Lok Sabha Elections 2024: मध्य प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सीटों को लेकर मची कलह के बाद दोनों दलों के नेताओं की ओर से बयानों पर सीजफायर होता दिख रहा है. एमपी में कांग्रेस ने सपा को खास तवज्जो नहीं दी. उन सीटों पर भी अपने प्रत्याशी उतार दिए जहां कथित तौर पर उनका सपा से समझौता हो चुका था. इस पर सपा और उसके नेता अखिलेश यादव काफी नाराज दिखे. 


कांग्रेस और सपा के बीच बयानों पर लगा सीजफायर कितने दिनों तक चलेगा यह तो वक्त बताएगा कि लेकिन परिस्थिति अगर नहीं संभली तो राष्ट्रीय लोकदल के लिए भी स्थिति आसान नहीं होगी.  राष्ट्रीय लोकदल  फिलहाल चुप है. रालोद चीफ जयंत चौधरी अभी तक इस पूरे मामले पर चुप हैं. रालोद की चुप्पी से संकेत हैं कि वह कांग्रेस और सपा के बीच उपजे विवाद पर सतर्क है. अगर कांग्रेस-सपा की कलह पर लगाम नहीं लगी तो जयंत राजनीति के एक दोराहे पर होंगे जहां से उनके लिए फैसला आसान नहीं होगा. 


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कांग्रेस का रालोद के लिए रुख नरम
फिलहाल कांग्रेस का रालोद के लिए रुख नरम दिख रहा है. अगर जयंत, सपा के साथ जाते हैं तो एक ओर जहां यूपी में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं तो वहीं राजस्थान विधानसभा चुनाव में फिर से एंट्री की उम्मीद पाले बैठे जयंत को भी झटका लग सकता है. रालोद, जाट वोटों के भरोसे राजस्थान में अपने पांव जमाने की कोशिश में है.


इसी महीने की शुरुआत में रालोद चीफ ने कांग्रेस कहा था कि वह राजस्थान में साल 2018 के विधानसभा चुनाव में जिन सीटों पर हार गई थी वह सीटें उनकी पार्टी को दे. रालोद ने कहा था कि हम पर भरोसा किया जा सकता है. हम पुराना चेहरा हैं. हमारी पार्टी की पुरानी पहचान है.


साल 2018 के विधानसभा चुनाव में रालोद को कांग्रेस ने 2 सीटें दी थीं. रालोद ने इसमें से भरतपुर सीट पर जीत हासिल की और उसके नेता सुभाष गर्ग को कांग्रेस ने काबीना मंत्री भी बनाया था. सूत्रों का दावा है कि इस बार रालोद , कांग्रेस से 4-5 सीटें मांग रही है. रालोद चीफ ने बीते दिनों कहा था- कांग्रेस जिस सीट पर 4 -5 बार से नहीं जीती वह सीट हमको दे जीत कर दिखाएंगे.