Mirzapur News: देश की आजादी के लिए न सिर्फ बड़ों ने बल्कि किशोरों ने भी हंसते हंसते अपने प्राणों की आहुति दे दी थी. पूरे देश में अंग्रेजों को भारत से भगाने की मुहिम छिड़ी हुई थी, तो उसमें मिर्जापुर के 16 वर्षीय किशोर नरेश चंद्र ने भी बढ़-चढ़ कर भाग लिया था. साथियों के साथ स्टेशन फूंक कर उन्होंने अंग्रेजी सत्ता को खुली चुनौती दी थी लेकिन इस घटना में नरेश चंद्र श्रीवास्तव  को अपने प्राणों की बलि चढ़ानी पड़ी. उनके योगदान को आज तक लोग भुला नहीं सके हैं.


स्टेशन फूंक कर अंग्रेजी सत्ता को दी थी खुली चुनौती
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 14 अगस्त 1942 को नरेश चंद्र श्रीवास्तव के नेतृत्व में क्रांतिकारियों की एक टुकड़ी ने पहाड़ा स्टेशन की ओर प्रस्थान किया. 17 अगस्त को टुकड़ी पहाड़ा रेलवे स्टेशन पंहुची. पिस्तौल दिखा कर स्टेशन के कर्मचारियों को हट जाने का आदेश दिया. खजाना लूटकर गांव के गरीबों के सामने रुपये-पैसों की ढेरियां लुटा दीं. कागज-पत्रों पर केरोसिन छिड़का जाने लगा.नरेश टेलीफोन का कनेक्शन काटने में व्यस्त थे. इस बात की खबर भी किसी को न थी. बाहर से दरवाजा बंद कर स्टेशन कक्ष में आग लगा दी गई. इसी बीच नरेश के साथ छविनाथ चिल्लाया गहरी भूल हो गई, नरेश तो अंदर कमरे में ही रह गया.सबके होश गुम हो गए. साथी पुष्कर ने हिम्मत से काम लिया और कंबल ओढ़कर जलते हुए कमरे की ओर बढ़ा.


बिजली की गति से उसने दरवाजा खोलकर नरेश के प्राणों की रक्षा की.नरेश काफी जल गये थे उसके जख्मों पर कंबल डाल दिया गया. इसी बीच घनघोर वर्षा होने लगी. इतने में पुलिस के आने की सूचना मिली. इस अवस्था में मूसलाधार पानी में भीगते हुए डेढ़ मील दौड़ कर नरेश अपने साथियों के साथ गंगा तट पर पहुंचे. नरेश का दम उखड़ रहा था. 16 रुपये में एक किश्ती बनारस के लिए तय की गई. तेज ठंडी-ठंडी हवाओं के बीच नरेश का जीवन दीप बुझ रहा था. 


आज भी याद किया जाता है बलिदान
बनारस में विश्वविद्यालय के फाटक तक पहुंचते-पहुंचते नरेश की दशा और खराब होने लगी.देखना पुष्कर, सुन रहे हो न छविनाथ भाई.क्रांति की यह लड़ाई बंद न होने पाए..नरेश की एक क्षीण ध्वनि साथियों को सुनाई पड़ी. दीप एक बार फिर भभका और हमेशा के लिए बुझ गया. इस घटना के 15 दिन बाद नगर के बीएलजे हाईस्कूल के प्रत्येक डेस्क में एक मुद्रित पत्र मिला जिसमें नरेश निर्वाण की सूचना प्रकाशित हुई थी. एक 16 वर्षीय मासूम छात्र ने देश के लिए हंसते-हंसते अपने प्राणों की आहुति दे दी.


नगर के बीएलजे इंटर कॉलेज के छात्र रहे नरेश चंद्र श्रीवास्तव ने  1942 के स्वतंत्रता संग्राम में पहाड़ा रेलवे स्टेशन पर प्राणों का बलिदान कर दिया. उनके सम्मान में बीएलजे छात्र परिषद द्वारा कॉलेज परिसर में मूर्ति स्थापना की गई. अमर शहीद नरेश चंद्र श्रीवास्तव का जन्म आठ जुलाई 1926 को हुआ था और मृत्यु 28 अगस्त 1942 को हुआ.


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