UP News: सरकारी दस्तावेजों में पूरा हुआ काम, ओडीएफ हो चुके गांव में आज भी अधूरे पड़े कई शौचालय
UP News: यूपी के इटावा में ग्राम पंचायत केलामऊ में बनाए गए ज्यादातर शौचालय अधूरे पड़े हैं और वहीं दस्तावेजों में उनका काम पूरा दिखाकर बसरेहर क्षेत्र की ज्यादातर पंचायतें ओडीएफ में शामिल कर दी गई हैं.
Etawah News: उत्तर प्रदेश के इटावा जनपद के बसरेहर विकासखंड क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत केलामऊ में ज्यादातर शौचालय कमीशन और ठेकेदारी की मार झेल रहे हैं. यहां ज्यादातर शौचालय अधूरे पड़े हुए हैं, जिस कारण या तो उनमें घर का कचरा और कबाड़ भरा हुआ है या फिर वह घर के स्टोर रूम का काम कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर बसरेहर क्षेत्र की ज्यादातर पंचायतें ओडीएफ या ओडीएफ प्लस में शामिल हैं.
दरअसल, कैलामऊ वह गांव है जहां पर 2018 में शौच के लिए गई दो बहनों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. जिसके बाद इस पूरे ग्राम पंचायत में हर घर को शौचालय देने की बात कही गई, लेकिन प्रशासन की ओर से हर घर में बना शौचालय मात्र कागज में देखने को मिल रहा है, लेकिन धरातल पर आज भी गांव के ज्यादातर शौचालय अधूरे पड़े हुए हैं.
कमीशन के फेर में फंसा शौचालय
कैलामऊ ग्राम पंचायत के मजरा बवनपुरा की एक महिला ने बताया कि 'मेरा शौचालय तो तैयार हो गया लेकिन टैंक अधूरा छोड़ देने के कारण मैं और मेरा पूरा परिवार उसका उपयोग नहीं कर सका, जिस कारण वह पूरी तरह से जर्जर हो गया. उस समय के ग्राम प्रधान से हमने कई बार कहा लेकिन हमारी एक नहीं सुनी गई, जिस कारण आज भी हम लोग अपने शौचालय का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं. कमीशन के चक्कर में 2019 में जब यह शौचालय बनवाई गई तो प्रधान और सचिव ने खुद ही इनका निर्माण कराया और अधूरा छोड़ दिया.
शौचालय तो बना लेकिन टैंक का निर्माण अधूरा
वहीं गांव के एक पुरुष ने बताया कि उनके घर की छत पर शौचालय तो बना दिया गया लेकिन आज तक टैंक का निर्माण नहीं किया गया, जिसकी वजह से उनका पूरा परिवार अभी भी बाहर खुले में शौच करने को मजबूर है. उनका कहना है कि अब हमारी छत पर बनी शौचालय को घर की जरूरत के समान रखने के लिए स्टोर बन चुका है. शख्स का कहना है कि जब भी गांव के सचिव और अन्य अधिकारियों को टैंक बनवाने के लिए कहा जाता है तो वह कहते हैं कि बजट में जितना पैसा था उतने में तुम्हारा बन चुका है.
अधुरे शौचालय का नहीं कोई उपयोग
इटावा बसरेहर क्षेत्र की ज्यादातर पंचायतें ओडीएफ या ओडीएफ प्लस में शामिल हैं और सभी पंचायत में ज्यादातर शौचालयों की यहीं हालत है, ऊपर से देखने पर तो लगता है कि शौचालय पूरी तरह से बनकर तैयार है लेकिन जब उसकी धरातल पर जाकर जांच की जाए तो वहां मालूम पड़ेगा की शौचालय का अभी तक टैंक ही नहीं बनाया गया है, जिस कारण लाभार्थी शौचालय का उपयोग नहीं कर पा रहा है.
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