लखनऊ, एबीपी गंगा। उत्तर प्रदेश विधानमंडल का मानसून सत्र आज से शुरू हो गया है, जो 26 जुलाई को खत्म होगा। इस दौरान विधानसभा में 23 जुलाई को अनुपूरक बजट पेश किया जाएगा, जबकि 24 जुलाई को अनुपूरक अनुदानों पर चर्चा होगी। वहीं, विधानसभा की केवल सात बैठकें ही होंगी। इस बार सदन का नजारा कुछ बदला-बदला सा रहेगा क्योंकि इसके 11 सदस्य नजर नहीं आएंगे। ये सभी सदस्य लोकसभा चुनाव जीते हैं। विपक्षी सदस्यों को सपा के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान की कमी खलेगी, जो रामपुर से लोकसभा सांसद निर्वाचित हुए हैं। सत्ताधारी दल की बात करें तो रीता बहुगुणा जोशी सदन में नहीं दिखेंगी, वो इलाहाबाद से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुई हैं।
सत्र की शुरुआत हंगामेदार रही। जहां सोनभद्र की घटना को लेकर समाजवादी पार्टी के हंगामे के चलते विधानपरिषद की कार्यवाही 30 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी। वहीं, सदन में बीजेपी विधायक रहे जगन प्रसाद गर्ग के निधन पर सीएम योगी ने शोक संवेदना प्रकट की, जिसके बाद सदन की कार्यवाही को कल तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
मानसून सत्र को लेकर योगी ने कहा कि आज से शुरू होने वाले सत्र में सभी मंत्री सदन में तैयारी से आएं। प्रधानमंत्री की सांसदों को हिदायत को योगी ने भी यूपी में विधायकों और मंत्रियों को विधानसभा सत्र के लिए मूल मंत्र माना है। योगी ने कहा कि सत्र के दौरान मंत्री विधायक नेगेटिव बातें न फैलाएं, सुरक्षा गार्ड से न उलझे चेकिंग में उनका सहयोग करें। योगी ने कहा कि सरकार के कामों का प्रचार प्रसार करें। विधायक और मंत्री सत्र से गैर हाजिर ना रहें।
इस संक्षिप्त सत्र में सरकार को कुछ महत्वपूर्ण विधेयक पेश करने हैं। 19 जुलाई को अध्यादेश, अधिसूचनाएं व नियमों आदि से संबंधित दस्तावेज पटल पर रखे जाएंगे। 20 और 21 जुलाई को शनिवार और रविवार की छुट्टी होने के कारण सदन की बैठकें नहीं होंगी। 22 जुलाई को विधायी कामकाज होगा, जबकि 25 जुलाई और 26 जुलाई को भी विधायी कामकाज होगा।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने सभी दलों के नेताओं से सदन को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग मांगा है। इस बीच यूपी विधानसभा के आधिकारिक ट्विटर हैंडल को बुधवार को 'एक्टीवेट' किया गया। इस पर सदन से जुड़ी विभिन्न सूचनाएं मिलेंगी।
सत्र शुरू होने से पहले कल हुई सर्वदलीय बैठक के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिये सर्वदलीय बैठक बुलाई गई, और बैठक में सभी दलों के नेताओं की ओर से ये आश्वासन भी मिला है कि वो सदन को ठीक ढंग से चलाने में सरकार को सहयोग करेंगे। वहीं उनसे जब ये पूछा गया कि साल में 90 दिन सदन चलाने का जो नियम है वो तो पूरा नही हो पा रहा है इस पर उनका कहना था कि जब से वो अध्यक्ष बने हैं तबसे सदन में क्वालिटी बहस हुई है और उनकी कोशिश है कि सदन को ज्यादा दिन चलाया जाए जिससे सार्थक मुद्दों पर सदन में चर्चा हो सके।