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मुरादाबाद: सेवा राम का दावा- '1980 के दंगे में उनके परदादा हुई, लाश भी नहीं मिली, मकान बेच कर गए'
उत्तर प्रदेश स्थित मुरादाबाद में गौरी शंकर मंदिर 45 साल बाद खुला है. यह मंदिर साल 1980 से बंद पड़ा था. बताया जाता है कि हिन्दू समुदाय के लगभग पचास परिवार यहां से पलायन कर गये थे.
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के नागफनी थाना इलाके के दौलत बाग में 45 साल से बंद पड़े गौरीशंकर मंदिर को सोमवार को पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में खोला गया. जब प्रशासन ने मंदिर के गर्भगृह की खुदाई कराई तो उसके अंदर शिव परिवार, शिवलिंग, नंदी और हनुमान जी की प्रतिमाएं मिली हैं. बताया जाता है कि 1980 में मुरादाबाद में हुए साम्प्रदायिक दंगों में मंदिर के पुजारी की हत्या कर दी गयी थी जिसके बाद से हिन्दू समुदाय के लगभग पचास परिवार यहां से पलायन कर गये थे और तभी से यह मंदिर बंद था.
हालांकि पड़ोस में रहने वाली मोहिनी किन्नर बताती हैं कि 2021 में जब वह यहां आकर बसी थीं तो मंदिर की स्थिति बहुत खराब थी. यहां कूड़ा पड़ा हुआ था. उन्होंने पुलिस-प्रशासन से इजाजत लेकर मंदिर की साफ सफाई कराई थी और तभी से मंदिर की रंगाई पुताई भी वह कराती आ रही हैं. पिछले तीन सालों से वह यहां मंदिर में चिराग भी जलाती हैं. उन्होंने बताया कि यहां कोई भी हिन्दू परिवार नहीं रहता है. मंदिर में आने पर किसी को रोका नहीं जाता है. लोग खुद ही यहां नहीं आते हैं.
हत्या के बाद नहीं मिली लाश
मंदिर को खुलवाने वाले सेवा राम बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण 1954 में उनके परदादा भीम सेन ने कराया था, जिसका नक्शा उनके पास है. 1980 के दंगे में उनके परदादा भीम सेन की हत्या कर दी गयी थी और उनकी लाश भी नहीं मिली थी. उसके बाद से हिन्दू परिवार यहां से अपने मकान बेच कर चले गये थे. अब उन्होंने जिला अधिकारी को ज्ञापन देकर इस मंदिर को खुलवाने की मांग की थी जिसके बाद आज पुलिस और प्रशासन की मौजूदगी में मंदिर खोला गया है.
उन्होंने बताया कि यहां गर्भ गृह में मालवा भरा हुआ था जिसे साफ कर मंदिर की सफाई की गयी तो मूर्तियां निकली हैं. हम चाहते हैं कि यहां मंदिर में दोबारा से पूजा पाठ शुरू हो. मंदिर के आसपास पुलिस फ़ोर्स तैनात कर दिया गया है. स्थानीय निवासी ओम शंकर ने बताया कि 1980 में हम यहां रहते थे, अचानक दंगा भड़का था जिसमें यहां के पुजारी हमारे दादा की हत्या हो गयी थी. उसके बाद धीरे-धीरे हम लोग यहां से 1982 में सब चले गये थे और मंदिर बंद हो गया था.
यहां आने में डर लगता था- स्थानीय
स्थानीय निवासी ने बताया कि हमें यहां आने में कोई रोकता नहीं था लेकिन हमें यहां आने में डर लगता था. जब हम आते थे तो सब लोग हमें देखने लगते थे. हम भयभीत थे इसलिए हमने यहां आना छोड़ दिया था. हम सब मुरादाबाद के लाईन पार इलाके में रहते हैं. मुरादाबाद के उपजिलाधिकारी राम मोहन मीना ने बताया कि हमें शिकायत मिली थी झब्बू का नाला इलाके में गौरी शंकर मंदिर बंद है. उसकी वास्तु स्थिति को जानने के लिए हम यहां आये थे. मंदिर का परिसर पूरा साफ था लेकिन मंदिर के सभी दरवाजे बंद थे उन्हें ईंटों से चिनवाया गया था.
उन्होंने बताया कि आज हमने नगर निगम की टीम के साथ में इसे खुलवाया तो पता चला की अंदर काफी गहरा है और इसमें मिट्टी कचरा भरा हुआ इसका जो असली शेप है वह अलग है, यह 1980 से बंद था . इस मंदिर के केयर टेकर 1980 के बाद से इसे छोड़ कर यहां से चले गये थे, तभी से यह बंद था धीरे-धीरे यहां निर्माण हो गया और इसका मूल रूप बदल गया. इसकी मूर्तियां भी खंडित हो गयी हैं. इसमें कचरा भर कर यह बंद हो गया था. अभी हमने इसे खुदवाया है. हमारा प्रयास है कि इसे पुनः इसके मूल स्वरूप में लाने का काम करेंगे .
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