Basti News: अक्सर सरकारी प्राइमरी स्कूल का नाम आते ही कोई भी अपने बच्चे का एडमिशन कराने से पीछे हट सकता है. इसके पीछे वजह है इन स्कूलों की दयनीय दशा, प्राइमरी स्कूल का नाम आते ही दिमाग में एक ही तस्वीर आती है, जिसमें जमीन पर बैठे बच्चे, जर्जर भवन, मौज करते टिचर्स और मिड डे मील के नाम पर गुणवत्ता विहीन खाना समेत तमाम ऐसी चीजें आती हैं जो आज भी प्राइमरी स्कूल के स्तर को ठीक नहीं कर सकी हैं.


फिलहाल सरकार की ओर से पानी की तरह बजट खर्च हो रहा है, लेकिन नतीजा वहीं ढाक के तीन पात ही है. वहीं उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले का एक प्राइमरी स्कूल अब हजारों स्कूलों के लिए एक नजीर बनकर तैयार है. इस प्राइमरी स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण का बखूबी संदेश दिया जा रहा है. इस स्कूल में बच्चे सिर्फ पढ़ाई ही नहीं करते हैं बल्कि उनके माता-पिता अपने बच्चों के नाम से एक-एक पेड़ लगाते हैं और पूरे साल उनकी अपने बच्चे की तरह देखभाल भी करते है.


स्कूल में लगे ढाई सौ प्रजातियों के दुर्लभ पौधें


बस्ती जिले के सदर क्षेत्र का कम्पोजिट विद्यालय परसा जागीर शैक्षिक गतिविधियों के अलावा हरियाली और पर्यावरण संरक्षण को लेकर पूरे जनपद में नजीर बना हुआ है. यहां की बंजर जमीन में विद्यालय के प्रिंसिपल की ओर से ढाई सौ प्रजातियों के दुर्लभ पौधों की बगिया तैयार की गई है. दूर तक फैली मनमोहक हरियाली के बीच स्वस्थ वातावरण में नौनिहालों का भविष्य संवारा जा रहा है. यहां हर छात्र के नाम से एक पौधा लगाया गया है. जिसके लिए छात्रों के अभिभावक भी इस मुहिम में पूरे समर्पण से साथ दे रहे हैं.


निजी स्कूलों को टक्कर दे रहा सरकारी प्राइमरी स्कूल


आधुनिक सुविधाओं से लैस यह विद्यालय निजी स्कूलों को टक्कर दे रहा है. यह विद्यालय बेसिक शिक्षा के सभी 19 पैरामीटर के पालन का भी दावा करता है. यहां के प्रधानाध्यापक को उनके बेहतर प्रयास के लिए इस वर्ष राज्य पुरस्कार मिला है. परसा जागीर विद्यालय में इस समय 400 से अधिक छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं. वर्ष 2005 में मौजूदा प्रधानाध्यापक डॉ. शिवप्रसाद को यहां की जिम्मेदारी मिली तो उस वक्त विद्यालय की जमीन पूरी तरह से बंजर पड़ी थी. जिसे उपजाऊ बनाने के लिए उन्होंने एक मुहिम चलाई. स्कूली बच्चों के अभिभावकों से मुलाकात कर उन्हें जागरूक किया. उनसे कहा कि आप पौधे लगाइए और उनकी देखभाल करिए. आपके बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी स्कूल के अध्यापकों की होगी. उन्हें समझाया कि हरियाली के बीच आपके बच्चों की पढ़ाई और बेहतर ढंग से होगी. इस पहल में अभिभावकों ने प्रिंसिपल का साथ दिया. विद्यालय में पढ़ने वाले हर छात्र के नाम एक-एक पौधा लगाया गया. इस प्रयास से आज पूरा स्कूल परिसर गुलजार है.


दो वाटिकाओ में लगे 250 प्रजाति के पौधे


बस्ती जनपद में एक ऐसा विद्यालय है जहां आपको आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ 250 प्रजाति के दुर्लभ पौधें भी देखने को मिल जाएंगे, जिसको देख आपका मन काफ़ी खुश हो जाएगा. इन पौधों की खासियत यह है की इन पौधों का उपयोग आप औषध के रूप में भी कर सकते हैं. आज विद्यालय में 250 से अधिक प्रजाति के औषधीय, फलदार, छायादार और पुष्प दार पौधें आपको देखने को मिल जाएंगे. इन पौधों को दो वाटिकाओ में भी बांटा गया है. बाल वाटिका और पोषण वाटिका. बाल वाटिका में फूलदार और सजावटी पौधों जिनमें चमेली, चांदनी, डेसिना, छोटी चांदनी, चम्पा, बेला, यूरेका पाम, मनोकामनी, लिली, सुपारी पाम, मिनी गोल्ड मोहर, पेंडुला, पार्सियन सुल्क टी आदि शामिल हैं, तो वहीं बाल वाटिका में दुर्लभ औषधीय पौधे जैसे कल्पवृक्ष के अलावा कपूर, एलोवेरा, पथरचट्य, सेमर, तुलसी, अश्वगंधा, मेंहदी, अपराजिता, बैलाडोना, लेमनग्रास, हल्दी, गूलर आदि शामिल हैं. पोषण वाटिका में काजू, सेब, रुद्राक्ष, नारियल, अनार, लीची, अमरूद, आवला, नींबू, हजारा आदि के पौधें शामिल हैं.


डीएम ने की सराहना 


डीएम बस्ती आंद्रा वामसी विद्यालयों के सुधारात्मक प्रयास को लेकर हमेशा संजीदा रहते हैं. वह खुद प्राइमरी स्कूलों को बेहतर करने की दिशा में प्रयास करते हैं. जिसको लेकर उन्होंने बताया की हमारा प्रयास है की जनपद के सभी 23 सौ विद्यालय को कलाकल्प योजना के तहत आधुनिक किया जाए, साथ ही जो विद्यालय इस तरह के प्रयास कर रहे हैं उनको टीचर्स डे और अन्य अवसरों पर सम्मानित भी किया जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि परसा जागीर प्राइमरी स्कूल के प्रिंसिपल का प्रयास निश्चित ही सराहनीय है और इस दिशा में उन्हे प्रशासन से जो भी सहयोग होगा दिया जाएगा.


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