Moradabad News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में योगी सरकार द्वारा नवरात्रों में दुर्गासप्ती और रामनवमी पर मंदिरों में अखंड रामायण का पाठ कराने और इसके लिए एक लाख रूपये का अनुदान देने के ऐलान के बाद अब सूफी इस्लामी बोर्ड के राष्ट्रीय प्रवक्ता कशिश वारसी ने योगी सरकार से मांग की है कि वह मुस्लिम समाज के सूफियों की दरगाहों पर होने वाली कव्वाली के धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए भी इसी तरह बजट का ऐलान करे. उन्होंने कहा कि सरकार का नारा है, सबका साथ सबका विकास तो उन्हें बीजेपी सरकार से पूरी उम्मीद है कि वह मंदिरों के बाद दरगाहों के लिए भी इसी तरह बजट देगी. 


सूफी इस्लामी बोर्ड के राष्ट्रीय प्रवक्ता कशिश वारसी ने कहा कि योगी सरकार का यह फैसला बहुत अच्छा है और सरकार को सांस्कृतिक कलाकारों के लिए यह कार्य करना चाहिए, उन्होंने कहा कि जब सरकार का नारा है 'सबका साथ, सबका विकास' तो फिर सूफ़ी संतों की दरगाहो पर भी कव्वालों और भजन गायकों के लिए भी इस तरह का अनुदान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि पीएम सूफीईज्म और अध्यात्म के लिए बहुत काम कर रहे हैं तो हमे उम्मीद है कि सरकार सूफी दरगाहों के लिए भी इसी तरह बजट देगी. सूफी इस्लामी बोर्ड ने योगी सरकार से सूफी दरगाहों के लिए भी इसी तरह बजट देने की मांग कर दी है.


हिन्दू राष्ट्र वाले बयान पर कही ये बात
कशिश वारसी ने बीजेपी सांसद साक्षी महाराज के हिन्दू राष्ट्र वाले बयान पर एक शेर सुनाते हुए कहा कि "हमारे ही लहू से सरहदें दुल्हन बनी, लेकिन मुकद्दर देखिये कहला रहे हैं हमीं बेवफ़ा" इस देश की आज़ादी में जितना योगदान हिन्दुओं का है उतना ही मुसलमानों का है, लेकिन साक्षी महाराज और तौकीर रज़ा जैसे नेताओं के जो बयान हैं. इन पर मैं सरकार से मांग करता हूँ कि इनके बयानों पर रोक लगनी चाहिए. किसी की भावनाओं से नहीं खेलना चाहिए क्योंकि इस देश की आज़ादी में सभी का योगदान है.


सूफी इस्लामी बोर्ड के राष्ट्रीय प्रवक्ता कशिश वारसी ने विश्व विख्यात कथा वाचक देवकीनंदन महाराज के हिन्दू लड़कियों के विवाह के लिए केंद्र और राज्य सरकारों से नया कानून बनाने की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि उन्हें हक़ है कि वह अपने धर्म की लड़कियों की भलाई के लिए नया कानून बनाने की मांग कर सकते हैं. जिसमें हिन्दू लड़कियों का विवाह सिर्फ सनातनी लड़कों से ही हो, इसमें कोई बुराई की बात नहीं है वह अपने धर्म की लड़कियों के लिए यह मांग कर सकते हैं हम उनका सम्मान करते हैं. 


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