नहीं थम रही आजम खान की मुश्किलें, जौहर ट्रस्ट के इन भवनों पर सरकार की नजर
आजम खान को योगी सरकार द्वारा पहले ही भू माफिया घोषित किया जा चुका है। उन पर कई मुकदमें दर्ज हैं। उनके लिये अब एक और बुरी खबर सामने आई है। जौहर ट्रस्ट के दो भवन पर भी सरकार का हथौड़ा चल सकता है।
रामपुर, एबीपी गंगा। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। उन्हें एक और जोरदार झटका लगा है। पूर्व सरकारों में उनको एलाट किए गये दो बड़े भवनों की लीज कैंसिल करने का निर्णय लिया जा सकता है। लीज कैंसिल किए जाने के लिए रामपुर जिला अधिकारी द्वारा संस्तुति की गई थी, यह दो बड़े भवन मदरसा आलिया और मुर्तुजा स्कूल के भवन थे जिन्हें जौहर ट्रस्ट को लीज पर दे दिया गया था और इनमें रामपुर पब्लिक स्कूल और आजम खान की राजनीतिक गतिविधियां संचालित की जा रही थीं।
रामपुर जहां पिछले कई दशक से आजम खान की राजनीति का सिक्का चलता रहा है, आजम खान के राजनीतिक मुख्यालय दारुल अवाम के नाम से बनवाया और यहीं से उनकी राजनीतिक गतिविधियां संचालित होती रही हैं। उस दारूल अवाम पर ही सवाल खड़े हो गए हैं। जिलाधिकारी रामपुर की संस्तुति पर दारुल आवाम की लीज रद्द किए जाने की तलवार आजम खान के सर पर लटक रही है । यह भवन कभी एक सरकारी स्कूल 'मुर्तुजा स्कूल' का भवन था साथ ही इसमें डीआईओएस और बीएसए के कार्यालय स्थापित थे लेकिन इस भवन को जौहर ट्रस्ट के नाम लीज पर दे दिया गया था शिकायतों के आधार पर जांच में पता चला कि सरकार से लीज पर प्राप्त किए गए इस भवन में समाजवादी पार्टी का कार्यालय संचालित किया जा रहा है जो के लीज के नियमों के विरुद्ध मानते हुए जिलाधिकारी ने इसकी लीज रद्द किए जाने की संस्तुति की थी।
दूसरा बड़ा झटका आजम खान को उस समय लगा जब उनके ट्रस्ट को अलॉट किए गए भवन जिसमें रामपुर पब्लिक स्कूल का किड्स जोन चलाया जाता था उस की लीज रद्द करने हेतु रिपोर्ट भेज दी गई। इस भवन में कभी मदरसा आलिया हुआ करता था जो लगभग डेढ़ सौ वर्ष पूर्व अरबी फारसी की शिक्षा के लिए दुनिया भर में मशहूर था और भारत गणतंत्र बनते समय रामपुर स्टेट के मर्जर एग्रीमेंट में भी मदरसा आलिया को विशेष अहमियत दी गई थी इसमें अरबी यूनिवर्सिटी भी कायम किए जाने की संस्तुति की गई थी लेकिन बाद में इसमें तालाबंदी कर दी गई और फिर सीएनडीएस विभाग में इसका जीर्णोद्धार किया और इसको आजम खान के ट्रस्ट को लीज पर दे दिया गया। मदरसा आलिया भवन में सरकारी यूनानी अस्पताल भी चलाया जाता था इस भवन को अभी कुछ दिन पहले ही खाली करा लिया गया था। जिलाधिकारी रामपुर की संस्तुति पर मदरसा आलिया भवन एलाटमेंट को कैंसिल किए जाने के लिए भी जिलाधिकारी रामपुर में संस्तुति की थी।
