सुल्तानपुर: यूपी में 2022 को होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर वोट बैंक की सियासत तेज हो गई है. सुलतानपुर जिले का नाम बदलने का मामला उठा चुके लंभुआ सीट विधायक देवमणि द्विवेदी ने उत्तर प्रदेश में हो रहे ब्राह्मणों पर अत्याचार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. विधायक देवमणि द्विवेदी ने यूपी में ब्राह्मणों की हत्याओं के संबंध में सवाल उठाए हैं.


विधायक देवमणि द्विवेदी ने सरकार से पूछा है कि वर्तमान की भाजपा सरकार के करीब साढ़े तीन वर्ष के कार्यकाल में कितने ब्राह्मणों की हत्या हुई है. इन हत्याओं को अंजाम देने वाले कितने लोग पकड़े गए हैं. प्रदेश सरकार इनमें से कितने लोगों को सजा दिलाने में सफल रही है. ब्राह्मणों की सुरक्षा को लेकर सरकार की रणनीति क्या है. क्या ऐसी हालत में सरकार ब्राह्मणों को शस्त्र लाइसेंस देने में प्राथमिकता देगी. अभी तक इस सरकार के कार्यकाल में कितने ब्राह्मणों ने शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन किया है और कितनों को लाइसेंस जारी हो गया है.



गौरतलब है कि, यूपी में करीब 12 से 14 प्रतिशत ब्राह्मण वोट है. विकास दुबे के एनकांउटर के बाद से उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण उत्पीड़न का मुद्दा तेजी के साथ उठने लगा था. सबसे पहले कांग्रेस की तरफ से पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद इस जाति के सहानुभूति वोट बटोरने की कोशिश में दिखे. बसपा मुखिया मायावती भी पहले ही अपने 2007 के सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले को दोहराने के लिए ब्राह्मण भाईचारे कमेटी को सक्रिय करने का फैसला कर लिया था. इसी बीच सपा ने ब्राह्मण वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए भगवान परशुराम की मूर्ति लगाने का शिगूफा छोड़ दिया है.


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