UP News: सिखों और आदिवासियों को UCC से अलग रखने पर सपा सांसद ने उठाए सवाल, क्या बोले एसटी हसन?
Moradabad News: सपा सांसद ने कहा कि बीजेपी लोकसभा चुनाव को देखते हुए यूसीसी और पसमांदा मुसलमानों का मुद्दा उछाल रही है. उन्होंने मांग की कि पीएम मोदी पसमांदा मुसलमानों को आरक्षण दे कर दिखायें.
UP News: यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) पर मुरादाबाद से समाजवादी पार्टी के सांसद डॉ एसटी हसन (Dr ST Hasan) का बयान आया है. उन्होंने कहा है कि सिखों और आदिवासियों को यूसीसी से अलग रख कर बीजेपी (BJP) सरकार सिर्फ मुसलमानों पर थोपना चाहती है. उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी मुसलमानों को देश की सौतेली औलाद समझती है. उन्होंने कहा कि मुसलमानों के साथ सब जगह भेदभाव किया जाता है. सपा सांसद ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड सिर्फ मुसलमानों को परेशान करने के लिए लाया जा रहा है.
यूनिफॉर्म सिविल कोड के मुद्दे पर क्या बोले सपा सांसद?
एसटी हसन ने कहा कि मुसलमान शरीयत कानून में दखलंदाजी को बर्दाश्त नहीं करेगा. उन्होंने यूसीसी को पसंद करनेवाले और कुरान-शरीयत का कानून पसंद नहीं करनेवाले मुसलमानों को दो टूक कहा कि इस्लाम छोड़कर कहीं और चले जाएं. इस्लाम को उनकी जरूरत नहीं है. सपा सांसद ने प्रधानमंत्री मोदी के पसमांदा मुसलमानों पर दिए बयान को भी आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी पसमांदा मुसलमानों को आरक्षण दे कर दिखायें. तब पता चलेगा कि पसमांदा मुसलमानों के कितने हितैषी हैं.
सपा सांसद ने कहा कि बीजेपी लोकसभा चुनाव को देखते हुए यूसीसी और पसमांदा मुसलमानों का मुद्दा उछाल रही है. बता दें कि मुस्लिम विद्वानों की यूसीसी पर अलग अलग राय है. सूफी इस्लामी बोर्ड के प्रवक्ता कशिश वारसी का कहना है कि यूसीसी का ड्राफ्ट सामने आने दीजिए. तब तक कोई बात कहना या विरोध करना ठीक नहीं है. सरकार किसी भी धर्म के खिलाफ कानून नहीं ला सकती है. कानून लाने से पहले सभी धर्मों को ध्यान में रखा जाएगा.
शरीयत के खिलाफ कानून मंजूर नहीं-मौलाना नाजिम
हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शरीयत कानून में कोई हस्तक्षेप नहीं करेंगे. मुस्लिम विद्वान मौलाना मोहम्मद नाजिम का कहना है कि सरकार समान नागरिक संहिता कानून लाने से पहले नौकरियों और आरक्षण में भी सब के लिए समान कानून बनाये. धार्मिक मामलों में सब के लिए एक कानून नहीं हो सकता. हर धर्म की अपनी अपनी पूजा पद्धति है. इसलिए शरीयत के खिलाफ कानून को हम नहीं मानेंगे. हमारे लिए पहले धर्म और शरीयत है. बाद में देश का संविधान है. हम अपने मजहब में कोई दखल बर्दाश्त नहीं करेंगे.