आंजनेय कुमार सिंह जिलाधिकारी रामपुर ने लीज कैंसिल करने के संबंध में बताया हम रिपोर्ट पहले ही भेज चुके हैं क्योंकि इसमें एसआईटी जांच जारी है लेकिन इस बीच में बहुत सी शिकायतें आती रही थीं। उन शिकायतों की जांच की जनपद स्तर पर एक कमेटी गठित है। उस कमेटी द्वारा ही इस संबंध में जांच कराई गई जिसमें 9 अधिकारी हैं। मुख्य विकास अधिकारी इसके अध्यक्ष हैं और इसमें मदरसा आलिया का मुद्दा उठा था जिसमें रामपुर पब्लिक स्कूल किड्स जोन स्थित है और उसको जौहर ट्रस्ट को दिया गया था उसमें 90 साल की लीज पर मुफ्त में दिया गया है 30,30,30 साल के रिन्यूअल की शर्त के साथ दूसरा है यहां का सबसे पुराना राजकीय मुर्तजा कॉलेज इसको 30 साल की लीज पर दिया गया दोनों में जो इशू है वह यह है कि मदरसा आलिया मर्जर के समय जो डॉक्यूमेंट बनाया गया था उसका एक हिस्सा है और उसमें अरबी फारसी का बहुत बड़ा सेंटर रहा था यह बताया गया की डेढ़ सौ साल पुराना सेंटर रहा था और मर्जर डॉक्यूमेंट में भी यह चीज लिखी गई है 2001 में स्कूल अरबी विश्वविद्यालय बनाने की ओर भी अग्रसर था लेकिन बाद में टीचर्स कम होने का हवाला देकर इसे रिनोवेशन में डाल दिया गया यह सीएनडीएस के द्वारा किया जा रहा था और उसके बाद उसमें तालाबंदी ही कर दी गई।
उस समय के प्रिंसिपल का लेटर देखे तो प्रिंसिपल ने कई बार इस बात का उल्लेख किया है कि तालाबंदी की वजह से विद्यार्थी वहां पढ़ने नहीं जा पा रहे हैं और यहां पर बाहर से विद्यार्थी पढ़ने आते थे इसको 2009 में विधानसभा में नियम 115 के अधीन इसमें प्रश्न भी उठाया गया था और यह कहा गया था की इस संस्थान से मौलाना मोहम्मद अली जौहर जुड़े हैं और इसलिए इसको रिस्टोर करना आवश्यक है लेकिन उस समय संयोग से कोई कार्रवाई नहीं हो पायी वो तालाबंदी बरकरार रही और फिर बाद में 2014 में इसको दे दिया गया लीज पर ,उन्होंने जो रामपुर पब्लिक स्कूल जो इस्टैब्लिश किया वो निर्माण जो लीज की जमीन पर न करके ,बल्कि जो यूनानी दवाखाना था उस जगह को कब्ज़ा करके इस्टैब्लिश किया।
जिसको तीन-चार महीने पहले उसको खाली भी करवाया गया, चार महीने से ज्यादा हो गया। और इनको वापस उसमे दे दिया गया लेकिन लीज की शर्त है कि तान साल से ज्यादा ,तीन साल के अंदर उनको इस्टैब्लिश करना है दूसरा मुर्तज़ा कालेज जो यहां का सबसे पुराना कालेज था उसका ये था कि उसमे जौहर ट्रस्ट को लीज़ पर दिया गया था 30 साल के लीज़ पर दिया गया था और उसमे पाया गया कि समाजवादी पार्टी का कार्यालय है उसमे भी एक हिस्से में विद्यालय चलता था एक हिस्से में डीआईओएस और बीएसए के ऑफिस है जो रिपोर्ट के अनुसार है तो किसीलिए उसमे संस्तुति की गयी है और वो भेज दिया गया है लेकिन वो निश्चित रूप से फिर से एसआईटी के जांच के आधीन तो एसआईटी की जांच जो आएगी उसी में जो भी होगा।