(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
गोरखपुर: बाढ़ से बचाव पर एक्शन में प्रशासन, हेलीकाप्टर से एयरलिफ्ट और ड्रोन से की निगरानी
बाढ़ की संभावना को देखते हुए गोरखपुर में मेगा मॉकड्रिल का आयोजन किया गया। एनडीआरएफ की टीम ने जान जोखिम में डालकर लोगों बचाया गया। इनके इस काम में स्थानीय पुलिस ने भी इनका पूरा सहयोग किया।
गोरखपुर, एबीपी गंगा। साल 2017 की तरह बाढ़ के दौरान बचाव कार्य में कोई चूक न हो इसकी तैयारियों को मुकम्मल करने के लिए गोरखपुर में मेगा मॉकड्रिल का आयोजन किया गया। NDRF और एयरफोर्स की टीम ने जहां हेलीकाप्टर से एयरलिफ्ट किया। वहीं, ड्रोन से निगरानी कर बाढ़ में फंसे लोगों की जान बचा। इस दौरान राहत सामग्री के वितरण से लेकर स्वास्थ्य के प्रति लोगों को सचेत किया गया।
साल 2017 में गोरखपुर के कई इलाकों में आई बाढ़ ने जिला प्रशासन की पोल खोल दी थी। तैयारियां पूरी नहीं होने की वजह से बाढ़ में कई सौ घर डूब गए, सैकड़ों लोग बेघर हो गए। इसके साथ ही भारी संख्या में जन-धन की भी हानि हुई। इस साल भी मानसून अब आने को है और बाढ़ का खतरा बना हुआ है। गोरखपुर को चारों तरह से बाढ़ से बचाने वाले 70 छोटे- बड़े बांध हैं। इसके किनारे रहने वाले लोगों को इस साल भी अलर्ट कर दिया गया है।
गोरखपुर के राप्ती नदी के किनारे राजघाट पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें मंडलायुक्त, आईजी, जिले के जिलाधिकारी, एसएसपी सहित कई विभागों के अधिकारी और भारी संख्या में एनडीआरएफ और पुलिस के जवान मौजूद रहे। राप्ती नदी के किनारे के दो गांव को इसके लिए चिन्हित किया गया और वायरलेस पर यह मैसेज दिया गया कि इन गांवों में बाढ़ का पानी भर गया है। इस मैसेज के बाद एनडीआरएफ की टीम नावों से इस गावों में पहुंची और लोगों को रेस्क्यू किया गया।
इसी बीच राप्ती नदी को डोंगी नाव से पार कर रहे लोग, नाव के पलटने के कारण डूबने लगे। इनको भी एनडीआरएफ की टीम ने जान जोखिम में डालकर बचाया गया। इनके इस काम में स्थानीय पुलिस ने भी इनका पूरा सहयोग किया। घायलों की मदद में ग्रीन कारीडोर बनाकर उन्हें अस्पताल पहुंचाया। इसके बाद बाढ़ में फंसे लोगों को हेलीकाप्टर से रेस्क्यू किया गया। प्रभावित इलाकों में फूड पैकेट भी गिराए गए।
सुबह 10 बजे से शुरू होने वाले इस मॉकड्रिल में राजस्व, चिकित्सा, आपूर्ति, पशु चिकित्सा और पुलिस विभाग के प्रतिनिधि अपने-अपने विभागों की कार्य योजना एवं संबंधित अधिकारियों, कर्मचारियों के साथ यहां उपस्थित रहे। सभी ने बाढ़ बचाव का कार्य किया। चार घंटे तक चलने वाले इस कार्यक्रम के माध्यम से ये जानने की कोशिश की गयी कि जब इस तरह के हालात बनते हैं, तो उस समय राहत और बचाव कार्य में कितना समय लग सकता है। क्या-क्या कमियां रह जाती हैं और लोगों को कितनी जल्दी मदद पहुंचाई जा सकती है।