देहरादून: क्या आप सोच सकते हैं, कि किसी प्रदेश की राजधानी के पास ऐसा भी कोई रास्ता है जहां पर आज तक संचार की कोई सुविधा ही नहीं हो यह कल्पना कर पाना मुश्किल है, लेकिन राष्ट्रीय राजमार्ग 72-A जो कि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से उत्तर प्रदेश के छुटमलपुर तक है, इस मार्ग पर देहरादून से निकलते ही लगभग 12 किमी लंबे मोहंड की पहाड़ियों और राजाजी टाइगर रिजर्व से गुजरने वाले इस पहाड़ी मार्ग में कोई सुविधा संचार की नहीं है. जब आप इस मार्ग पर यात्रा कर रहे हो तो भगवन से प्रार्थना कीजिये कि यहां पर गाड़ी ख़राब न हो और न ही कोई दुर्घटना हो, क्योंकि किसी भी तरह की राहत लेने के लिए आपको देहरादून या छुटमलपुर जाना पड़ेगा.
लेकिन शायद निकट भविष्य में इस मार्ग पर यह समस्या न रहे. उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी ने इस काम को कराने का बीड़ा उठाया है. उन्होंने केंद्रीय संचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद को चिट्ठी लिखकर इस समस्या से निजात दिलाने का आग्रह किया है. केंद्रीय मंत्री ने भी बलूनी के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए जल्द ही समाधान का भरोसा दिलाया है.
क्यों महत्वपूर्ण है यह 12 किमी पैच
दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, और उत्तर प्रदेश से देहरादून आने वालों के लिए यह मुख्य मार्ग है. जो लोग देहरादून के अलावा मसूरी, धनोल्टी, चकराता और गंगोत्री यमुनोत्री धाम की यात्रा करना चाहते हैं, वो सभी इसी मार्ग से आते हैं. यानि पर्यटन और तीर्थाटन की दृष्टि से यह मार्ग अति महत्वपूर्ण है. पर्यटन और यात्रा के सीजन में तो कई हजार वाहन हर रोज इसी रस्ते से उत्तराखंड में प्रवेश करते हैं, इसलिए यह मार्ग अत्यंत महत्वपूर्ण है, लेकिन जब से देश में मोबाइल सेवा शुरू हुई है, इस देश में संचार क्रांति आ गयी लेकिन इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर तक़रीबन 12 किमी के पैच में मोबाइल के सिग्नल की कोई हलचल नहीं हुई. लेकिन अब उम्मीद कर सकते हैं कि, संचार सेवा यहां भी शुरू होगी.
क्या नुकसान होता था
यह टुकड़ा अभी तक दो लेन है, यहां पर जब पर्यटक और यात्री बहुत आते थे तो इस क्षेत्र में ट्रैफिक जाम लगा रहता था, कई बार दुर्घटनाएं भी हुई हैं और पीड़ित लोग रात भर मोहंड की इन पहाड़ियों में फंसे रहे, क्योंकि यहां से राहत लेने के लिए पुलिस या एम्बुलेंस को फोन से नहीं बुलाया जा सकता, और हर सीज़न व सामान्य दिनों में भी इस तरह के हादसे होते रहे हैं. नेशनल पार्क होने के चलते यहां जंगली जानवरों का आतंक भी बना रहता है जिसके चलते लोगों को समस्या का सामना करना पड़ता है.
ये भी पढ़ें.