संभल-अलीगढ़ के बाद अब मुरादाबाद में सालों से बंद पड़ा मंदिर मिलने का दावा, खंडहर में है तब्दील
UP News: भाजपा युवा मोर्चे के स्थानीय नेता सोनू ठाकुर का कहना है कि हमने जब से होश संभाला है. इस मंदिर को ऐसे ही देख रहे हैं हम चाहते हैं कि यहां साफ सफाई हो यहां हिन्दू मुसलमान सब मिल कर रहते हैं.
Moradabad News: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में भी एक बंद प्राचीन मंदिर मिलने का दावा किया जा रहा है. यह मंदिर जैन समाज का बताया जा रहा है खंडहर हो चुके इस मंदिर के चारों तरफ लोगों ने अपने मकान बना लिए हैं. यहां रहने वाले हिन्दू और मुस्लिम दोनों समाज के लोगों का कहना है कि पहले यहां लगभग 50 जैन और वर्मा परिवार रहते थे. मंदिर काफी पुराना है जैन समाज के लोग अपने मकान बेच कर शहर चले गए और मंदिर बंद कर गए थे जो अब जर्जर अवस्था में है.
इस मंदिर के गेट आस-पास लोगों ने कूड़ा भी डाल दिया है. मंदिर लखोरी ईंट का बना हुआ है और नक्काशी जैन मंदिर की दिखाई दे रही है. मंदिर काफी बड़ा है लेकिन इसमें जाने वाले रास्ते पर कूड़े का ढेर लगा हुआ है. मंदिर को टॉप व्यू से देखने पर पता चलता है कि इमारत काफी बड़ी रही होगी.
भाजपा युवा मोर्चे के स्थानीय नेता सोनू ठाकुर का कहना है कि हमने जब से होश संभाला है. इस मंदिर को ऐसे ही देख रहे हैं हम चाहते हैं कि यहां साफ सफाई हो यहां हिन्दू मुसलमान सब मिल कर रहते हैं. यहां पास में सैनी समाज का भी एक बड़ा मंदिर है, जिसमें पूजा पाठ सब होता है. जैन समाज के लोग यहां से अपने कारोबार सुविधाओं की वजह से शहर में जा कर रहने लगे और यहां से अपने मकान बेच कर चले गए. अब आसपास मुस्लिम और हिन्दू दोनों समुदाय के लोग रहते हैं. आज यहां सब सुविधांए हैं, मंदिर के संगठन को इसके लिए कोई निर्णय लेना चाहिए.
मुरादाबाद के पाकबड़ा थाना में है मंदिर
स्थानीय नागरिक हाजी मुशाहिद ने बताया कि यहां हिन्दू मुस्लिम सब साथ में रहते हैं. आपस में सौहार्द है यहां पहले जैन समाज के लोग रहते थे जो यहां से अपने मकान बेच कर कारोबार की वजह से शहर चले गए और ये मंदिर तब से ही बन्द है. यह मंदिर मुरादाबाद के पाकबड़ा थाना इलाके के रतनपुर कलां में है.
लूटपाट के डर से पलायन कर गए कारोबारी लोग
नाम न बताते की शर्त पर एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि 1985 के दिसंबर माह में एक विवाद के बाद यहाँ जैन और वैश्यों के घरों पर बदमाशों ने डकैती डाली थी. लूटपाट कर डकैत घर के सामान समेट ले गए थे. बदमाशों के आतंक के कारण गांव से जैन, वैश्य और सुनारों के करीब 50 से अधिक परिवार पलायन कर गए. कूड़ों के ढेर के बीच मौजूद मंदिर अभी भी 39 साल पहले हुई आतंक की कहानी बयां कर रहा है. मंदिर के दरवाजे पर कूड़ा डाला जाता है, पूरा मंदिर टूटा पड़ा है. स्थानीय लोगों के मुताबिक कल पुलिस यहां आई थी.
नोट- इस खबर को लेकर प्रशासन की तरफ से अभी कोई बयान नहीं आया है.
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