Moradabad News: उत्तर प्रदेश में परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों की डिजिटल उपस्थिति को लेकर शिक्षकों और सरकार के बीच रार पड़ी हुई है. शिक्षक डिजिटल उपस्थित का विरोध कर रहे हैं तो सरकार डिजिटल उपस्थित सुनिश्चित करने को लेकर अड़ी हुई है. अगर शिक्षक डिजिटल अपनी उपस्थिति नहीं दर्ज कराएंगे तो उनपर कार्रवाई की बात कही जा रही है. इस बीच मुरादाबाद में एबीपी न्यूज़ ने शिक्षकों की डिजिटल उपस्थिति की हकीकत की पड़ताल की तो यहां कई चौकाने वाली बातें सामने आई है.


यहां बेसिक शिक्षा अधिकारी के ऑफिस के पास के दो सरकारी स्कूलों की हमने पड़ताल की तो पता चला कि कक्षा 1 से आठवीं कक्षा तक के कम्पोजिट विद्यालय, दांग में अभी डिजिटल उपस्थिति के लिए सरकार की तरफ से डिजिटल टैब ही उपलब्ध नहीं कराए गए हैं. इतना ही नहीं यहां सिर्फ एक सहायक अध्यापक और दो शिक्षामित्र ही स्कूल के बच्चों को पढ़ाने के लिए मौजूद हैं एक और भी शिक्षा मित्र हैं जो छुट्टी पर चल रही हैं. 


नौनिहालों के भविष्य से हो रहा खिलवाड़
सहायक अध्यापक ने बताया कि हमने कई बार जूनियर क्लास के लिए विज्ञान और गणित के शिक्षकों की मांग वाले पत्र अधिकारियों को लिखे लेकिन अभी तक कोई अध्यापक नहीं दिया गया है पिछले कई साल से यहां यही अव्यवस्था चल रही है जो शिक्षामित्र पांचवी कक्षा तक पढ़ने के लिए होती हैं वह जूनियर कक्षाओं को पढ़ा रही हैं तो आप समझ सकते हैं कि शिक्षा का स्तर क्या होगा और इतना ही नहीं एक एक क्लास रूम में दो-दो तीन-तीन कक्षाओं के बच्चों को एक साथ बैठाकर यहां शिक्षामित्र पढा रही हैं.  कभी इस क्लासरूम में जाती है तो कभी उस क्लास रूम में जाती हैं ऐसे में बिना योग्य अध्यापकों के बच्चों की पढ़ाई के साथ खिलवाड़ ही किया जा रहा है. 


इन शिक्षामित्रों की अपनी शिकायत है इनका कहना है कि उन्हें सिर्फ दस हजार रुपये महीना का मानदेय मिलता है जबकि एक शिक्षक को 50000 से 80000 रुपये महीना तक का वेतन मिलता है . सरकार 10000 रुपये महीने के मानदेय वाले शिक्षामित्रों से 50000 रुपये वाले शिक्षक का काम ले रही है जबकि शिक्षा मित्र 5वीं कक्षा तक ही पढ़ाने के लिए योग्य होते हैं लेकिन यहां 8 वी कक्षा तक पढ़ रहे हैं और उसके साथ ही डबल डबल क्लास रूम में एक साथ पढ़ाने की जिम्मेदारी निभानी पड़ रही है इसलिए इन शिक्षामित्रों का कहना है कि समान कार्य के लिए समान वेतन हमें मिलना चाहिए. जब हम रोज आते हैं तो हमें डिजिटल उपस्थिति दर्ज करने में कोई परेशानी नहीं है लेकिन यहां तो डिजिटल टैब ही अभी तक नहीं दिए गए हैं. 


शिक्षकों की कमी से जूझ रहा विद्यालय
यही हाल बीएसए आफिस की दीवार से सटे दूसरे सरकारी स्कूल का हमें मिला यह कक्षा एक से कक्षा 5 तक का प्राथमिक विद्यालय कन्या, दांग है यहां सिर्फ एक अध्यापक और एक शिक्षा मित्र पूरे स्कूल के सभी पांच कक्षाओं को पढ़ाने के लिए मौजूद हैं. यहां की प्रधान अध्यापक ने बताया कि वह पिछले 8 साल से इस स्कूल में पढ़ा रही हैं और पिछले 3 साल से यहां सिर्फ वह खुद एक अध्यापक हैं और एक शिक्षा मित्र है पांचों क्लास को पढ़ाने की ज़िम्मेदारी इन दो पर ही है इसलिए कक्षाओं को अंदर से इंटर कननेक्ट किया गया है ताकि सभी बच्चों को एक साथ पढ़ा सकें. यहां बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ ही किया जा रहा है खाने के लिए बच्चों को मिड डे मिल भी मिल रहा है और क्लास रूम में बैठने के लिए पंखे की हवा, कुर्सी टेबल सब कुछ है लेकिन नहीं है तो स्कूलों में शिक्षक नहीं है. बिना शिक्षकों के शिक्षा कैसे दी जा सकती है.


मामले पर क्या बोलें अधिकारी?
मुरादाबाद के बेसिक शिक्षा अधिकारी विमलेश कुमार का कहना है कि सरकार की मंशा के अनुरूप सभी शिक्षकों को यह बता दिया गया है कि डिजिटल उपस्थिति दर्ज करना अनिवार्य है और कुछ अध्यापक डिजिटल उपस्थिति दर्ज भी कर रहे हैं जो अध्यापक शासन आदेश का उल्लंघन करेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी. डिजिटल उपस्थिति के लिए सभी स्कूलों में डिजिटल टैब पहुंच गए हैं. अगर कहीं टैब नहीं पहुंचने की शिकायत हमें मिलेगी तो वहां पर तुरंत हम उसकी व्यवस्था करेंगे. जहां तक शिक्षकों की कमी की बात है तो उन स्कूलों में समायोजन के माध्यम से हम जल्द ही शिक्षकों की मानवों के अनुरूप नियुक्तियां करने का काम भी करेंगे. जल्दी अध्यापकों की कमी को भी दूर किया जायेगा अभी समायोजन का कार्य चल रहा है.


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