Moradabad News: एक्टिविस्ट मधु किश्वर सहित 20 से अधिक शिक्षाविदों के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिख कर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया और हमदर्द विश्वविद्यालय सहित राज्य द्वारा वित्त पोषित इस्लामी विश्वविद्यालय द्वारा अपनाए जा रहे जिहादी इस्लाम पाठ्यक्रम पर रोक लगाने की मांग पर समाजवादी पार्टी के सांसद डॉ एसटी हसन ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इन लोगो को शिक्षाविद मत कहिए ये सरकार के लोग हैं और सरकार के इशारे पर ही पत्र लिखे गए हैं.
'सरकार मुस्लिम यूनिवर्सिटियों को बर्बाद करना चाहती है'
डॉ एसटी हसन ने कहा कि सरकार मुस्लिम यूनिवर्सिटियों को बर्बाद करना चाहती है. यह सब सरकार के इशारे पर ही हो रहा है. शिक्षा के मंदिरों को निशाना बनाया जा रहा है. सरकार इन मुस्लिम यूनिवर्सिटीज़ को अगर पैसा देती है तो कोई एहसान नही कर रही, 20 करोड़ मुसलमानों के टैक्स का पैसा भी तो सरकार के पास जात है. डॉ हसन ने कहा कि इन यूनिवर्सिटीज़ में कुछ गलत नहीं पढ़ाया जाता आप लोगो ने जिहाद का मतलब सिर्फ बंदूक और तलवार को ही समझ रखा है. जिहाद का मतलब मासूमों, गरीबों और मज़लूमों की मदद करना होता है.
इसी के साथ पत्र में पाकिस्तान के कट्टर इस्लामिक प्रचारक और जमात-ए-इस्लामी के संस्थापक मौलाना अबुल अला मौदूदी द्वारा लिखित किताबों को पढ़ाए जाने पर भी सवाल उठाए गए हैं और आरोप है कि मौलाना मौदुदी द्वारा लिखित किताबों को एएमयू के ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन, एमफिल और पीएचडी की क्लासों में पढ़ाया जाता है और बाकायदा छात्रों को मौदूदी द्वारा लिखित किताबों को पढ़ने के लिए रिकमंड किया गया है.
'इस्लामी यूनिवर्सिटियों को इस तरह निशाना बनाना ठीक नहीं'
लिखित पत्र में लिखा है कि यूनिवर्सिटी के वेबसाइट पर इस्लामिक स्टडीज के पाठ्यक्रम को अगर हम देखेंगे तो उसमें मौलाना अबुल अला मौदुदी की किताबों का जिक्र है और मोदुदी की किताब इस्लामिक स्टडीज विभाग की लाइब्रेरी में भी मौजूद है उस पर रोक लगनी चाहिए. इस पर सपा सांसद डॉ एस टी हसन ने कहा कि मैं नहीं जानता मौदूदी कौन हैं अगर उनकी किताबों में कुछ गलत लिखा है जो इंसानियत के खिलाफ है तो उसे हटा दें लेकिन इस्लामी यूनिवर्सिटियों को इस तरह निशाना बनाना ठीक नहीं है. ये सब सरकार के इशारे पर हो रहा है और अभी आगे न जाने क्या क्या होगा.इसे लेकर सपा सांसद काफी नाराज दिखाई दिए.
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