नई दिल्ली, एबीपी गंगा। राम मंदिर ट्रस्ट को अपना पहला चंदा मिला है। ट्रस्ट के ऐलान के बाद केंद्र सरकार ने उसे एक रुपये का नकद दान दिया है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र नाम से बने इस ट्रस्ट में 15 सदस्य होंगे, जिसमें 9 स्थायी और 6 नामित सदस्य शामिल होंगे। एक दलित समेत सभी सदस्यों का हिंदू होना अनिवार्य होगा। इस ट्रस्ट के गठन के बाद केंद्र सरकार द्वारा इसे एक रुपये का नकद चंदा दिया गया है। ये ट्रस्ट को मिलने वाला पहला चंदा है।


राम मंदिर ट्रस्ट को मिला पहला चंदा


केंद्र सरकार की ओर से ये दान गृह मंत्रालय में अवर सचिव डी. मुर्मू द्वारा दिया गया है। मुर्मू ने बताया कि ये ट्रस्ट अचल संपत्ति सहित बिना किसी शर्त के किसी भी रूप में दान किसी भी व्यक्ति से ले सगता है। इसके अलावा अनुदान, अंशदान और योगदान लेने के लिए भी ये ट्रस्ट स्वतंत्र है। बता दें कि राम मंदिर ट्रस्ट में किसी भी प्रकार का सरकारी दखल नहीं होगा। ये मंदिर निर्माण के लिए स्वतंत्र होगा।


9 नवंबर, 2019 को आया था राम मंदिर के पक्ष में फैसला 


प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में मंजूरी के बाद बुधवार को मोदी ने लोकसभा में राम मंदिर ट्रस्ट के नाम का ऐलान किया। इस ट्रस्ट को नाम दिया गया है 'श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' नामक ट्रस्ट। 9 नवंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा राम मंदिर के पक्ष में लिए गए फैसले के अनुरूप ट्रस्ट निर्माण का फैसला लिया गया। कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार को ट्रस्ट बनाने के लिए तीन महीने का समय दिया गया था। ये समयसीमा चार दिन के बाद खत्म होने वाली थी, उससे पहले ही सरकार द्वारा ट्रस्ट का नाम और इसकी रूपरेखा कैसी होगी, इसका ऐलान कर दिया गया।


ट्रस्ट में शामिल सदस्य


इस ट्रस्ट में रामलला विराजमान की पैरवी करने वाले सीनियर एडवोकेट व रामभक्त केशवन अय्यंगार परासरन शामिल हैं। इसके अलावा जगतगुरु माधवानंद स्वामी, युगपुरुष परमानंद जी महाराज, जगतगुरु शंकराचार्य, पुणे के गोविंद देव गिरि, अयोध्या के डॉक्टर अनिल मिश्रा, कामेश्वर चौपाल और निर्मोही अखाड़ा के धीरेंद्र दास भी ट्रस्ट के नाम भी ट्रस्ट में शामिल हैं। ट्रस्ट के नियमों के मुताबिक, इसमें शामिल सभी सदस्यों का हिंदू होना अनिवार्य होगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, निर्मोही अखाड़ा के मंहत धीरेंद्र दास भी एक ट्रस्टी होंगे और इस ट्रस्ट का चेयरमैन भी ट्रस्टी ही नियुक्त करेगा।


ट्रस्ट में नहीं होगा सरकारी दखल


जब तक ट्रस्ट का स्थायी कार्यालय नहीं बन जाता, तब तक रामभक्त केशवन अय्यंगार परासरन के आवास पर से ही ये काम करेगा। इस ट्रस्ट को राम मंदिर निर्माण और इसके रखरखाव से जुड़ी सारे निर्णय स्वतंत्र रूप से लेने का अधिकार होगा। दिल्ली में ट्रस्ट का पंजीकृत कार्यालय होगा।


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