अयोध्या: हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय भूभौतिकी अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) की 15 सदस्यों की टीम अयोध्या पहुंच चुकी है. यह टीम आठ दिनों तक मिट्टी और जमीन का अध्ययन करेंगे व इसके फोटोग्राफ लेंगे. इसके बाद जांच कर वह अपनी रिपोर्ट मंदिर का मजबूत आधार सुनिश्चित करने के लिए गठित आठ सदस्यीय विशेषज्ञ समिति को सौंपेंगे. एनजीआरआई का सुझाव नींव का निर्णायक माना जाएगा. हालांकि विशेषज्ञ समिति रिपोर्ट का अध्ययन कर अंतिम फैसला लेगी. माना जा रहा है कि इस कार्य में 15 दिन लग जाएंगे, उसके तत्काल बाद नींव का काम शुरू कर दिया जाएगा. तय हुआ है कि अब 1200 पिलर नहीं गलाए जाएंगे बल्कि उनके स्थान पर मिर्जापुर के पत्थरों से नींव तैयार की जाएगी. ट्रस्ट के सूत्रों ने बताया कि 15 दिन के भीतर नींव का काम हर हाल में शुरू होने की उम्मीद है.


पत्थरों को बिछाकर जांचा जाएगा भार


भूमि की निचली सतह में करीब पचास फिट तक मलवा है, जिसे हटाने के बाद पत्थरों को बिछाया जाएगा. फिर पत्थरों की एक-एक लेयर पर भार देकर उनकी क्षमता जांची जाएगी. भार क्षमता की जांच के बाद नींव का काम तेज हो जाएगा. इस काम को तेजी से आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी टाटा कंसल्टेंसी व एलएंडटी को सौंपी गई है. नींव का काम पूरा होने में करीब छह माह लगेंगे.


हर स्थिति की होगी जांच


श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की माने दो यह टीम खास तौर पर भूकंप आने पर भूमि की स्थिति की जांच करेगी और यह भी तय करेगी कि भूकंप आने की स्थिति में इसकी तीव्रता क्या होगी. रविवार को इसी जांच के तहत राम जन्मभूमि परिसर के चारों तरफ अलग अलग मशीन लगाई गई. जिसकी सहायता से कृत्रिम तौर पर भूकंप की स्थिति में भूमि के अंदर की गतिविधियों को मापा गया.


परीक्षण में लगी है टीम


श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट कार्यालय के प्रभारी प्रकाश गुप्ता ने बताया कि हैदराबाद से 15 लोगों टीम आई है. ये जमीन के अंदर की गतिविधियों को जांचने के लिए रिसर्च कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि जमीन के अंदर क्या गतिविधियां हो रही है और इसके अंदर भूकंप आदि आता है तो उसका क्या स्तर है, इसी परीक्षण के लिए यह टीम लगी है. गुप्ता ने बताया कि बुनियाद को लेकर चिंतन हो रहा था. अब तय हो गया है कि पत्थर के ऊपर से नींव तैयार होकर आएगी.


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