उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के कांठ में 7 साल पहले हुए बवाल की सुनवाई मुरादाबाद की स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट ने पूरी कर ली है. शुक्रवार को इस मामले में फैसला आने की उम्मीद है. इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र सिंह और मुरादाबाद से बीजेपी विधायक रितेश गुप्त सहित कई बीजेपी नेता आरोपी हैं.


क्या था कांठ का विवाद?


मुरादाबाद के कांठ थानाक्षेत्र के अकबरपुर चैदरी में 2014 में एक धर्म स्थल पर लाउडस्पीकर बजाने को लेकर दो पक्षों में विवाद हो गया था. इस विवाद ने हिंसक रूप ले लिया था. इस हिंसा में तत्कालीन जिलाधिकारी और कई पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. बलवाइयों ने पुलिस पथराव, फायरिंग और आगजनी की घटनाएं की थीं.


इस प्रकरण में बीजेपी के कई नेताओं पर मुकदमा दर्ज हुआ था. उन पर जनता को उकसा कर धार्मिक उन्माद फैलाने और हिंसा फैलाने का आरोप लगाया गया था. कांठ थाने में दर्ज की गई इस आरोप की रिपोर्ट में भूपेंद्र सिंह, रितेश गुप्त समेत बीजेपी कई नेता आरोपी बनाए गए थे. 


रेलवे ने भी दर्ज कराया है मुकदमा


हिंसक प्रदर्शनकारियों ने रेलवे ट्रैक जाम कर ट्रेन भी रोकी थी. इस मामले में रेलवे ने अलग से मुकदमा दर्ज कराया था. इस मामले की सुनवाई मुरादाबाद की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट के जज पुनीत गुप्ता की अदालत में चल रही थी. सुनवाई गुरुवार को पूरी हो गई. अब अदालत अपना फैसला सुनाएगी.


उत्तर प्रदेश सरकार के पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र सिंह और मुरादाबाद शहर विधानसभा से बीजेपी विधायक रितेश गुप्त समेत अन्य कई बीजेपी नेता इस मामले में आरोपी हैं. बचाव पक्ष के वकील ने अदालत में अपना पक्ष रखा और कहा कि मुकदमा राजनीतिक दबाव में दर्ज कराया गया था. उनका तर्क था कि मौके से कोई गिरफ्तारी भी नहीं हुई थी. वही अभियोजन पक्ष के वकील ने बताया की पीड़ितों ने अदालत में आकर घटना की पुष्टि की है. अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है. अदालत शुक्रवार को फैसला सुना सकती है.