदवार बनाया है. इससे लड़ाई दिलचस्प हो गया है. रमेश, इससे पहले भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर साल 2014 में सांसद थे. वह अनुप्रिया के वोट बैंक में सेंध लगा कर उनका गेम बिगाड़ सकते हैं.
अब बात करते हैं सीट के जातीय समीकरण की. एक अनुमान के मुताबिक मिर्जापुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में 2 लाख 50 हजार पटेल, दलित- एक लाख 95 हजार, मौर्या, कुशवाहा और सैनी- एक लाख, ब्राह्मण- एक लाख 60 हजार, मुस्लिम- एक लाख 29 हजार , बिंद- एक लाख 40 हजार, वैश्य- एक लाख 30 हजार के करीब हैं.
अनुप्रिया इस बार तीसरी बार इस सीट से चुनाव लड़ रहीं हैं. वह साल 2014 में पहली बार सांसद चुनीं गईं थीं. जातीय समीकरण तो अनुप्रिया के पक्ष में फिट बैठ रहे हैं लेकिन सपा के बिंद और बसपा के ब्राह्मण उम्मीदवार के चलते लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राजा भैया का इस सीट पर कितना असर होता है. इस सीट पर 1 जून यानी सातवें और आखिरी चरण में मतदान है.