नई दिल्ली, एबीपी गंगा। मध्य प्रदेश में चल रही राजनीतिक रस्साकशी का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। आज हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश की सरकार और स्पीकर को नोटिस भेजा है। कोर्ट ने इस पर कल तक जवाब देने को कहा है। अब इस मामले पर बुधवार को आगे की सुनवाई होगी। भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ 9 भाजपा विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में राज्य में सत्ताधारी कांग्रेस सरकार का तुरंत फ्लोर टेस्ट कराए जाने की मांग की गई है। शिवराज सिंह चौहान के साथ 9 भाजपा विधायकों- गोपाल भार्गव, नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह, रामेश्वर शर्मा, विष्णु खत्री, विश्वास सारंग, संजय सत्येंद्र पाठक, कृष्णा गौर और सुरेश राय ने याचिका दायर की है।
याचिका में आरोप लगाया है कि एमपी विधानसभा में बहुमत खो चुकी कांग्रेस की कमलनाथ सरकार फ्लोर टेस्ट को टालने की कोशिश कर रही है। इसके अलावा 2018 में हुए विधानसभा चुनाव से लेकर अब तक की सारी स्थिति बताई गई है। कहा गया है कि राज्य में बहुमत खो चुकी सरकार बहानेबाजी कर रही है। उसके कहने पर विधानसभा स्पीकर ने सत्र को 26 मार्च तक के लिए टाल दिया है। सुप्रीम कोर्ट के कई पुराने फैसलों का भी हवाला याचिका में दिया गया है।
इस याचिका में कहा गया है कि 1994 में एस आर बोम्मई मामले के फैसले में सुप्रीम कोर्ट यह साफ कर चुका है कि सरकार का शक्ति परीक्षण विधानसभा के पटल पर होना जरूरी है। बाद में नबाम रेबिया, रामेश्वर प्रसाद, जगदंबिका पाल जैसे मामलों के फैसले में भी यही व्यवस्था दोहराई गई। पिछले 2 सालों में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक और महाराष्ट्र में सरकार को 24 घंटे के भीतर विधानसभा में बहुमत साबित करने का आदेश दिया था। इस मामले में भी ऐसा ही होना चाहिए।