Annual Frontier Report 2022: पीतल नगरी के रूप में पहचान रखने वाला उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का मुरादाबाद (Moradabad) शहर इन दिनों ध्वनि प्रदूषण की वजह से चर्चा में है. दरअसल यूनाइटेड नेशंस एनवायरमेंट प्रोग्राम (UNEP) की ओर से जारी की गई वार्षिक फ्रंटियर रिपोर्ट- 2022 में मुरादाबाद को दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदूषण वाला शहर घोषित किया है. इस लिस्ट में बांग्लादेश की राजधानी ढाका पहले नंबर पर है.
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार यूनाइटेड नेशंस एनवायरमेंट प्रोग्राम की ओर से ध्वनि प्रदूषण के मामले में दुनिया के 61 शहरों की रैंकिंग जारी की गई है. इसमें बांग्लादेश की राजधानी 119 डेसिबल के साथ पहले नंबर पर और मुरादाबाद 114 डेसिबल ध्वनि प्रदूषण के साथ दूसरे नंबर पर और इस्लामाबाद 105 डेसिबल के साथ इस तीसरे नंबर पर है. रिपोर्ट में मुरादाबाद के अलावा भारत के सबसे अधिक ध्वनि प्रदूषण वाले शहरों में जयपुर, कोलकाता, आसनसोल और दिल्ली को भी शामिल किया गया है.
जयपुर में 84 डेबिसल ध्वनि प्रदूषण किया गया दर्ज
दिल्ली में 83, जयपुर में 84, कोलकाता और आसनसोल में 89-89 डेबिसल ध्वनि प्रदूषण दर्ज किया गया है. रिपोर्ट में ध्वनि प्रदूषण से प्रदूषित शहरों में दक्षिण एशिया के 13 शहर शामिल हैं, जिनमें 5 शहर अकेले भारत के हैं. रिपोर्ट में दिए गए ध्वनि प्रदूषण के आंकड़े दिन के समय के यातायात अथवा वाहनों से संबंधित हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1999 के दिशानिर्देशों में रिहाइशी क्षेत्रों के लिए 55 डीबी मानक की सिफारिश की थी, जबकि यातायात और व्यवसायिक क्षेत्रों के लिए यह सीमा 70 डीबी थी.
शरीर पर पड़ सकता है ये प्रभाव
60 डेसिबल से अधिक तीव्रता की ध्वनि के बीच आठ से 10 घंटे बिताने वाले लोगों को जल्दी थकान महसूस होना, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द होता है. जिनकी उम्र 40 साल से अधिक हो गई है, उन्हें हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, स्थायी बहरापन, स्मरण शक्ति कमजोर हो जाना जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है. रिपोर्ट में यूएनईपी की कार्यकारी निदेशक इंगर एंडरसन ने कहा, जैसे-जैसे शहर बढ़ते हैं, ध्वनि प्रदूषण पर्यावरण का प्रमुख खतरा बन जाता है.
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